22 अप्रैल 2009

...तकदीर का कारीगर

प्रवीण मालवीय

कोटा। गोपाल लाल के हाथों ने जिंदगी भर दूसरों के आशियाने ही बनाए, लेकिन उसकी इच्छाशक्ति ने हार नहीं मानी। "तकदीर के इस कारीगर" ने मेहनत और आत्मविश्वास की बदौलत अपने बच्चों को उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। उसके पांच बच्चों में दो बेटे आईआईटीयन और दो बेटियां इंजीनियर हैं। एक अन्य बेटी शिक्षिका है।हर बच्चे के पीछे गोपाल की मजबूत प्रेरणा थी। जिसका फलसफां है कि "इंसान खुद अपनी ही नहीं अपने परिवार की भी तकदीर लिख सकता है।"

सपना पूरा हुआ
जिन्दगी भर सीमेंट और रेत से ईंटों को चुनते हुए गोपाल की आंखो में एक ही सपना था कि वह जिन ऊंचाइयों तक नहीं पहुंचा, वहां उसके बच्चे पहुंचे। छावनी रामचंद्रपुरा में रहने वाले गोपाल ने तीसरी तक पढाई की, लेकिन शिक्षा का महत्व बखूबी जाना और उन्हीं अल्प शिक्षित हाथों से एक-एक कर आईआईटीयन और इंजीनियर निकलते रहे। गोपाल ने बरसों पहले ही इरादा कर लिया था। तीन दशक तक वह दिहाडी मजदूरी करता रहा और पेट काट कर अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढाता रहा।
गोपाल का उसकी पत्नी केलीबाई हर कदम पर साथ दिया। बच्चों की पढाई के लिए बरसों तक दोनों ने साथ-साथ मजदूरी की।

अब जाकर आया चैन
गोपाल का बडा बेटा तारांचद पहले प्रयास में ही आईआईटी में प्रवेश पा गया। उसने दिल्ली से आईआईटी की। बडी बेटी ललिता बीएड के बाद आरपीएससी पास कर द्वितीय ग्रेड शिक्षिका बन गई। छोटे बेटे कैलाशचंद को तीन प्रयासों तक आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफलता नहीं मिली, लेकिन गोपाल ने भी हार नहीं मानी। वह कैलाश को प्रेरित करता रहा। आखिर पंाचवे प्रयास में उसे मुम्बई आईआईटी में प्रवेश मिल गया।
दूसरी बेटी टीना ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की तो सबसे छोटी बेटी नीलू भी उसके पद चिह्नों पर चलते हुए मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई कर रही है।

बहुराष्ट्रीय कम्पनी में
गोपाल का बडा बेटा ताराचंद फिलहाल अमरीका में बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत है। दूसरा बेटा कैलाशचंद मुम्बई में भारत पेट्रोलियम में अधिकारी है। बेटी टीना दिल्ली में जानी-मानी निजी कम्पनी में उ“ा पद पर कार्य कर रही है।

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