13 जुलाई 2011

अखबारों की सांप्रदायिकता पर चिंतित थे साजिद

राजीव यादव
साजिद रशीद के मृत्यु की खबर जब मिली तो हमें उनका वह फोन याद आया जिसे उन्होंने पिछले साल अगस्त महीने में अयोध्या फैसले के आने से पहले किया था। हम सबने पत्रकार संगठन जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस) की तरफ से अयोध्या फैसले के आने से पहले समाचार माध्यमों की मानिटरिंग करते हुए कुछ अखबारों को सांप्रदायिक खबर छापने के लिए चिन्हित करते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। साजिद को यह प्रेस विज्ञप्ति कहीं से प्राप्त हुई तो उन्होंने फोन किया और जेयूसीएस के बारे में पूछा और कहा कि अब तक तो ऐसी रिपोर्टें आमतौर से किसी सांप्रदायिक घटना के बाद आती थीं पर यह कोशिश काबिले तारीफ है। पत्रकार संगठनों की मौजूदा सामाजिक भूमिका पर साजिद काफी चिंतित थे। वे कहते थे कि पत्रकार अपने निजी सवालों से आगे बढ़कर नहीं सोच रहे हैं, आने वाली नस्लों के लिए बेहतर समाज के निर्माण में यह एक बड़ी बाधा है। सांप्रदायिक खबरों की मानिटरिंग के इस अभियान में वे देशभर के तमाम पत्रकार जो इस अभियान को सफल बनाने में हम सबके साथ थे के साथ एक अच्छा अभियान चलाया गया। इस दौरान उत्तर प्रदेश और दिल्ली से की जा रहीं खबरों की यह मानिटरिंग उनके अखबार सहाफत में मुबंई में मुख्य पृष्ठ पर छपने लगी।
इस अभियान के दौरान जेयूसीएस ने दैनिक जागरण पर सांपदायिकता फैलाने का अरोप लगाया था और उस दौरान मुंबई से निकलने वाले अखबार इंकलाब को जागरण समूह द्वारा खरीदे जाने पर कई सवाल उठाए थे। इस पर दैनिक जागरण समूह ने सहाफत को एक नोटिस भी भेजी थी। जिस पर साजिद ने फोन किया और बताया तो हमने प्रेस कांउसिल की उस रिपोर्ट को निकाला और साजिद को भेजा जिस पर एक अच्छा अभियान चला।
इसके कुछ ही दिनों बाद साजिद रशीद लखनऊ में रुपरेखा वर्मा के एक कार्यक्रम में नवंबर में आनेवाले थे। साजिद रशीद से कई बार फोन पर बात हुई और इस कार्यक्रम में मिलने की बात हुई जो पूरी नहीं हो सकी। इस बीच अक्टूबर महीने में जब टीवी नाइन में अजीत साही के बुलाने पर मुबंई जाना हुआ था, पर संयोगवश मुलाकात नहीं हो सकी। 
साजिद और मेरी लंबे समय तक बात चली और साजिद ने पीयूसीएल द्वारा उठाई गई कई सांप्रदायिक घटनाओं को प्रमुखता से अपने पेपर में मुंबई में उठाया चाहे वो इंदौर और जबलपुर में भगवा ब्रिगेड द्वारा चलाए जा रहे हिंदू योद्धा भर्ती अभियान रहा हो या फिर गोरखपुर के बरगदवां में हिंदू युवा वाहिनी के नेताओं द्वारा शोहराब को पीट-पीटकर मार डालने की खबर हो, साजिद ने हर समय सांप्रदायिकता विरोधी इस मुहीम में हमारा साथ दिया।
पिछले दिनों जब हमने भगवा युद्ध (सैफरनवार) फिल्म बनाई तो उसे साजिद को भेजा और भेजने के बाद एक बार बात हुई इसके बाद उनसे बात करने का एक लंबा अंतराल रहा, जिसे अब कभी किसी वार्ता के जरिए भरा नहीं जा सकता। पिछले दिनों शबनम हासमी द्वारा मुंबई में संघ के टेरर ट्रायल पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुंबई जाना हुआ तो सोचा कि अबकि बार मिलेंगे। वहां हमने मुंबई की इस यात्रा के दौरान मित्र बने इटीवी के पत्रकार मोहिउद्दीन से साजिद रशीद से मिलने के बारे में बताया तो उन्होंने बताया कि साजिद रशीद शाम को अखबार के दफ्तर आते हैं। समय की कमी ने जीवन भर साजिद रशीद से मुलाकात को अधूरा कर दिया।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

Dear

Mr. Rajev Yadav ....

You seem to be very concerned over
the so called anti-Muslim attitude of RSS. I wonder whether you ever showed such kinds of concerns over the anti- Hindu or anti-India elements. If you really ever did this, please let me know.

You people have been unsuccessful till now because of your one sided attitude-your extremely pro-Muslim attitude. Believe me the real secular people like me will never let you fulfill your dreams of destabilize India and the End of Hindus because Hindus also have as much right to live as Muslims have.

अपना समय