13 मार्च 2008

आतंकी पैदा करती एसटीएफ

यूपी में एक के बाद एक आतंकी घटनाओं के बाद एसटीएफ की गिरफ्तारियों के पोल खुलते जा रहें हैं । पीयूएचआर और यंग जर्नलिस्ट एसोसिएसन की जांच रिपोर्ट के रामपुर सीआरपीएफ कैम्प पर हमले के सिलसिले में प्रतापगढ़ के कौसर फारुकी की गिरफ्तारी बिल्कुल फर्जी है। उसे एसटीएफ ने ९ फ़रवरी को कुंडा से उठाया था। उस पर आरोप है की कैम्प हमले में प्रयुक्त असलहे उसी के घर रखे गएँ थेऔर इस घटना में शामिल एक आतंकी सुहैल उसके घर रुका था। स्थानीय मीडिया में उसके कई बार पाकिस्तान जाने , उसकी बहनो का सम्बन्ध पाकिस्तान से होने जैसी मनगढ़ंत बातें आई। कौसर १९९० से ही सउदी अरब मं रहता था। लेकिन २ वर्ष पहले वहां अपने छोटे भाई को रखकर वापस अपने वतन आ गया। कुंडा में ही उसकी इलेक्ट्रानिक के समानो की एक दुकान है जहाँ से उसे उठाया गया। जिस आतंकी सुहैल की बात एसटीएफ कर रही है वह भी उसके साथ सउदी में काम करता था। उसके पास से ही मिले पते के आधार पर कौसर को उठाया गया। कौसर को जिस सीआरपीएफ कैम्प पर हमले के में शामिल दिखाया जा रहा है वह १ जनवरी को हुई थी और उसी दिन कौसर आपनी दुकान को नई जगह शिफ्ट कर रहा था। इस बात का पुख्ता सुबूत वह इकरारनामा भी है जो उसने नई दुकान के मालिक से किया था। असलहे के सम्बन्ध में प्रतापगढ़ के एसपी आर के श्रीवास्तव एसटीएफ का हवाला देते कहते हैं कि 'असलहे उसके रामपुर वाले माकन में रखे गए थे।' जबकि कौसर के पिता हाजी कदिरुद्दीन का कहना है कि उनका रामपुर में कोई मकान नहीं है। वह कहते हैं की 'मकान तो क्या वह या उनके परिवार का कोई भी सदस्य कभी रामपुर गया भी नही है।'
उत्तर प्रदेश में कौसर जैसे लोगों को आतंकी बता कर की जा रही यह गिरफ्तारियां किसी खतरनाक इरादे की ओर इशारा करती हैं। आतंकवाद के नाम पर प्रदेश की मायावती सरकार का सांप्रदायिक चेहरा धीरे धीरे उजागर होने लगा है। नया कानून यूपी कोका इसी की एक कड़ी के रूप में है, जिसमें इस तरह की गिरफ्तारियों के लिए पुलिस और एसटीएफ को और अधिकार देती है।

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