29 सितंबर 2008

परिजनों ने माँगा इंसाफ


अंबरीश कुमार

लखनऊ २५ सितम्बर। देश के विभिन्न भागों में आतंकवादी घटनाओं के सिलसिले में गिरफ्तार कुछ अभियुक्तों के परिजनों ने आज यहां विधानसभा पर धरना दिया और अपनी व्यथा सुनाई। इन लोगों ने कहा जो धमाके करता है, उसको पकड़ो पर जो बेगुनाह है, उसे न फंसाओ। यह धरना आतंकवादी घटनाओं में गिरफ्तार बेगुनाह लोगों की आवाज उठाने के लिए आयोजित किया गया था। जिसमें जम्मू-कश्मीर से लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों के लोग शामिल हुए। यह धरना पीयूसीएल, पीयूएचआर, अयोध्या की आवाज, जनर्लिस्ट यूनियन फार सिविल सोसाइटीज, यंग जनर्लिस्ट एसोसिएशन, इप्टा, आशा परिवार, सांङाी दुनिया और एनएपीएम की तरफ से आयोजित किया गया था। धरना में शामिल संगठनों ने सभी आतंकवादी घटनाओं की जंच सीबीआई से कराने की मांग की। साथ ही आतंकवादी घटनाओं के सिलसिले में पैरवी करने वाले वकीलों की सुरक्षा की मांग की गई।पीयूसीएल के राष्ट्रीय संगठन सचिव चितरंजन सिंह ने आज यहां कहा कि न्यायपालिका से लेकर पुलिस तक का चरित्र सांप्रदायिक होता ज रहा है। यह चिंता का विषय है। चितरंजन सिंह ने आगे कहा-नांदेड़ से लेकर कानपुर तक जो घटनाएं हुई हैं, उनके पीछे सांप्रदायिक ताकतों का हाथ रहा है पर राज्य सरकारों ने इन लोगों के खिलाफ वाजिब कार्रवाई न करके शह देने का काम किया है। सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे ने कहा-देश में आतंकवादी घटनाओं की शुरूआत बाबरी मस्जिद ध्वंस के बाद से हुई और अमेरिका में हुए आतंकवादी हमले के बाद इसमें तेजी आई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आतंकवादी घटनाओं के नाम पर जो लोग पकड़े ज रहे हैं, उनके खिलाफ ठोस सबूत तक नहीं मिल रहे हैं। दूसरी तरफ अप्रैल, 2006 में महाराष्ट्र के नांदेड़, जनवरी 2008 में तमिलनाडु के तरूनेलवेल्ली जिले स्थित तेनकाशी, जून 2008 में महाराष्ट्र के गड़करी रंगायतन और अगस्त 2008 में कानपुर की घटना में हिन्दुत्ववादी सांप्रदायिक संगठनों की संलिप्तता साबित हुई है लेकिन किसी भी घटना की विवेचना गंभीरता से नहीं की गई। धरना को संबोधित करने वाले वक्ताओं में एसआर दारापुरी, सिद्धार्थ चौधरी, मुहम्मद शोएब, बलवंत यादव और आजमगढ़ से सरफराज कमर शामिल थे। धरना में रामपुर बम धमाकों से लेकर अमदाबाद बम धमाकों में गिरफ्तार अभियुक्तों के परिजन फरियाद लगाने आए थे। लखनऊ, फैजबाद और बनारस में २३ नवंबर, 2007 को हुए कचहरी बम कांड के सिलसिले में गिरफ्तार सज्जादुरहमान के पिता गुलाम कादिर जम्मू के किस्तवार जिले से इस धरना में शामिल होने आए थे। बुजुर्ग गुलाम कादिर ने बताया कि उनका लड़का सज्जादुरहमान देवबंद में पढ़ता था और जिस दिन कचहरी के बम धमाके हुए, उस दिन वह देवबंद में पढ़ाई कर रहा था। हाजिरी रजिस्टर में उसकी उपस्थिति भी दर्ज है। पर पुलिस ने उसे २२ दिसम्बर, 2007 को किस्तवार से उठाया जब वह छुट्टियों में घर आया था। बाद में लखनऊ में उसकी गिरफ्तारी दिखाई गई।रामपुर के सीआरपी कैम्प में हुए बम धमाके के सिलसिले में मुरादाबाद के मिलक कामरू कस्बे में पंचर जोड़ने वाले जंग बहादुर के घर रात में पुलिस पहुंची और कहा कि साहब की गाड़ी पंचर हो गई है, साथ चलो पंचर बनाना है। फिर वह घर ही नहीं वापस पहुंचा। दो दिन बाद घरवालों को पता चला कि पुलिस ने जंग बहादुर को रामपुर के सीआरपी कैम्प में ३१ दिसम्बर, २00७ में हुए बम धमाके में जेल भेज दिया है और आरोप लगाया कि वह बरेली में अपने साथियों के साथ बम विस्फोट की योजना बना रहा था। तब से वह आतंकवादी हो गया और लखनऊ जेल में बंद है। अब उसका बेटा शेर अली लखनऊ में उससे मिलने आया तो रो पड़ा कि हमारा घर तो तबाह हो गया।इसी तरह आजमगढ़ के मड़ियाहू जवनपुर के मो। जहीर आलम फलाही ने बताया कि उनके भतीजे खालिद को १६ दिसम्बर,2007 को मड़ियाहू मार्केट से पुलिस ने उठाया और २२ दिसम्बर को उसकी गिरफ्तारी बाराबंकी रेलवे स्टेशन से भारी मात्रा में आरडीएक्स के साथ दिखाई। उसे लखनऊ व फैजबाद बम कांड से जोड़ दिया गया। इसी प्रकार बिजनौर के तारापुर में रहने वाले किसान अब्दुल सलाम ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उनका लड़का याकूब अपनी बीमार बेटी की दवाई लेने नगीना गया था, वहीं अचानक पुलिस ने उसे नौ जून, 2007 को पकड़ लिया। बाद में पुलिस ने उसे 20 जून को चारबाग लखनऊ स्टेशन में पकड़ा दिखाया। इसी तरह बिजनौर के एक और किसान मो. शफी का लड़का नौशाद मजदूरी करने राजस्थान के अलवर गया था, पुलिस ने उसे वहां से 20 जून को उठाया और लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन में २३ जून को गिरफ्तार दिखाया। इनके पास से भारी मात्रा में आरडीएक्स और हथगोले बरामद भी दिखाए। इसी तरह बिजनौर के बढ़ापुर के हामिद हुसैन का लड़का नासिर षिकेश के मुनि की रेती आश्रम में मजदूरी कर रहा था जब पुलिस ने उसे 20 जून को पकड़ा लेकिन २१ जून को उसे लखनऊ में पकड़ा दिखाया।

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