07 सितंबर 2009

छात्रों के साथ हुआ अमानवीय व्यवहार

पीयूसीएल व जेयूसीएस की संयुक्त जाँच रिपोर्ट

सेवा में,

मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

विषय- 28 अगस्त 09 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों को पहचान पत्र के नाम पर मुर्गा बनवाने जैसी अमानवीय विश्वविद्यालय की दंडात्मक कार्यवायी और जनसत्ता के इलाहाबाद प्रतिनिधि राघवेंद्र प्रताप सिंह पर कुलपति और कुलानुशासक से जानकारी लेने पर हुयी पुलिसिया कार्यवायी के संदर्भ में।

महोदय,

पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और जर्नलिस्ट यूनियन फाॅर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस) की संयुक्त जांच रिपोर्ट जिसे हम आपके समक्ष तत्काल ध्यानाकर्षित और उचित कार्यवायी के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। 28 अगस्त 09 इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पूछताछ कार्यालय से आठ छात्रों को परिचय पत्र न होने के नाम पर चीफ प्राक्टर जटाशंकर त्रिपाठी ने अपने असलहाधारी सहयोगियों के साथ मिलकर उन्हें पास में खड़ी टवेरा गाड़ी में ठूंस कर कुलानुशासक कार्यालय ले आए। जहां इन छात्रों को तकरीबन दो घंटे तक बंधक बनाए जाने के बाद कार्यालय से बाहर लाया गया। जहां इन बंधक बनाए गए छात्रों को सैकड़ों छात्र-छात्राओं के बीच मुर्गा बनवाया, कान पकड़ कर उठक-बैठक और जमीन चुमवाया गया। जिसकी तस्दीक 29 अगस्त के आज दैनिक समाचार पत्र में छपी वह खबर भी करती है-‘परिसर में हो रही सघन जांच-पड़ताल एवं मुर्गा बनाए जाने की घटना को लेकर कुलपति के पास एक मोबाइल फोन से काल आयी जिसको लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन गंभीर है।’ वहीं दैनिक जागरण ने ‘उठा-बैठक करा छोड़ा’ सुर्खियों से छपी खबर में लिखा ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राक्टोरियल बोर्ड ने शुक्रवार को भी सघन जांच अभियान चलाया। बाहरी छात्रों को उठक बैठक करके दण्डित किया गया। यहां तक कि मित्र का माइग्रेशन लेने विभागीय आफिस पहुंचे एक छात्र को पैर में दर्द होने के बावजूद वाह्य छात्र होने के आधार पर दंड बैठक करवाया गया। प्राक्टर प्रो0 जटाशंकर त्रिपाठी ने बताया कि हिंदी और भूगोल विभाग के सामने कई बाहरी छात्रों को पकड़ा गया।’ इस जांच के दौरान हमसे जिन उत्पीड़ित और प्रत्यक्षदर्शी छात्रों से संपर्क हुआ उनके बयान की सीडी जिसे हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं उसके कुछ अंश हम इस रिपोर्ट में क्रमशः प्रस्तुत कर रहे हैं।
उत्पीड़ित छात्र अजय यादव- मैं बीए प्रथम वर्ष, ईश्वर शरण डिग्री कालेज का छात्र हूं जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध है। मैं 28 अगस्त को द्वितीय परीक्षा को रद्द कराने के लिए विश्वविद्यालय आया था। पूछ-ताछ काउंटर पर जा ही रहा था तभी चीफ प्राक्टर के साथ कुछ असलहा धारी आए और पकड़ कर कहा आई कार्ड तो हमने कहा आई कार्ड नहीं है। तो उन लोगों ने हमको पकड़ कर ले गए तो हमने कहा अभी हमारा आई कार्ड बना नहीं है फीस रसीद है, फीस रसीद नहीं ला पाए। तो उन्होंने कहा क्या यहां कंपनी बाग समझ रखे हो जो यहां घूम रहे हो। तो हमने कहा कुछ काम से आए थे। तो हमें ले जाकर गाड़ी में बंद कर दिए गाड़ी टवेरा थी और उसको लाक कर दिए। हमने कहा गाड़ी का शीशा खुला रखिए थोड़ा हवा आने दीजिए लेकिन वो नहीं माने। चीफ प्राक्टर आॅफिस में दो घंटे बंद रखा, बहुत रिक्वेस्ट करने पर सवा दो बजे चीफ प्राक्टर ने कहा क्यों घूम रहे थे। हमने कहा काउंटर पर से उठाया गया था। हमने उनके कहने पर एप्लीकेशन लिखा फिर भी वो हमें नहीं छोड़े। चीफ प्राक्टर के साथ अन्य अधिकारी कर्मचारी विश्वविद्यालय के थे सब लोग आए वहां मौजूद सभी छात्रों को बुलाकर कहा ये लोग हैं लुच्चे-लफंगे जो युनिवर्सिटी आए हुए हैं बिना आई कार्ड के। वे लोग मुर्गा बनने के लिए एवं उठक-बैठक के लिए कहे और हम लोग किए। जो लोग उठक-बैठक नहीं किए उनसे जमीन चुमवाए। और हमारे साथ अभद्रता किए। हमने कई बार कहा कि युनिवर्सिटी से संबद्व महाविद्यालय के छात्र हैं तो हमें आने की अनुमति क्यों नहीं है। लेकिन वे सब नहीं सुने और हमें सजा दिए।
