पत्रकारों ने पूछा -माओवादी साहित्य क्या होता है
लखनऊ,(जनसत्ता )। मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार सीमा आजाद को माओवादी बताकर गिरफ्तार किए के खिलाफ उत्तर प्रदेश के राजनैतिक, सामाजिक और मानवाधिकार संगठन लामबंद होने लगे हैं। मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने इस मुद्दे पर आगामी तेरह फरवरी को लखनऊ में धरना देने का एलान किया है जिसमे कई अन्य संगठन भी शामिल होंगे।सीमा की गिरफतारी पर वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव ने कहा-‘ये सरासर गलत है और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार पर भी हमला है। जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी(जेयूसीएस) ने पुलिस - प्रशासन से पूछा है कि माओवादी साहित्य की परिभाषा क्या होती है ? क्या फिदेल कास्त्रो ,लेनिन और चेग्वेरा की पुस्तक माओवादी साहित्य में आता है ।
गौरतलब है कि पीयूसीएल की संगठन मंत्री सीमा आजाद और उनके पति विश्वविजय को उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने शनिवार को माओवादी बताते हुए इलाहाबाद स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया था। मंगलवार को लखनऊ में पीयूसीएल के प्रदेश कार्यालय मे एक प्रेस कांफ्रेस को में पूर्व आईपीएस अधिकारी एस आर दारापुरी ने कहा- ‘सीमा की गिरफ्तारी विचारों की आजादी का हनन है। पीयूसीएल माओवादी अथवा पुलिस किसी भी प्रकार की हिंसा का विरोध करती है। तेरह फरवरी को सीमा आजाद की गिरफ्तारी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन के विरोध में लखनऊ में धरना प्रदर्शन किया जाएगा’। दारापुरी ने बताया कि मानवाधिकार आयोग को संगठन की तरफ से जो ज्ञापन भेजा गया है उसमे पूरा ब्यौरा है । पुलिस ने किस तरह एक पत्रकार को फर्जी मामला गढ़ कर माओवादी बना दिया है । इस मामले में आयोग से फ़ौरन दखल देने की मांग की गई ।
इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डाकुमेंटेशन इन सोशल साइंसेज ने भी सीमा आजाद की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए तेरह फऱवरी को प्रस्तावित धरने मे शामिल होने की घोषणा की है। संस्था की सचिव नूतन ठाकुर ने एक बयान मे कहा- सीमा आजाद को नक्सली बताकर गिरफ्तार और उनपर राष्ट्रद्रोह जैसी गंभीर धाराएं लगा देना मानवाधिकार का हनन है। सीमा एक्सप्रेस वे और बालू खनन के मुद्दे का लगातार विरोध करती रहीं हैं जिसके बदले मे पुलिस ने ये कार्यवाही की है’। सीमा आजाद की गिरफ्तारी को उत्तर प्रदेश की पत्रकार बिरादरी ने भी गलत बताया है। जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी(जेयूसीएस) ने सीमा को माओवादी करार दिए जाने पर तीखी आपत्ति जताई है। जेयूसीएस के सदस्य विजय प्रताप और अवनीश राय ने प्रशासन से पूछा है कि माओवादी साहित्य की परिभाषा क्या होती है ? समाजवादी पार्टी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेनद्र चौधरी ने एक बयान मे कहा-‘ कहा कि प्रदेश सरकार मानवाधिकार हनन के मामले में सबसे आगे है। माओवाद के नाम पर लोकतात्रिक अधिकारों का दमन किया जा रहा है
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