- एक दजर्न घायल
शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ शुरु हुआ आंदोलन आज उस समय भड़क उठा जब छात्रसंघ की मांग को लेकर हजरों छात्रों ने कुलपति कार्यालय को घेर लिया। पीएसी और शस्त्र पुलिस बल ने लाठीचार्ज किया जिसमें दजर्नों छात्र घायल हो गए। छात्रों ने यह आरोप लगाया है कि छात्रसंघ पर पिछले तीन साल से अघोषित आपातकाल लगाकर विश्वविद्यालय छात्र रिोधी नीतियों को थोप रहा है। पूरे कैम्पस में छात्रों को आतंकित करने के लिए पचासों पुलिस पीएसी बल की गाड़ियां तैनात कर दी गयी और छात्रों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। परिसर के बाहर चाय और किताबों के रेहड़ी पट्टी ालों की दुकानों को पुलिस ालों ने तहस-नहस कर बुरी तरह से पीटकर अपना गुस्सा ङाड़ा।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आज जहां एक तरफ पहले से चल रहे पत्रकारिता भिाग को बचाने और निजीकरण रिोधी आंदोलन पर कुलपति की चुप्पी से नाराज छात्रों ने परिसर में जमकर नारेबाजी की। हाथों में तख्तियां लिए छात्रों ने नारे लगाये ‘‘विश्वविद्यालय है छात्रों का डिग्री की दूकान नही, फर्जी डिग्री देना बंद करो, शिक्षा के दलालों कैंपस छाड़ो, प्रोफेशनलिज्म के नाम पर ठगना बंद करो।’’ तो ही दूसरी तरफ हजरों छात्रों ने पीस जोन तोड़ते हुए कुलपति कार्यालय घेर लिया। यहां गौरतलब पहलू है कि कुलपति प्रोफेसर आरजी हर्षे ने अपनी मनमानी और छात्र रिोधी नीतियों को लागू करने के लिए अपने कार्यालय को पीस जोन क्षेत्र ंघोषित किया है जहां छात्र अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन नही कर सकते। बहरहाल इलाहाबाद विश्वविद्यालय समेत तमाम संबद्घ महाद्यिालयों के छात्रों का आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा था और उनकी मांग थी की कुलपति बाहर आकर उनकी मांगों को सुने। पर कुलपति अपनी आदत के अनुसार बाहर नही आये। ठीक इसी क्त कुलपति बाहर आओ छात्रसंघ बहाल करो के नारों के बीच कुलपति कार्यालय के सामने अंग्रेजी भिाग से पत्थरबाजी शुरु हो गयी। इसके बाद हां पर मौजूद पीएसी और शस्त्र पुलिस बल ने लाठीचार्ज किया जिसमें दजर्नों छात्रों को गंभीर चोटें आयी। विश्वविद्यालय के सूत्रों के अनुसार शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे इस आंदोलन में एकाएक हुयी पत्थरबाजी प्राचीन इतिहास भिाग के एक रिष्ठ प्रोफेसर की कूटनीति का नतीज था। पूरे कैम्पस में छात्रों को आतंकित करने के लिए पचासों पुलिस पीएसी बल की गाड़िया तैनात कर दी गयी और पूरे दिन भर छात्रों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। परिसर के बाहर चाय और किताबों के रेहड़ी पट्टी ालों की दुकानों को पुलिस ालों ने तहस-नहस कर बुरी तरह से पीटकर अपना गुस्सा ङाड़ा।
पिछले दिनों शिक्षा के निजीकरण के रिोध में शुरु हुए आंदोलन ने इन रिष्ठ प्रोफेसर को दबा में ला दिया था। और ो परिसर में चल रहे आंदोलनों को दिग्भ्रमित करने और विश्वविद्यालय प्रशासन पर अपने दबा को बरकरार रखने के लिए इस छात्ररिोधी रणनीति का सहारा लिया। सूत्रों के अनुसार इन आंदोलन के चलते हो रही बदनामी और अपना काला चिट्ठा खुलने के डर से श्ििद्यालय के कुलपति छुट्टियों के बहाने इलाहाबाद से बाहर जने की ख़बर है। आइसा के सचिव सुनील मौर्या ने इस पूरी घटना की निंदा करते हुए कहा की जब भी छात्र आंदोलन तेज होता है और निर्णायक दौर में पहुंचने ाला होता है कुलपति इलाहाबाद छोड़कर भाग जते हैं। उधर पत्रकारिता भिाग के छात्रों ने अपने आंदोलन को नया स्रुप देते हुए कल से पूरे शहर में प्रदर्शन करेंगे। पत्रकारिता भिाग के छात्रों ने ‘‘साल पूछते रहो’’ अभियान के तहत लोकतंत्र रिोधी पीस जोन के बारे में पूछा कि यह विश्वविद्यालय के किस संधिान के तहत बनाया गया है। ही दूसरी तरफ तीन साल पहले हुए बहुचर्चित पर्चा लीक काण्ड जिसमें विश्वविद्यालय के रसूखदार लोग लिप्त थे पर हुयी उच्चस्तरीय जंच की रिपोर्ट को क्यों नही र्साजनिक किया गया का साल उठाया। ऐसे में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन के काले कारनामों की घेरेबंदी तेजी से हो रही है तो हीं विश्वविद्यालय प्रशासन इन आन्दोलनों को तोड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहा है।
जनसत्ता से साभार
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