उत्पीड़ित छात्र का मित्र हिमांशु राय- मैं हिमांशु कुमार राय इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र 2006 से 2009 का छात्र रहा हूं। हमने अपने मित्र धनंजय कुमार राय के साथ विश्वविद्यालय में माइग्रेसन सर्टीफीकेट लेने गया था। काउंटर पर कार्य न होने के कारण मैं कुछ देर बाहर बैठा था। उसी समय प्राक्टर और उनके सहयोगी आकर हम लोगों से परिचय पत्र की मांग की जो मेरे पास होने के कारण दिखाया और मेरे मित्र के पास न होने के कारण ये न दिखा सके। ये पत्राचार में एमए प्रवेश की जानकारी के लिए आए हुए थे। इनसे परिचय पत्र मांगा इनके पास नहीं था वे लोग इनको पकड़ कर ले गए। मैं उन लोगों से लगातार रिक्वेस्ट करता रहा लेकिन उनके सुरक्षाकर्मी लगातार गालियां देते रहे, तुम लोग कैसे यहां आ सकते हो और मेरे मित्र को ले जाकर टवेरा में बंद कर दिए। मैं लगातार उनसे कहता रहा काम से आया हूं लेकिन वे लोग गाली देते रहे। और कहा तुम्हारी डिग्रियां जब्त कर ली जाएंगी इसलिए तुम यहां से भाग जाओ।
उत्पीड़ित प्रतियोगी छात्र धनंजय कुमार राय- मैं अपने मित्र हिमांशु राय के साथ एमए पत्राचार प्रवेश की जानकारी के लिए पूछताछ काउंटर पर आया था। और वहीं पास में थोड़ी दूर पहले ही प्राक्टर के साथ कर्मचारी आए और आईकार्ड मांगे हमारे पास नहीं था हिमांशु ने अपना आई कार्ड दिखाया तो मुझे धक्का देकर गालियां देते हुए कहा चलो गाड़ी में बैठो हमें टवेरा गाड़ी में जबरदस्ती ठूस देने के बाद गेट बंद कर दिया और शीशा भी बंद कर दिया हमने बार-बार कहा कि शीशा खोल दीजिए बहुत गर्मी है। शीशा नहीं खोले गालियां देते हुए उन लोगों ने कहा कि गलती किए हो तो इसकी सजा यही होती है। उसके बाद पूरी युनिवर्सिटी घुमाए, घुमाने के बाद प्राक्टर आॅफिस ले गए। प्राक्टर आॅफिस में एक छोटा सा कमरा है उसके सामने वहीं बैठा दिया गया। वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी भी अकड़ कर बोल रहा था। उसके बाद दो घंटे बैठाए रखा, सुरक्षाकर्मी से कहे कि थोड़ा सा बात कर लेने दीजिए जरुरी है मुझे जाना है कोचिंग। उसने कहा बैठो काम हो जाएगा तो देखा जाएगा। पानी पीने के लिए मांगे तब भी नहीं दे रहा था। उसके बाद हमारे मित्र हिमांशु हैं वो अपने मित्र को बुलाए जो विश्वविद्यालय के छात्र हैं उसके बाद एप्लीकेशन लिखा गया वे जानते हैं हमको, जटाशंकर त्रिपाठी ने नहीं सुना कहा कि इन लफगों को जेल में हवालात का हवा खिलाएंगे। उसके बाद एप्लीकेशने देने के कुछ देर बाद हमें बाहर निकालकर जटाशंकर अपने सुरक्षाकर्मी से कहे बाहर जाओ और इनके साथ उचित कार्यवायी करो। वे आए बाहर हम लोगों को मुर्गा बनवाए दंड बैठक करने के लिए कहे, मैं दंड बैठक करने में असमर्थ था इसलिए हमें जमीन चूमने के लिए कहे क्योंकि मेरे पैर में घाव था इसलिए दंड बैठक करने में असमर्थ था घाव को दिखाया और अच्छी तरह से समझाया लेकिन वे लोग नहीं माने गालियां बकते रहे। वहां मौजूद सैकड़ो छात्र-छात्राओं को बुलाकर कहा-देखो लुच्चे-लफंगे आए हैं यहां छेड़खानी करने के लिए आए हैं। ऐसा अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया गया मेरे साथ युनिवर्सिटी में मैं चाहता हूं कि विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्यवायी हो। मैं बहुत आहत हूं सदमें से बाहर नहीं निकल पा रहा हूं। मैं किसी का सामना नहीं कर पा रहा हूं मैं चाहता हूं प्राक्टर के खिलाफ उचित कार्यवायी की जाय।
प्रत्यक्षदर्शियों का बयान- धर्मेन्द्र कुमार सिंह (मास कम्युनिकेशन) ,राजकुमार (शोध छात्र मानव शास्त्र), मणीन्द्र मिश्रा (परास्नातक छात्र मानव शास्त्र), संदीप दूबे (पुरा छात्र) ,धर्मेन्द्र कुमार सिंह (पत्रकारिता विभाग), ब्रृजेश कुमार यादव (पत्रकारिता विभाग)।

