17 दिसंबर 2009

वर्धा में दलित छात्रों का अनशन नौंवे दिन भी जारी

वर्धा मेल

महात्मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में दलित छात्र राहुल कांबले को पीएचडी में प्रवेश न दिये जाने और विभागाध्यक्ष की ओर से उत्पीड़ित किये जाने के ख़‍िलाफ़ अंबेडकर स्‍टूडेंट्स फोरम के छात्रों के आमरण अनशन के आज नौ दिन हो गये। दो छात्र चार दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी हालत गंभीर है। इसके बावजूद वीसी वीएन राय वर्धा से बाहर हैं। इस बीच छात्र-छात्राओं की आम सभा बुलाकर स्टुडेंट्स को-ऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया गया। इस सभा में उपस्थित छात्र-छात्राओं ने प्रशासन के रवैये के खिलाफ एक स्वर में निंदा प्रस्ताव पारित किया। साथ ही उन्‍होंने फोरम की मांगों को न्यायपूर्ण बताते हुए पूर्ण समर्थन जताया हैं। इस कमेटी ने प्रति कुलपति से कई बार बातचीत कर न्यायपूर्ण हल की मांग की और राहुल कांबले को प्रवेश देने के संदर्भ तथ्य और तर्क रखे। यद्यपि प्रति कुलपति के पास इन तर्को का कोई ठोस जवाब नही था। परंतु वे राहुल का प्रवेश लेने के लिए राजी नहीं हुए और बार-बार एक कमेटी बनाकर जांच करवाने को लेकर अडिग रहे।

प्रति कुलपति का कहना था, ‘अनशन समाप्त करने के बाद ही राहुल के प्रवेश के मसले पर एक जांच कमेटी बनायी जाएगी।’ जबकि राहुल के ही मसले पर बनी पूर्व की ही एक कमेटी द्वारा दी गयी संस्तुति को अब तक न तो लागू किया गया और न ही सार्वजनिक। इस बीच प्रशासन ने इस मामले को तब और उलझा दिया, जब विवि के ही एक दलित लेक्चरर शैलेश कदम मरजी को राहुल के स्थान पर प्रवेश दिया। प्रशासन के इशारे पर राहुल के प्रोफेसर पिता को वर्धा बुलाया गया और उनसे कहा गया कि वे अनशन ख़त्म करने के लिए राहुल पर दबाव डालें क्योंकि राहुल यहां राजनीति कर रहा है। इस पर राहुल के पिता ने कहा, ‘न्यायपूर्ण उद्देश्य के लिए किया जाने वाला यह आंदोलन जायज़ है और मैं भी इसका समर्थन करता हूं। हज़ारों सालों से शोषित-दलित जब अपनी जायज़ मांगों को मांगते हैं, तो लोग ऐसे ही राजनीति कहकर इसे खारिज़ करते हैं।’ इस बीच आमरण अनशन पर बैठे दो छात्र राहुल कांबले और ओमप्रकाश बैरागी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस बीच पीएचडी अनुवाद के शोधार्थी मिलिंद पाटील शृंखला अनशन जारी रखे हुए हैं।

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