05 मई 2009

वंशवाद की छाँव तले लोकतंत्र का नाटक


पंजाब की पूरी राजनीति पर है ६ परिवारों का कब्जा

प्रदीप सिंह

विश्व के लोकतंत्रिक इतिहास में भारत ऐसा देश है, जहां परिवारवाद की जड़ें गहरी धंसी हुई है। यहां एक ही परिवार के कई व्यक्ति लंबे समय से प्रधानमंत्री और केन्द्रीय राजनीति की धुरी रहे हैं। आजादी के तुरंत बाद शुरू हुई वंशवाद की यह अलोकतानात्रिक परंपरा अब काफी मजबूत रुप ले चुकी है। राष्ट्रिय राजनीति के साथ-साथ राज्य और स्थानीय स्तर पर इसकी जड़े इतनी जम चुकी है कि देश का प्रजातंत्र परिवारतंत्र नजर आता है। इस परिवारतंत्र को कितना लोकतांत्रिक कहा जा सकता है, यह सवाल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।
देश के समृद्वतम राज्य पंजाब भी इससे अछूता नहीं है। या यूं कहें विभिन्न राज्यों की तुलना में पंजाब की राजनीति में सबसे ज्यादा परिवारवाद हावी रहा है तो गलत नहीं होगा। यहां शुरू से अब तक छह परिवारों (कैरो, बादल, बरार, मजीठिया, पटियाला राजघराना और बेअंत सिंह परिवार) का हीं दबदबा कायम है। इसी छह परिवारों के माननीय सदस्य अघिकतम समय तक पंजाब के मुख्यमंत्री पद को सुशोभित करते रहे है। इसके साथ ही मान और भट्ल परिवार इस सरकारी कुनबे में गलबहियां डाले नजर आता है। सत्ता और संगठन की कंुजी इसी परिवार में से किसी के पास रहती है। बाकी के सारे नेता, मंत्री दरबारी की हैसियत से ज्यादा कुछ नजर नहीं आते हैं। इन परिवारों की आपसी समझ,राजनीति और आपस में एक दूसरे के यहां रिश्तेदारियों का समिश्रण अनूठा है। इस दिलचस्प राजनीतिक रसायन का एक उदाहरण सामने है।
आदेश प्रताप सिंह कैरों पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के पौत्र एवं सुरिंदर सिंह कैरों के पुत्र कांग्रेस से कई बार सांसद रहे हैं। ये वर्तमान मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के दामाद और पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बराड़ के भांजे है। आदेश प्रताप सिंह कैरों के भाई गुर प्रताप सिंह कैरों भी राजनीति के पाठशाला में दाखिल है।
पंजाब सरकार के कैबिनेट की तस्बीर इस बात को पुष्ट करने के लिए काफी है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली सरकार में उनके पुत्र सुखबीर सिंह बादल उप मुख्यमंत्री, मनप्रीत सिंह बादल (भतीजा) वित्तमंत्री, आदेश प्रताप सिंह कैरों (दामाद एवं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के पौत्र) खाद्य आपूर्ति मंत्री, जनमेजा सिंह (बादल के करीबी रिश्तेदार) सिचाई मंत्री है।बिक्रमाजीत सिंह मजीठिया (सुखबीर सिंह बादल का साला) कुछ दिनों पहले ही मंत्री पद से इस्तीफा दिए है। अब वह शिरोमणि अकाली दल युवा शाखा के प्रदेश प्रधान है। प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर अकाली दल महिला शाखा की संरक्षक हैं। बादल की बहू हरसिमरत कौर की चर्चा यदि न की जाये तो इस समय पंजाब की राजनीति के मर्म को नहीं समझा जा सकता है। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जनजागरण अभियान से राजनीति की शुरुआत करने वाली हरसिमरत कौर बीबी जी के नाम से मसहूर है। भटिंडा से वह लोकसभा का चुनाव अपनी पारिवारिक पार्टी अकाली दल की उम्मीदवार है। इसी सीट पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और पटियाला राजघराने के वारिस कै अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंदर सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी है। इस सीट पर दोनों परिवारों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। हरसिमरत कौर बादल की बहू होने के साथ ही जवाहर लाल नेहरु के मंत्रिमंडल के सदस्य रह चुके सत्यजीत सिंह मजीठिया की पुत्री है। दोनों परिवारों के दर्जनों सदस्य इस समय पंजाब की राजनीति में सक्रिय है।
बिक्रमजीत सिंह मजीठिया कहते है कि हमारा परिवार महाराजा रणजीत सिंह के समय से जनता की निस्वार्थ सेवा कर रहा है। आजादी के पहले और अजादी के बाद पंजाब की जनता की सेवा और पंजाबियत की रक्षा करता रहा है हम पार्टी के वफादार और ईमानदार सेवक है। गौरतलब है कि अब बिक्रमजीत सिंह अकाली दल में है। इनकी पिछली पीढ़ी के लोग कांग्रेस के वफादार सेवक रहे है।
पटियाला राजपरिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की राजनीति में सक्रियता काफी लंबे समय से है। देश भर में इस राजपरिवार के लगभग एक दर्जन लोग सत्ता का आनंद लोकतंत्र की सेवा करके ले रहे है। कै अमरिंदर सिंह वर्तमान में विधायक है। उनकी पत्नी महारानी परणीत कौर निवर्तमान लोकसभा में सांसद है। इस आम चुनाव में पटियाला संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की प्रत्याशी है। बेटा रणइंद्र सिंह भठिंडा से लोकसभा का चुनाव लड़ रहा है। कै0 अमरिंदर की चाची और पूर्व सांसद बीबा अमरजीत कौर इस चुनाव में अकाली दल का दामन थाम चुकी है। संसद में कृपाण के साथ प्रवेश करने की जिद करने वाले सिमरनजीत सिंह मान कै अमरिंदर सिंह के साढ़ू है। फिलहाल वे और उनका कृपाण इस समय संसद के बाहर है। पूर्व विदेश मंत्री कुं नटवर सिंह, उनके विधायक बेटे जगत सिंह, हिमांचल प्रदेश की राजनीति के जाने पहचाने चेहरे कुं अजय बहादुर सिंह का इस परिवार से रिश्ता राजनीति में भी फायदा पहंुचाता रहा।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पुत्र तेज प्रकाश सिंह कंाग्रेस से विधायक है। उनके पौत्र रवनीत सिंह विट्टू राहुल गांधी के युवा मंडली के सदस्य और आनंदपुर साहिब लोकसभा से उम्मीदवार है। बेटी गुरकंवल कौर भी चुनाव लड़ चुकी है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बरार के कई सदस्य राजनीति में अपना भाग्य अजमा चुके है। कुछ को सफलता मिली और कुछ जनता द्वारा नजरअंदाज कर देने पर भी सेवा करने को लालायित है। जगबीर सिंह बरार अकाली दल से विधायक है। दूसरे बेटे सन्नी बरार और बहू करन बरार कई चुनावों में भाग्य अजमा चुके है। बेटी कंवरजीत कौर बरार (बबली) और बेअंत सिंह की पत्नी गुरबिंदर कौर भी सक्रिय रही है। कांग्रेस नेत्री रजिंदर कौर भट्टल पिछले कई चुनावों से राजनीति में अपने परिवार का वंशवृक्ष रोपने की कोशिस में लगी है।विगत विधानसभा चुनाव में वह अपने भाई कुलदीप सिंह भट्टल को टिकट दिलाने और चुनाव जिताने में सफल रही है। अकाली दल ने पिछले चुनाव में पूर्व राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला के पुत्र गगनदीप सिंह बरनाला, चरनजीत सिंह अटवाल के पुत्र इंदर इकबाल सिंह अटवाल ,अकाली जगदेव सिंह के पुत्ररंजीत सिंह तलवंडी एसजीपीसी के अध्यक्ष गुरचरण सिंह टोहड़ा के सुपुत्र हरमेल सिंह टोहड़ा को विधानसभा में भेजने की तैयारी की थी। लेकिन चुनाव के दंगल में राजपुत्रों की योजना फलीभूत नहीं हो सकी। जनता ने सबको करारी शिकस्त दी।
पंजाब की राजनीति, जमीन और अर्थव्यवस्था पर एक तरह से जाटो का कब्जा है। खेती की सर्वाधिक जमीन पर इसी समुदाय का स्वामित्व है।समाजिक पायदान पर सबसे ज्यादा सम्मान जाट सिखों का ही है। इसी तरह राजनीतिक धरातल पर भी इस समुदाय ने अपना वर्चस्व बना रखा है। पंजाब की राजनीति में दलितो की अच्छी भूमिका हो सकती है। लेकिन यहां पर मायावती का बहुजन हासिए पर है।
राजनीति में वंशवाद की विस बेल अब विशाल वट वृक्ष का रुप ले चुकी है। कांग्रेस से लेकर भाजपा,सपा और क्षेत्रिय दलों तक में यह बीमारी आम है। राजनेताओं के परिजनों का राजनीति में इस तरह का पदार्पण लोकतंत्र के लिए कितना सुखद है। यह तो समय बताएगा।
भाकपा-माले के राज्य सचिव राजबिंदर सिंह राणा कहते है कि छात्र आंदोलनों और जनसंघर्षों को भावी राजनीति की नर्सरी कहा जाता था।शासक पार्टियों के लिए अब इसका कोई अर्थ नहीं रह गया है। साजिस के तहत ऐसे जन आंदोलनों से निकले लोगों की जगह नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को स्थापित किया गया। पंजाब की हालत तो और बुरी है।वंश वाद के संक्रमण से पंजाब की राजनीति लाइलाज बन चुकी है। विराट पंजाबी जनता के भाग्य का निर्णय चंद परिवारों के हाथ में कैद है। सत्ता से लेकर संगठन तक के पद इन्हीं पारिवारिक सदस्यों को रेवड़ी की तरह बांटी जा रही है।
संगरुर से चुनाव लड रहे पूर्व विधायक तरसेम जोधा कहते हैं कि वंशवाद की छाया में राजनीतिक दलों के सारे आदर्श और सिद्वांत तिरोहित हो चुकी है। कांग्रेस की वंशवाद तो समाजवादियों से लेकर जनसंघ तक के लिए आलोचना का विषय था। लेकिन पूरे देश की राजनीति में वंशवाद की काली छाया जिस तरह से अपना पांव पसार रही है। उससे यही लगता है कि अपने परिजनों को राजनीति में स्थापित करने के सवाल पर बामपंथी पार्टियों को छोड़ कर सारी पार्टियां एक राय रखती है।

पंजाब की राजनीतिक वंशावली

कैरों परिवार-

प्रताप सिंह कैरों - पूर्व मुख्यमंत्री
सुरिंदर सिंह कैरों - पुत्र, सांसद
आदेश प्रताप सिंह कैरों - पौत्र, वर्तमान में अकाली - भाजपा सरकार में मंत्री
गुरप्रताप सिंह कैरों - पौत्र,युवा अकाली नेता

बादल परिवार-


प्रकाश सिंह बादल - मुख्यमंत्री पंजाब सरकार
सुखबीर सिंह बादल - पुत्र, उप मुख्यमंत्री
मनप्रीत सिंह बादल - भतीजा, वित्त मंत्री
हरसिमरत कौर - (बहू बादल परिवार और पुत्री मजीठिया परिवार) भटिंडा से लोकसभा की उम्मीदवार
जनमेजा सिंह - करीबी रिश्तेदार, सिचाई मंत्री
सुरिंदर कौर बादल - पत्नी, अकाली दल (महिला शाखा की संरक्षक)
बिक्रमजीत सिंह मजीठिया- साला, पूर्व मंत्री, युवा अकाली दल का प्रदेश अध्यक्ष
सत्यजीत सिंह मजीठिया- पूर्व केद्रिय मंत्री

पटियाला राजघराना

महाराजा यादबिंदर सिंह - पूर्व राज्य प्रमुख पेप्सू,राजदूत,कुलपति
कै. अमरिंदर सिंह- पूर्व मुख्यमंत्री
परणीत कौर - पत्नी, सांसद
बीबा अमरजीत कौर- चाची, पूर्व सांसद।
रणइंदर सिंह- पुत्र, भटिंडा से का्रग्रेस उम्मीदवार।

बरार परिवार

हरचरण सिंह बरार - पूर्व मुख्यमंत्री
जगबीर सिंह बरार - पुत्र, विधायक
गुरबिंदर कौर - पत्नी, राजनीति में सक्रिय
सन्नी बरार - पुत्र, चुनावी राजनीति में सक्रिय
करन बरार - बहु, चुनावी राजनीति में सक्रिय
कवरजीत कौर बरार - पुत्री, चुनावी राजनीति में सक्रिय।

बेअंत सिंह परिवार

बेअंत सिंह - पूर्व मुख्यमंत्री
तेज प्रकाश सिंह - पुत्र, कांग्रस विधायक
रवनीत सिंह बिट्टू - नाती, आनंदपुर साहिब से क्रांगेस प्रत्याशी
गुरकवंल कौर (बेटी) और
परिवार के कई सदस्य चुनावी राजनीति में सक्रिय


राजिंदर कौर भट्टल - पूर्व मुख्यमंत्री
कुलदीप सिंह भट्टल - भाई- विधायक

सुरजीत सिंह बरनाला - पूर्व मुख्यमंत्री, राज्यपाल, केंद्रिय मंत्री।
गगनदीप सिंह बरनाला - पुत्र- सक्रिय राजनीति में। चुनावों में असफलता।

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