tag:blogger.com,1999:blog-4056204975750408038.post1604104799816125730..comments2023-08-14T15:48:14.623+05:30Comments on नई पीढ़ी: लोकतंत्र की नर्सरी के बिना कैसा लोकतंत्रनई पीढ़ीhttp://www.blogger.com/profile/13439627440666276409noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4056204975750408038.post-15047430859954672342009-06-08T11:24:32.763+05:302009-06-08T11:24:32.763+05:30राजीव जी, आपकी पोस्ट काब़िले ताऱीफ है। दरअसल इस द...राजीव जी, आपकी पोस्ट काब़िले ताऱीफ है। दरअसल इस देश को किस दिशा में मोड़ना है, क्या सही है और क्या गलत ये पॉलीसी मेकर का काम होता है, और पॉलिसी मेकर बनानें की फैक्टरी ही बंद कर दी जाएगी तो पॉलीसी का विदेशों से आयात करना ही वाज़िब कहलाया जाएगा। हमारे देश में ऐसा ही कुछ हो रहा है, हमारे आज के युवा विदेशों से पढ़कर आए हमारे नेताओं के बेटों को ही देश के युवाओं का प्रतिनिधि मानतें है। मैं दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में 7 साल से भी ज्यादा समय तक सक्रीय रहा, मैंनें डीयू की राजनीति को समझा कि वहां आनें वाले दस साल तक अभी और ग्लैमर और पैसों की राजनीति ही चलेगी और हो सकता है कि उससे ज्यादा समय भी लग जाए। दरअसल 2002 के बाद से अगर इस बार 08-09 के चुनावों को छोड़ दे तो डीयू के अध्यक्ष पद पर कांग्रेस का छात्र संगठन एनएसयूआई ही जीतता है,और सीटों के बहुमत के आधार पर भी वो ही जीतता आया है। कारण मैं बता चुका हूं, कांग्रेस को पता है कैसे डीयू का राजनीति में मनी-मसल-ग्लैमर की राजनीति ही जीत का मूल मंत्र है। लिंगदोह कमेटी के बाद हुए चुनावों में मसल की क्षमता थोड़ी घटी है लेकिन बाकी चीजें जस की तस बनीं हुई है। और यही फार्मूला कांग्रेस नें राजनीति की मुख्य धारा में अपनें चिकनें चेहरों वाले विदेशी ब्रांड के नेताओं को युवा ब्रिगेड के नाम पर उतार कर साबित कर दिया। देश के युवा की परिभाषा ही बदल दी, देश का युवा सवाल न करे, देश के युवा में की सोच को तकनीकि शिक्षा के माध्यम से इतना संकीर्ण कर दिया जाए कि वह महज नौकरी पानें तक के लिए पढे और चुप करके बैठ जाए औऱ विज्ञापन के प्रभाव के कारण केवल दोस्तों में खीझ के डर से वोट डालनें को अपनी सबसे बढ़ी उपलब्धी मानकर देश की बागडोर सौंप दें एक कॉर्पोरेट कंपनी के हाथों में जो अपनें फायदों के हिसाब से पॉलिसी बनाए। आपकी बात में दरअसल हांजी के भाव वाले युवाओं की आवाज का विरोध है, ये हांजी का माहौल किस नें बनाया है, क्या कारण रहा होगा कि देश के युवा आज सहीं गलत के विरोध में मोमबत्ती लेकर तो सड़क पर उतरनें का शौक रखतें है पर छात्र संघ को सही मयनों में जीवीत रखनें का मागदा नहीं। मैं बताता हूं ये जो पॉलीसी मेंकिंग की बात मैनें कही ना, ये ऐसा तुर्रा है कि जनता के मुंह से हांजी के अलावा कुछ न निकले, आप इतनें लोगों को अंधा बना दो की आपको कानें को राजा मानना ही पड़े।नवीन कुमार 'रणवीर'https://www.blogger.com/profile/17518069543329053477noreply@blogger.com