14 जून 2009

शिक्षा का या घृणा का कारोबार ?

आनंद प्रधान

आस्ट्रेलिया में उच्च शिक्षा हासिल करने गए भारतीय छात्रों को वहां की सरकार द्वारा पूरी सुरक्षा देने का वायदों के बावजूद उनपर नस्ली और आपराधिक जानलेवा हमले रूक नहीं रहे हैं। पिछले कुछ सप्ताहों में एक दर्जन से ज्यादा भारतीय छात्र इन हमलों का निशाना बने हैं। सिर्फ छात्र ही नहीं, जिस तरह से एक भारतीय टैक्सी ड्राइवर पर भी हमला हुआ है, उससे साफ है कि इन नस्ली और आपराधिक हमलों से भारतीय कामगार और प्रोफेशनल्स भी सुरक्षित नहीं हैं। इससे एक गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के सुरक्षित केंद्र के बतौर आस्ट्रेलिया की छवि को गहरा धक्का लगा है।ऐसा नहीं है कि आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों या प्रोफेशनल्स पर पहली बार इस तरह के हमले हुए हैं। तथ्य यह है कि पिछले तीन सालों में भारतीय छात्रों या प्रोफेशनल्स को सैकड़ों छोटे-बड़े नस्ली और आपराधिक हमलों का निशाना बनाया गया है। लेकिन पिछले एक महीने में ऐसे हमलों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। आस्ट्रेलियाई पुलिस के अनुसार इस एक महीने में भारतीय छात्रों पर हमले और मारपीट-गाली गलौज की 500 से ज्यादा रिपोर्ट दर्ज की गयी हैं। इनमें से ज्यादातर घटनाएं मेलबोर्न, सिडनी और एडीलेड में घटी हैं। इन घटनाओं के बाद भारतीय छात्र गहरे सदमे, दहशत और गुस्से में हैं।साफ है कि पानी सिर के उपर से बहने लगा है। आस्ट्रेलियाई सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेने और शुरूआत में ही सख्ती बरतने में देर कर दी है। इससे उन गोरे नस्लवादी हमलावरों और अपराधियों की हिम्मत बहुत बढ़ गयी है। अगर आस्ट्रेलियाई सरकार ने शुरू में ही इन हमलों और अपमानजनक व्यवहार को नोटिस लेकर कार्रवाई की होती तो स्थिति इस हद तक नहीं बिगड़ती। अब आस्टेªलियाई सरकार को अपनी पुलिस और प्रशासन को यह स्पष्ट संदेश देना होगा कि भारतीय या अन्य किसी भी विदेशी छात्र या प्रोफेशनल्स के खिलाफ नस्लवादी हमलों के प्रति ष्जीरो टालरेंसष् का रवैया होना चाहिए। आस्ट्रेलियाई सरकार को ऐसे नस्ली हमलों पर रोक के लिए हेट क्राइम रोकथाम कानून बनाने से भी हिचकिचाना नहीं चाहिए।

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