विश्वविद्यालय में परिचय पत्र के नाम पर दी गयी इस अमानवीय यातना के संदर्भ में जब जांच दल ने जांच की तो पाया कि विश्वविद्यालय में परिचय पत्र का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि विश्वविद्यालय में पूछताछ, सूचना अधिकार समेत तमाम कार्यालय विश्वविद्यालय परिसर में स्थित हैं जिनसे जानकारी प्राप्त करने का अधिकार विश्वविद्यालय के छात्रों को ही नहीं बल्कि आम नागरिकों को भी है। जांच में पाया गया कि विश्वविद्यालय अनुशासन के नाम पर विश्वविद्यालय में पुलिस और सशस्त्र जवानों का जमावड़ा ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालय पुलिस चैकी की भी स्थापना कुछ वर्षों पहले की। जिसके चलते विश्वविद्यालय के प्रश्रय पर पुलिस वाले आए दिन छात्रों को उत्पीड़ित करते रहते हैं।

इन तथ्यों के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि कुलानुशासक जटाशंकर त्रिपाठी ने समय-समय पर आए माननीय न्यायालयों के आदेशों को अपनी सामंती और मनुवादी सोच के तहत धता बताते हुए छात्रों के मानवाधिकार का हनन किया है। साथ ही इस घटना के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश में कुलानुशासक और कुलपति से बात करने पर पत्रकार राघवेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ कुलानुशासक की तहरीर न एक पत्रकार का मानवाधिकार हनन है बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। इन तथ्यों के आधार पर हम मांग करते हैं कि कुलानुशासक जटाशंकर त्रिपाठी पर माननीय सुप्रिम कोर्ट के उस आदेश कि शैक्ष्णिक परिसरों में अमानवीय दंड नहीं दिया जाएगा के तहत कानूनी कार्यवायी की जाय। वहीं कुलपति प्रो0 आरजी हर्षे और कुलानुशासक जटाशंकर त्रिपाठी पर पत्रकार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करने के अपराध में उचित कार्यवायी की जाय।

हम आपके विवेकपूर्ण निर्णयों में विश्वास करते हुए उक्त घटना के संदर्भ में उचित कार्यवायी करने की मांग करते हैं।
दिनांक- 3 सितंबर 09
प्रतिलिपि संलग्नः

1- महामहिम राष्ट्रपति

2- मानवसंसाधन विकास मंत्रालय

3- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

4- उच्चतम न्यायालय

5- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

द्वारा-

शाहनवाज आलम, राजीव यादव

(प्रदेेश संगठन मंत्री पीयूसीएल)

631/13, शंकरपुरी कालोनी, कमता चिनहट, लखनऊ, उत्तर प्रदेश

संपर्क सूत्र- 09415254919, 09452800752

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