आंदोलनरत साथियों!
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जारी पत्रकारिता के छात्रों के आंदोलन की ख़बर पढ़कर अच्छा लगा कि आज भी युवाओं में वह जोश बचा हुआ है जो हर जुल्म और अन्याय के ख़िलाफ़ मुट्ठी तान कर खड़ा हो जाता है. आज जिस तरह देशभर में पैसे का बोलबाला बढ़ता जा रहा है और कुछ लोग यह समझने लगे हैं कि पैसे के बल पर सबकुछ खरीदा जा सकता है.और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सबकुछ बेचना चाहते हैं. ऐसे लोगों को
हराने के लिए ऐसे आंदोलनों की सख़्त ज़रूरत है. मैं आपके इस आंदोलन का पूरी तरह से समर्थन करता हूं. हम आज ऐसे समय में रह रहे हैं जब देश के किसी भी हिस्से से छात्र आंदोलन की ख़बर तक नहीं आती है.लगता है युवा सो गए हैं. ऐसे समय में आपका आंदोलन एक नई किरण के रूप में नज़र आ रहा है. आज जब भूमंडलीकरण के इस दौर में हम युवा अपने करियर से आगे कुछ देख-सुन नहीं पाते हैं. हमारे आसपास क्या हो रहा है, हम उससे भी बेख़बर रहते हैं. शायद यह इसी का नतीज़ा है कि आज देशभर में शिक्षा का नीजिकरण अपने चरम पर हैं. विश्वविद्यालयी शिक्षा का स्तर एकदम से गिर गया है.विश्विवद्यालय डिग्री बेचने के केंद्र बन गए हैं. आज ऐसे समय मुझे 90 के दशक के शुरुआत में हुए आरक्षण विरोधी आंदोलन को चलाने वाले उन दोस्तों की याद आ रही है जो अपनी जान देने तक को तैयार थे और कइयों ने तो जान दे दी थी.वह आंदोलन चलाने वाले लोग आज न जाने कहां हैं.
आज जब पैसे के दम पे कोई भी डिग्री ख़रीद ली जा रही है तो, उनके पास इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने तक की फुर्सत नहीं है.ख़ैर यह समय ऐसी बातों का नहीं है. मुझे उम्मीद है कि आपका आंदोलन अपने रास्ते से भटकेगा नहीं और अपने अंज़ाम तक ज़रूर पहुँचेगा.जिससे देश के दूसरे हिस्से के छात्रों और युवाओं को रोशनी मिलेगी.
क्रांतिकारी सलाम...
आपका
कुमार राजेश
पत्रकार, जनसत्ता
नोएडा, उत्तर प्रदेश
+919818967588
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