04 जनवरी 2011

डॉ. सेन को अविलंब उचित न्याय दिलाने की

पी.यू.सी.एल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, डॉ. बिनायक सेन को राजद्रोह के
आरोप में छत्तीसगढ़ सेशंस न्यायालय द्वारा आजीवन सश्रम कारावास की सजा
सुनाये जाने के विरोध में आज पी. यू. सी.एल., उदयपुर द्वारा एक सभ
प्रसिद्द मानवाधिकार कार्यकर्ता, समर्पित चिकित्सक और पी.यूं.सी.एल के
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, डॉ. बिनायक सेन को राजद्रोह के आरोप में छत्तीसगढ़ सेशंस
न्यायालय द्वारा आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाये जाने के विरोध में आज पी.
यू. सी.एल., उदयपुर द्वारा एक सभा का आयोजन किया गया. सभा में वक्ताओं ने
न्यायिक प्रक्रिया के खोखलेपन पर प्रहार करते हुए छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा
अधिनियम जैसे काले क़ानून को फ़ौरन रद्द करने और डॉ. सेन को अविलंब उचित न्याय
दिलाने की मांग की.

पी.यू.सी.एल., उदयपुर  की अध्यक्ष श्रीमती चन्द्रा भंडारी ने कहा कि आज
मानवाधिकारों के हनन की पराकाष्ठा को देखाकर प्रतीत होता है कि दूसरी आजादी के
लिए लड़ाई लड़ने का वक्त आ गया है. सेवा मंदिर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी
सुश्री नीलिमा खेतान ने कहा कि बिनायक सेन को प्रतीक बनाकर छत्तीसगढ़ विशेष जन
सुरक्षा अधिनियम जैसे दमनकारी कानूनों के विरुद्ध जनचेतना जागृत की जानी चाहिए.
वरिष्ठ अधिवक्ता श्री. रमेश नंदवाना ने कहा, कि पूरी न्यायिक प्रक्रिया संदेह
के घेरे में है. राजस्थान में न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया में रिश्वत के आरोप
लग रहे हैं. सी.पी. आय. के पूर्व विधायक कॉ. मेघराज तावड़ ने कहा कि इस दमन के
खिलाफ सभी को संगठित होकर व्यवस्था पर चोट करनी होगी.

सी. पी एम्. के  राज्य सचिव कॉ. बंसीलाल सिंघवी ने कहा कि पहले अयोध्या और अब
बिनायक सेन - ये दोनों ही फैसले राज्य सत्ता के असली चरित्र को उजागर करते हैं.
मीडिया और न्यायलय दोनों ही इस दमन तंत्र के पुर्जे बनकर आ रहे हैं. जनता दल
(से.) के अर्जुन देथा ने कहा कि यह फैसला दरअसल सरकार द्वारा एक तरह की चेतावनी
है कि जो भी जनता के बीच रहकर जन अधिकारों की बात करेगा, उसका यही हश्र किया
जायेगा. प्रसिद्द चिन्तक और कवि श्री नन्द चतुर्वेदी ने कहा कि राज्य का ऐसा ही
क्रूर चरित्र है .राज्यसत्ता के ऐसे ही चरित्र के कारण गांधी अराजकतावादी थे .
विद्या भवन सन्दर्भ केंद्र के निदेशक श्री. हृदयकांत दीवान ने कहा कि आज अगर
महात्मा गांधी जीवित होते तो  राज्यसत्ता द्वारा माओवादी करार दिए जाते. जागरुक
युवा संघटन के  कॉ. डी. एस. पालीवाल ने कहा कि असली खतरा माओवाद नहीं बल्कि खनन
माफिया है जिसके इशारे पर राज्यतंत्र जन अधिकारों की आवाज बुलंद करने वालों के
दमन कर रहा है. आस्था संस्थान के श्री अश्विनी पालीवाल ने कहा कि राजस्थान में
भी आदिवासियों से जल, जंगल जमीन हड़प लेने का खेल चल रहा है.
पी.यू.सी.एल., उदयपुर के श्रीराम आर्य ने सभी द्वारा इसके विरुद्ध साझे विरोध
प्रदर्शन की बात रखी .अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन की श्रीमती सुधा चौधरी
ने कहा कि इसके विरुद्ध रैली निकाली जानी  चाहिए जिसमें उनका संगठन शामिल होगा
.उपस्थित सभी व्यक्तियों और सगठनों ने इन दोनों वक्ताओं की बात का पुरजोर
समर्थन किया .आस्था की श्रीमती जिनी श्रीवास्तव ने कहा कि दुनिया भर में इस के
विरुद्ध प्रदर्शन हो रहे हैं और उदयपुर को भी इसमें अपनी आवाज़ मिलानी चाहिए .

 सभा में सभी उपस्थित प्रतिभागियों ने बिनायक सेन को जन्मदिन की बधाई देते हुए
केंद्रीय कारागार ,रायपुर के पते पर  उनके समर्थन में पोस्टकार्ड लिखे .
ज्ञातव्य है कि ४ जनवरी को डॉ.सेन का जन्मदिन है . सभा में इस मुद्दे से
सम्बंधित अनिल मिश्रा और प्रणय कृष्ण के आलेख भी वितरित किये गए और हिमांशु
पंड्या ने इलाहाबाद के कवि मृत्युंजय  की कविता 'बीर बिनायक बांके दोस्त 'का
पाठ भी किया . सभा में बड़ी संख्या में अन्य नागरिकों, विद्यार्थियों और
बुद्धिजीवियों  की भी भागीदारी रही .
 सभा का संचालन कर रहे पी.यूं.सी.एल., उदयपुर के उपाध्यक्ष अरुण व्यास ने
आव्हान किया  कि  नागरिकों एवं संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में होने वाले
विरोध मार्च में सभी अधिक से अधिक संख्या में भाग लें .


प्रज्ञा जोशी

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