मायावती सरकार के मंत्रियों-विधायकों का भू-माफियाओं के साथ मिलीभगत एक-एक कर सामने आ रही है। बसपा के मंत्री और विधायक प्रदेश में जितने भी अवैध काम हो सकते हैं,सबमें अपना हाथ अजमा रहे हैं। इस संदर्भ का ताजा घटनाक्रम आजमगढ़ का है। जहां पूर्व मंत्री और मौजूदा बसपा विधायक अंगद यादव के आदमियों ने आजमगढ़ की शारदा कॉलोनी में जमीन पर अवैध कब्जे की घटना को अंजाम दिया है। इतना ही नहीं जमीन के मालिक को लगातार जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है। जिसमें रामनयन यादव और हरिओम का नाम सामने आ रहा है। जो इन फोन नम्बरों 09919313313 व 09532544502 से लगातार मानवाधिकार कार्यकर्ता राजीव यादव और उनके परिजनों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। गौरतलब है कि राजीव यादव मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और उनका संगठन पीयूसीएल पिछले दिनों आजमगढ़ व इलाहाबाद के इलाकों में इस तरह के अवैध कब्जों का पुरजोर विरोध करता रहा है। मानवाधिकार कार्यकर्ता व उनके परिजनों को निशाना बनाये जाने के पीछे भू-माफिया व नेताओं की खुन्नस को कारण माना जा रहा है। जान से मारने की धमकियों पर न तो स्थानीय प्रशासन और न ही उच्चाधिकारी गम्भीर दिखा रहे हैं।
गौरतलब है कि आजमगढ़ के देवपार गांव में पांच मार्च को एक परिवार के दो लोगों की जमीन विवाद में हत्या कर दी गई थी। जिसमें एक बसपा नेता शम्भू नाथ यादव का नाम आया है। जिले में जमीन विवाद में हत्या की वारदात होने के बावजूद राजीव यादव और विनोद यादव को मिल रही धमकियों पर आजमगढ़ जिला प्रशासन कतई संजीदा नहीं है और न ही वह सुरक्षा का कोई ठोस आश्वासन हीं दे पा रहा है। भू-माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि तमाम शिकायतों के बावजूद स्थानीय पुलिस थाने में बैठकर धमकियां दी जा रही हैं। जिसमें चौकी इंचार्ज शमसेर सिंह पर गुंड़ों के साथ मिली भगत का आरोप है। बताया जा रहा है कि जमीन पर कब्जे की कोशिश करने वाला रामनयन यादव और हरिओम जान से मारने की धमकियां देने के बावजूद कभी पुलिस चौकी में बातचीत के लिए आने की बात कर रहा है,तो कभी पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक अंगद यादव के घर पर मामले की निपटारे की बात कर रहा है। जिला पुलिस अधिक्षक से शिकायत करने के बावजूद न तो कोई गिरफ्तारी की गई है और न ही मामले में एफआईआर दर्ज की जा रही है। इतना ही नहीं छह मार्च की शाम को गुंड़े राजीव यादव के घर पर भी चढ़ आये । राजीव यादव व उनके परिजनों से जमीन का कब्जा छोड़ने या फिर उसके एवज में तीन लाख रुपये देने की शर्त रखी जा रही है। जिसतरह असामाजिक तत्वों के हौंसले बुलंद हैं,उससे मानवाधिकार कार्यकर्ता और उनके परिजनों पर जानलेवा हमले की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इससे यह भी पता चलता है कि गुंडाराज का विरोध कर सत्ता में पहुंची पार्टी किस कदर गुंड़ागर्दी की पोषक बनी हुई है। मुख्यमंत्री मायावती का इस तरह के मामलों पर लापरवाह रवैय्या हैरानी पैदा कर रहा है। वे न केवल अपने कर्तव्यों के निर्वाह में विफल हो रही हैं,बल्कि जनप्रतिनिधित्व में विश्वास रखने वाली जनता के सामने विकल्पहीनता का संकट पैदा कर रही हैं। यही कारण है कि पूरे प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारियों की नैतिकता दांव पर है। वे न केवल इन नेताओं के अपराध के भागीदार और संरक्षक बन गये हैं,बल्कि खुद भी नेताओं की गुंडागर्दी का शिकार बन रहे हैं। ऐसे में साधारण व्यक्ति की सुरक्षा का संकट गहराता जा रहा है। लिहाजा मानवाधिकार आयोग के साथ-साथ प्रदेश तमाम आला अधिकारियों व मुख्यमंत्री से मानवाधिकार कार्यकर्ता राजीव यादव व उनके परिजनों को मिल रही धमकी और जमीन के अवैध कब्जे के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की जा रही है।
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