शालिनी वाजपेयी
17 सालों का समय 48 विस्तार के बाद तैयार की गई रिपोर्ट सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमएस लिब्रहान ने पहली जुलाई को प्रधानमंत्री को सौंप दी। 6 दिसम्बर 1992 में बाबरी मçस्जद ढहने के तीन महीने बाद लिब्रहान आयोग बनाया गया। जिसे अपनी रिपोर्ट तीन महीने ही देनी थीा न्यायाधीश लिब्रहान ने अपनी इस रिपोर्ट की देरी के लिए कुछ गवाहों और लोगों को जि मेदार ठहराया है लेकिन उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है। रिपोर्ट प्रधानमंत्री के पास पहुंचने के बाद अब यह जनता तक कब पहुंचेगी यह तो नहीं बताया जा सकता लेकिन जब भी पेश होगी कम से कम दोषी पाए जाने वाले लोगों से जवाब तलबी तो होगी। वैसे इसके दायरे में आने वाले लोग तो अभी से अपने इस कुकृत्व पर सफाई देने लगे हैं। संघ के नेता राम माधव ने तो कहा है कि यह घटना लोगों की नाराजगी का परिणाम थी। इस मामले में किसी को जि मेदार ठहराना राजनीतिक कुतर्क और साजिश होगा। वहीं उमा भारती ने अपना बचाव करते हुए कहा कि 2.भ् लाख कार्यकर्ता थे और ढांचे को ढहाने से पहले उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी। इन्होंने तो इस मçस्जद के गिरने का सारा ठीकरा नरसिंह राव के सिर मढ़ दिया, कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने ढांचे को लेकर क्वनिçष्क्रयता´ दिखाई। वहीं आडवाणी जी कह रह हैं कि भूमि अधिग्रहण मामले में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने देर न लगाई होती तो यह ध्वंस न होता।
सभी तरह-तरह की सफाई दे रहे हैं। इसके दोषी लोगों के अंदर तो इतनी भी गैरत नहीं है कि वह इसकी सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक जि मेदारी ले सकें। वैसे इनकी इन सफाइयों का जनता पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है क्योंकि मçस्जद कैसे गिरी, किसने गिराई, क्यों गिराई। यह सभी कइयों बार टीवी पर देख चुके हैं। वह सब कुछ कैमरे में कैद हो चुका है। अब इनके न-नुकुर का कोई मतलब नहीं है।
17 सालों से इस रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। मçस्जद गिरने के बाद हुए दंगे में मरने वालों के करीबी एक-एक दिन गिनकर उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब यह रिपोर्ट संसद में पेश होगी और न्यायालय उनके गुनहगारों को सजा देगा।
464 साल पुरानी मçस्जद गिराना कोई छोटा-मोटा अपराध नहीं है। इसे गिराकर देश की सांस्कृतिक-सामाजिक व्यवस्था के साथ खिलवाड़ हुआ है। ऐसी हरकतें करके पूरे देश को खून की होली खेलने के लिए मजबूर किया गया है। भारतीय संस्कृति की बात करने वाले ये लोग भारत की सदियों पुरानी मिली-जुली संस्कृति को ही तार-तार करने पर लगे हुए हैं। धर्म के नाम पर इस देश में राजनीति करने वाले इन लोगों को इनके कुकमोZ की जल्द ही सजा मिलनी चाहिए। यदि आज इन्हें सजा नहीं दी जाएगी तो आगे लगातार ऐसी घटनाएं घटित होती रहेंगी। ऐसे ही अपने धर्म को ऊंचे पर बिठाने के लिए सभी धमोZ के लोगों और उनकी सांस्कृतिक पहचान को पीसते रहेंगे। और फिर कब भारत के नक्शे से रक्त सूखेगा कहा नहीं जा सकता। इसलिए इन्हें सजा जरूर मिलनी चाहिए ताकि यह सबक बन सके ऐसे लोगों के लिए जो सांस्कृतिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर अपनी पहचान को कायम रखना चाहते हैं।
इस रिपोर्ट के आने से एक बार फिर मंदिर-मçस्जद की राजनीति का पिटारा खुल जाएगा। इससे किसको फायदा होगा और किसको नुकसान यह तो नहीं बताया जा सकता है लेकिन हो सकता है कि इससे भाजपा को एक झटका फिर लगने वाला है। इस समय पर भाजपा वैसे भी आंतरिक अंतरविरोधों में उलझी है इसलिए इसका सामना करना अब उसके लिए मुश्किल होगा। कांग्रेस का नुकसान तो होना नहीं है हां फायदा जरूर हो सकता है। वैसे इधर कांग्रेस पर मुसलमानों का विश्वास बढ़ा है। इस पर भी यदि उसने इस रिपोर्ट में मुस्लिमों के पक्ष में कुछ कर दिया तो कांग्रेस का फायदा ही हो जाएगा। वैसे लोगों में इस रिपोर्ट के आने से यह उ मीद बंधी है कि कुछ न्याय मिल सकेगा।
कृपया फॉण्ट सम्बन्धी त्रुटियों को नजरंदाज करे.
शालिनी डेली न्यूज एक्टिविस्ट, लखनऊ में उपसंपादक हैं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें