16 जुलाई 2009

उत्तर प्रदेश के 50 से ज्यादा जिलों में सूखा

अंबरीश कुमार

उत्तर प्रदेश के पचास से ज्यादा जिलों में सूखा पड़ गया है। सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति बुंदेलखंड के महोबा क्षेत्र की है जहां से रोज पांच हजर से ज्यादा लोग गांव छोड़कर ज रहे हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उत्तर प्रदेश के 54 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की है। पार्टी इस सिलसिले में 20 जुलाई से जन अभियान छेड़ने ज रही है। सूखा के चलते खरीफ की फसल चौपट हो गई है। धान की पौध रोपने के लिए खेतों में पर्याप्त पानी नहीं है। बुंदेलखंड में मूंगफली की फसल बर्बाद हो गई है और यदि जुलाई में ढंग से बरसात नहीं हुई तो उड़द, ज्वार, मूंग, अरहर और मक्का की फसल भी चौपट हो जएगी। आषाढ़ का पूरा महीना सूखा निकल गया और सावन के भी सात दिन पार हो चुके हैं, लेकिन लोग पानी की बूंदों को लेकर तरस गए हैं। पूर्वाचल के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो समूचे प्रदेश में किसान बदहाली की कगार पर खड़ा नजर आ रहा है। बादल उमड़ते हैं लेकिन ठहरने और बरसने की बजय आसमान में कहीं खो जते हैं।
बुंदेलखंड के वे इलाके जहां से नदियां गुजरती हैं, वहां की स्थिति अभी उतनी गंभीर नहीं हुई है जितनी महोबा जसे जिले की जहां लोग चंदेलकालीन तालाबों के भरोसे हैं। महोबा से हरिशचंद्र के मुताबिक अब गांव में बूढ़ों को छोड़ कोई नहीं बचा है। ज्यादातर गांवों से पलायन हो चुका है। महोबा से लेकर ङांसी जसे स्टेशनों पर लोगों की भीड़ बढ़ती ज रही है। इस बार का सूखा पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा गंभीर रूप ले सकता है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के पूर्वाचल में कुछ जिलों में अच्छी बारिश हुई जिससे स्थिति कुछ बची हुई है। केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक जुलाई महीने में अब तक सबसे ज्यादा बारिश सिद्धार्थनगर में २९९ मिमी रिकार्ड की गई जबकि गोरखपुर में २२२ मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। बारिश के चलते रामगंगा नदी का जल स्तर बरेली, यमुना नदी का इटावा, औरैया, कालपी, हमीरपुर और इलाहाबाद में, घाघरा नदी का एल्गिन ब्रिज-बाराबंकी और राप्ती नदी का जलस्तर बर्ड घाट गोरखपुर में बढ़ा है। समूचे प्रदेश में १३ स्थानों पर नदियों का जल स्तर बढ़ा लेकिन ज्यादातर इलाकों में बारिश न होने की वजह से सूखे के हालात बन चुके हैं।
भाकपा नेता अशोक मिश्र ने कहा-बरसात न होने की वजह से धान और खरीफ की अन्य फसलों की 80 फीसदी कृषि भूमि पर बुआई नहीं हो सकी है। सूखे के प्रकोप के चलते सभी जगहों पर किसान परेशान है। यदि कुछ जिलों में बारिश हो भी जए तो 20 फीसद ही धान की रोपाई हो पाएगी। यह स्थिति लखनऊ से ललितपुर और कन्नौज से लेकर हाथरस-बुलंदशहर तक है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की मांग है कि प्रदेश के ५४ जिले सूखाग्रस्त घोषित किए जएं ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके।
बुंदेलखंड के हमीरपुर, महोबा, जलौन, बांदा, ङांसी, चित्रकूट और ललितपुर जसे इलाके सूखे की चपेट में पहले भी आ चुके हैं। ऐसे में यदि इस बार सावन में भी ढंग से बारिश नहीं हुई तो पानी और बिजली का संकट गहरा सकता है। ङांसी क्षेत्र में उड़द, ज्वार, मूंग, अरहर आदि के कुल रकबे में सिर्फ 30 फीसदी खेत में बुआई हो पाई है। मूंगफली की फसल पहले से ही बरबाद हो चुकी है और यदि बरसात ढंग से न हुई तो बची-खुची फसल भी चौपट हो जएगी।

साभार विरोध

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