10 जुलाई 2009

एक था माइकल जैक्‍सन…

कुमुदिनी पति

बराक ओबामा के मुताबिक माइकल जैक्सन के जीवन का काफी हिस्सा दुख और त्रासदी भरा था। उनकी मौत कुछ ऐसे समय में हुई, जब उन्हें लंदन में ‘दिस इज इट’ के शो में करीब बीस हजार लोगों की भीड़ के सामने अपना कार्यक्रम पेश करना था। जैक्सन घबराए हुए और बहुत ज्यादा दबाव में थे। दरअसल, वे लंदन में केवल दस शो करना चाहते थे और बाकी के चालीस शो पूरे विश्व में। पर बिना उनकी अनुमति के सिर्फ लंदन में पचास शो करने के लिए उन्हें अनुबंधित कर लिया गया था।

जैक्सन की मौत के बाद अब लाखों का मुनाफा कमाने वाली कंपनी को सोचना पड़ रहा है कि वह दस हजार टिकट खरीदारों का पैसा कैसे लौटाए। इसके लिए अब वह माइकल जैक्सन की संपत्ति हथियाने की कोशिश में है। सच तो यह है कि जिन कंपनियों ने जैक्सन को कभी सातवें आसमान पर पहुंचाया, उन्होंने ही पूंजीवाद के क्रूर नियमों के तहत उसकी जिंदगी की तबाही में अहम भूमिका निभाई।

आज आई-ट्यून्स के सबसे पहले बीस एल्बम और एकल प्रस्तुतियों में माइकल जैक्सन के गीत हैं और अमेजंस टॉप-15 के सबसे ज्यादा बिक्री वाली सूची में भी वही छाए हुए हैं। पर क्या यह सब उनके जीवन की त्रासदी को मिटा सकते हैं? आज हम देख रहे हैं कि आईपीएल के मैचों में पूंजी का जो क्रूर खेल चल रहा है और जिस तरह क्रिकेट खिलाड़ी नीलाम हो रहे हैं, उससे सभी क्षमताओं की हत्या हो रही है। यही प्रक्रिया सौंदर्य और मॉडलिंग की दुनिया में भी चल रही है।

माइकल जैक्सन के पिता जोसेफ क्रेन ऑपरेटर थे। वे ‘फाल्कंस’ ग्रुप में एक गायक भी थे। जैक्सन अपने भाइयों और बहनों के साथ ‘द जैक्सन फाइव’ ग्रुप में एक उभरते गायक थे। अश्वेत होने के बावजूद उन्हें इस कदर सफलता मिलने लगी कि दस वर्ष की उम्र में ही उन्होंने पॉप को एक अत्यंत लोकप्रिय रूप प्रदान किया। तेरह साल की उम्र में 1971 में जैक्सन का पहला एकल कार्यक्रम हुआ। 1979 में उनका गाना ‘ऑफ द वॉल’, 1982 में एल्बम ‘थ्रिलर’, 1987 में ‘बैड’, 1991 में ‘डेंजरस’ और 1995 में ‘हिस्टोरी’ ने नया इतिहास रचा। पर यह भी सच है कि जैक्सन ने अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए विद्रोह की संस्कृति से अपना नाता खत्म कर दिया।

अद्वितीय नर्तक होने के बावजूद माइकल जैक्सन के गानों की अंतर्वस्तु क्रांतिकारी नहीं रही। जबकि विलियम डॉसन, हैरी थैकर बर्ले, पॉल रॉबसन, मेरीएन एंडरसन, जेम्स ब्राउन, जिम हेंरिक्स या नीना सिमोन ने अश्वेतों के हक में चले नागरिक अधिकार आंदोलन को अपने संगीत में पिरोया और विश्व भर में एक ऐसा माहौल बनाया जिसका फायदा जैक्सन को विरासत में मिला।

उनके गायन और नृत्य को करोड़ों का व्यवसाय बनाने वाले बेरी गॉर्डी ने जैक्सन को लाखों-लाख श्वेत दर्शकों के दिल की धड़कन बनाने के लिए बड़ी चालाकी से उनके जीवन की सच्चाई को ही बदलना शुरू कर दिया। अपने प्रदर्शनों के दौरान जख्मी होने, नाक टूट जाने, सिर के बाल और कपाल जल जाने के बाद उन्होंने अपने चेहरे को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी। लेकिन इसके बाद उन्हें एक चर्मरोग हो गया और चमड़ी पर सफेद दाग आने लगे। फिर शरीर को छरहरा और सुडौल बनाने के लिए दर्द निवारक दवाइयां और खाने से परहेज तक के चक्रव्यूह में वे फंसते चले गए, जो बाद में उनके जीवन को नियंत्रित करने लगे। उनकी दो शादियां चल नहीं पार्इं। अपनी अजीबोगरीब जीवनशैली के चलते वे पांच करोड़ डॉलर के कर्ज में डूब गए।

एक बच्चे के साथ दुष्कर्म के मामले में फंसने के बाद वे अवसाद का शिकार हो गए। अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि सन 2005 में अपने बरी होने के पहले जब उन्हें पैसों के लिए ब्लैकमेल किया गया, तब उन्हें अपने लाखों प्रशंसकों का सहयोग और समर्थन क्यों नहीं मिल सका। कानून और मीडिया का असहिष्णु रुख बार-बार यही याद दिलाता है कि माइकल जैक्सन एक अश्वेत श्रमिक परिवार का लड़का था, क्योंकि ऐसे ही तमाम मामलों में श्वेत लोगों को शायद इस कदर जलालत का सामना नहीं करना पड़ा होगा।

इन दर्दनाक तथ्यों को देखने के बाद लगता है कि अफ्रीकी-अमेरिकी संगीतकारों की दुनिया जिस विद्रोह की परंपरा से जन्मी थी और उसने जैज, रॉक, फंक और रैप को जिस हद तक प्रभावित किया, उसकी मूल अंतर्वस्तु को पूंजी की गुलाम रिकॉर्डिंग कंपनियों और मीडिया ने अकूत मुनाफा कमाने के लिए धूल में मिला दिया। रोनाल्ड रेगन के भ्रष्ट, लोभी, क्रूर और विचारशून्य दौर ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। अब तमाम केबल नेटवर्क और संगीत को बाजारू बना कर बेचने वाली कंपनियां जैक्सन की मौत को भुनाने के खेल में जुट गई हैं।
कुमुदिनी पति सीपीआई एमएल (लिबरेशन) की राजनैतिक कार्यकर्ता हैं.
साभार मोहल्ला लाइव

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