07 अक्तूबर 2009

पांबदी के बाद भी पत्रकारिता के छात्रों ने निकाला परिसर में जुलूस

- 'पीस जोन' में किया सत्याग्रह

- नोटिस भी नहीं रोक पाई पत्रकारिता के छात्रों को


इलाहाबाद 7 अक्टूबर 09
पत्रकारिता के छा़त्रों की तरफ से सेल्फ फाइनेंस कोर्स के विरोध में शांतिपूर्ण ढंग से चलाए जा रहे आंदोलन पर कुलानुशासक द्वारा विभाग को दी गयी नोटिस के जवाब में आज छात्रों ने परिसर में मौन जुलूस निकाला। इस दौरान छात्रों ने पीस जोन में बैठकर सत्याग्रह किया और प्रशासन की ओर से भेजी गयी नोटिस की निन्दा की। बाद में छात्रों ने चीफ प्राॅक्टर को नोटिस के संदर्भ में अपना लिखित जवाब भी सौंपा।
प्राॅक्टर द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार के जुलूस एवं प्रदर्शन पर पाबंदी लगाये जाने के विरोध में आज छात्रों ने अपनी कक्षाएं करने के बाद तीन बजे से एक बार फिर मौन जुलूस निकाला और पीस जोन में प्रदर्शन किया। लेकिन इस दौरान विश्वविद्यालय का कोई प्रशासनिक अधिकारी छात्रों के जुलूस के सामने नहीं आया। छात्र लगभग घन्टे भर तक पीस जोन में बैठे रहे। इसके बाद छात्रों ने खुद ही कुलानुशासक कार्यालय पहुंचकर चीफ प्राॅक्टर को भेजी गयी नोटिस का लिखित जवाब दिया। इस दौरान प्राॅक्टर ने छात्रों का आईकार्ड भी चेक किया।
इस दौरान छात्रों ने प्राॅक्टर से कहा कि आम छात्रों के हितो और समाज से सरोकार रखने वाले मुद्दो पर संघर्ष करना विश्वविद्यालय की महान परंपरा का हिस्सा है। छात्रो ने सवाल किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन की गलत नीतियों और जनसरोकार संबंधी सवालो को लेकर आगे आना अगर गलत है तो विश्वविद्यालय को सबसे पहले विश्वविद्यालय परिसर में लगी लाल पद्मधर की प्रतिमा को हटा देना चाहिये। क्योंकि उन्होंने भी आजादी आंदोलन के दौरान इन्ही सवालों को लेकर अपनी शहादत दी थी। छात्रों का कहना था कि वे भी अपने सवालों को लेकर कोई भी सजा भुगतने को तैयार हैं। छात्रों और प्राॅक्टर के बीच हुई इस तल्ख बातचीत के बाद प्राॅक्टर विभाग की समस्याओ को और भी विस्तृत रुप से जानने-समझने के लिए कल गुरूवार को विभाग में आने के लिए राजी हुए।

समस्त छात्र
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद


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प्रशासन की नोटिस का जवाब

सेवा में,
कुलानुशासक
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद


विषय: आपके द्वारा विभागाध्यक्ष पत्रकारिता विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय को भेजी गयी नोटिस क्रम संख्या 606/09 दिनांक 06.10.2009 के संबंध में..



महोदय,

आपके द्वारा भेजी गयी सूचना में लगाये गये आरोपों से हम विभाग के छात्र पूरी तरह असहमत हैं क्योंकि हमने कभी भी किसी भी विभाग की कक्षांओ में जाकर पठन-पाठन में अवरोध पैदा करने की कोशिश नहीं की है। पिछले 33 दिनों से हम अपनी जायज मांगों को लेकर विश्ववि़द्यालय प्रशासन के समक्ष गांधीवादी तरीके से अपनी बात रखने का प्रयत्न करने रहे हैं। लेकिन हमने कभी भी अपनी पढ़ाई की कीमत पर ऐसा नहीं किया। हम सब आपके समक्ष निम्न बिन्दुओं को पुनः रखना चाहेंगे ताकि आप हमारी समस्या का जल्द से जल्द समाधान करने की कोशिश करें न कि अपने प्रशासनिक तंत्र की हनक दिखाकर हमें डराने धमकाने व हमारा उत्पीड़न करने की कोशिश करें-

1- हमारा आंदोलन हमेशा शांतिपूर्ण एवं अहिंसक रहा है।
2- हमने हमेशा ये कोशिश की है कि हमारी कक्षाएं नियमित रुप से चलें और उसके बाद ही हम सत्याग्रह में बाहर निकले हैं।
3- अभिव्यक्ति और संगठन बनाने का अधिकार हमारा संवैधानिक अधिकार है। विश्वविद्यालय जैसी संस्थाएं तो विभिन्न विचारों की उत्पत्ति और उसके फलने-फूलने का केन्द्र होती हैं। कम से कम विश्वविद्यालय से हम ये उम्मीद नहीं करते कि वह विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ही प्रतिबंधित कर दे।
4- इलाहाबाद विश्वविद्यालय का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। राष्ट्र और समाज से सरोकार रखने वाले मुद्दों को उठाना और आम छात्रों के हितों के लिए संघर्ष करना विश्वविद्यालय के छात्रों की परंपरा रही है। विश्वविद्यालय द्वारा थोपे जा रहे शिक्षा के इस नये स्वरुप से असहमति रखकर हम अपना पक्ष लोगों के सामने रखना अपना कर्तव्य समझते हैं।
5- हम लोग किसी प्रकार के बाहरी मुद्दों को परिसर में नहीं ला रहें हैं। हम केवल शिक्षा की गुणवत्ता और उसकी उपलब्धता पर जनमत बना रहे हैं, जो आम छात्रों की जरुरत है।
6- विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा हाल में लिए गये कुछ निर्णयों और गतिविधियों जैसे- विभाग के समानान्तर समान पाठ्यक्रम का सेल्फ फाइनेंस एक कोर्स नये केंद्र में शुरु करना पत्रकारिता विभाग को खत्म करने की सोची-समझी रणनीति ही लगती है। इस निर्णय से असहमत होने और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा हमारी मांगो का कोई जवाब न दिये जाने के कारण ही हम छात्रों को सत्याग्रह के लिए बाध्य होना पड़ा है।
7- हम लोग उन्हीं शैक्षिक मुद्दे उठा रहें हैं जो कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय और आम छात्रों के हितों में है।
अतः आप से निवेदन है कि हमारे सत्याग्रह को कानून व्यवस्था की समस्या का ेनाम देने की बजाय हमारीे समस्याओ का समाधान कराने की कोशिश करे और किसी व्यक्ति विशेष के हितों की पूर्ति करने के स्थान पर आम छात्रों के हितों के बारे में सोचे।

- धन्यवाद
समस्त छात्र
पत्रकारिता विभाग
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद

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