06 अगस्त 2010

राष्ट्पति के नाम खुला खत

वीएन राय को कुलपति पद से हटाने की मांग को लेकर
महोदया,
पिछले दिनों महात्मा गांधी अर्न्तराष्ट्ीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति वीएन राय ने नया ज्ञानोदय में दिए साक्षात्कार में स्त्री विरोधी टिप्पड़ी की। इस बात की पूरे समाज ने एक स्वर में भर्त्सना की। लेकिन बावजूद इसके उन्होंने शुरु में न सिर्फ समाज के सामने सार्वजनिक तौर पर बेहयाई से अपनी बात को तमाम जनमाध्यमों के द्वारा न्यायोचित ठहराने की कोशिश की बल्कि दबाव पड़ने पर एक पित्रसत्तामक अहंकार वाली भाषा में माफी मांग कर अपने कुलपति पद को बचाने की कोशिश की। उनके इस पैतरे को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने भी बड़ी सहजता से स्वीकारते हुए उन्हें क्लीन चिट देने की घोषणा कर दी। हमारा मानना है कि अव्वल तो कुलपति जैसे अहम ओहदे के लिए ऐसे निक्रिष्ट सोच वाला व्यक्ति उपयुक्त नहीं हो सकता। दूसरा जो ज्यादा महत्वपूर्ण है वो यह कि वीएन राय ने यह गाली पूरे समाज को दिया है। इसलिए उसे माफ करने का अधिकार किसी मंत्री को नहीं हो सकता। क्योंकि विश्वविद्यालय समाज निर्माण के बुनियादी आधार हैं। और उन पर देश के भविष्य के अच्छे-बुरे होने का दारोमदार टिका होता है। इसलिए कम से कम समाज विरोधी टिप्पड़ी करने वाले किसी कुलपति के अपने पद पर बने रहने या हटा दिए जाने के फैसले को जन भावनाओं को अनदेखा कर नहीं लिया जा सकता। और जहां तक जनभावनाओं का सवाल है तो तमाम जगह वीएन राय को कुलपति पद से हटाने की मांग वाले प्रतिरोध की खबरें बताती हैं कि समाज क्या चाहता है।

इस सबके बावजूद मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा वीएन राय को बचाने की कोशिश में दिखाई गयी तत्परता यह बताती है कि ऐसे कुलपति के बने रहने में कथित मंत्रालय का भी अपना कोई छुपा हुआ हित है। यहां गौरतलब है कि वीएन राय पर कुलपति काल के दौरान वर्धा विश्वविद्यालय में अकादमिक भ्रष्टाचार से लेकर दलित विरोधी और जातिवादी हाने तक के आरोप लगातार लगते रहे हैं। कुछ आरोप मुलाहिजा फरमाएं- अपने सजातीय अनिल अंकित राय जिन पर नौ महीने में सत्रह किताबें- दस अंग्रेजी, सात हिन्दी, जो उन्होंने दुनिया भर के विभिन्न लेखकों की किताबें की नकल करके लिखीं हैं जिसके खिलाफ लगातार जांच की मांग उठती रही है, को पत्रकारिता विभाग का अध्यक्ष बना दिया। दलित अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर कारुण्यकरा को अम्बेडकर दर्शन पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पर नोटिस दी गयी तो वहीं दलित छात्र राहुल काम्बले को उसकी मेरिट को दरकिनार कर दाखिला नहीं दिया गया। जिसके खिलाफ वर्धा में ऐतिहासिक आंदोलन हुआ। ऐसे तमाम गंभीर आरोप वीएन राय पर हैं।

ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी हो जाता हैै कि आखिर वे कौन सी वजहें हैं जिसके चलते वीएन राय अब तक कुलपति बने हुए हैं और मानव संासधन मंत्रालय उन्हें खुली छूट दिये हुए है। अतः हम मांग करते हैं कि वीएन राय को तत्काल उनके पद से बर्खास्त किया जाए और पूरे प्रकरण में मानव संसाधन मंत्रालय की संधिग्ध भूमिका की जांच करायी जाय।

जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी ;जेयूसीएसद्ध दिल्ली इकाई द्वारा जारी। शाह आलम, गुफरान खान, नीरज कुमार, मुकेश चौरासे, सैयद अली अख्तर, देवाशीष प्रसून, शाहनवाज आलम, विवके मिश्रा, राजीव यादव, विजय प्रताप, ऋषि सिंह, अवनीश राय, अरुण उरांव, राघवेंद्र सिंह, प्रबुद्ध गौतम, राकेश, रवि राव, शिव दास।अवनीश राय, अलका सिंह, अंशुमाला सिंह, श्वेता सिंह, नवीन कुमार, अर्चना महतो, तारिक शफीक, मसिहुद्दीन संजारी, दीपक राव,  आकाश, नाजिया अन्य साथी

संपर्क – 9873672153, 9910638355, 9313129941, 09911300375

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