14 सितंबर 2008

तठस्थ के प्रति - गोरख पांडे की एक छोटी कविता


चैन की बाँसुरी बजाइये आप

शहर जलता है और गाइये आप

हैं तटस्थ या कि आप नीरो हैं

असली सूरत ज़रा दिखाइये आप

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अपना समय