10 सितंबर 2009

काला दिवस घोषित कर निकाला मौन जुलूस

- कार्टूनों के माध्यम से बाजारवादियों की करतूतों को उजागर किया
- माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्र समर्थन में आए



इलाहाबाद 10 सितंबर 09/ आज विश्वविद्यालय प्रशासन ने आंदोलनों के दमन और छात्रों को आतंकित करने के लिए जहां एक ओर परिसर को संगीनों की छावनी में तब्दील कर दिया था तो वही निजीकरण विरोधी आंदोलन आज आठवें दिन भी जारी रहा। छात्रों ने गूंगे बहरे बाज़ारवादी विश्वविद्यालय प्रशासन की करतूतों को कार्टूनों के माध्यम से छात्रों के बीच जाकर उजागर किया।
आज जहां पूरा विश्वविद्यालय प्रशासन आंदोलनों के दमन के लिए उतारु था तो वही पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने काला दिवस घोषित करते हुए मौन जूलूस निकाला। छात्रों ने अपने हाथों में कार्टून बनी तख्तियां ली थी। जिस पर विश्वविद्यालय को दुकान बनाने वालों पर कटाक्ष किया गया था। पत्रकारिता के छात्रों नंे अपने विभाग को बचाने और निजीकरण विरोधी अपने आंदोलन को नया रुप देते हुए कार्टूनों का प्रदर्शन किया। छात्रों का जुलूस ‘‘कला संकाय’’ यूनिवर्सिटी रोड होते हुए ‘‘विज्ञान संकाय’’ पहुंचा। छात्रों ने कहा कि आज आठ दिन पूरे हो जाने पर भी कुलपति द्वारा जवाब न मिलने पर आंदोलन को नयी रचनात्मकता देते हुए कार्टूनों और स्लोगनों के माध्यम से हमने अपना प्रतिरोध दर्ज कराया।
आज आंदोलन का समर्थन करने के लिए माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से जीतेश कुमार और विवेक मिश्रा के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल इलाहाबाद पहुंचा। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ इलाहाबाद की नहीं बल्कि पूरे देश की लड़ाई है। सामाजिक कार्यकर्ता सीमा आजाद, आइसा के सचिव सुनील मौर्या और संध्या भी मौन जुलूस में शामिल हुए।
आज पत्रकारिता विभाग के ’’ख़बरचैरा‘‘ पर लगे पोस्टरों को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उखाडे़ जाने को छात्रों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस पर क्या कार्यवाही की जाएगी इसे आज बैठक कर निर्णय लिया जाएगा।
‘सवाल पूछते रहो’ अभियान तहत विभाग के छात्र लल्लू राम ने आज अपने विभागाध्यक्ष और कला संकाय के डीन एन आर फारुकी से पत्रकारिता विभाग की उपेक्षा और विभाग के प्रति उनकी उदासीनता से संबधित सवाल पूछे।
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छात्रनेताओं पर रासुका लगाने की कोशिश हास्यास्पद- पीयूसीएल

इलाहाबाद 10 सितम्बर 2009 / पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज पीयूसीएल ने इलाहाबाद विविश्वविद्यालय में छात्रसंघ बहाली का आंदोलन चला रहंे छात्र नेताओं के पुलिसिया दमन की कडी निंदा की है। पीयूसीएल के प्रदेश संघठन सचिव शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने तत्काल छात्र नेताओं को रिहा करने और छात्रसंघ बहाल करने की मांग की है।
नेताओं का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव लोकतंत्र की नर्सरी हैैं। जिसके माध्यम से छात्र अपने जायज सवालों को उठाते हैं इसकी मांग करने वालों को दबाना सरकार के लोकतंत्र विरोधी चेहरे को उजागर करता है। छात्र नेताओं पर रासुका लगाने की तैयारी को विश्वविद्यालय प्रशासन की तानाशाही बताते हुए सवाल पूछा है कि अपनी जायज मांगे उठाना कौन से राष्ट्रीय सुरक्षा का़नून का उल्लंघन है। पूरे विश्वविद्यालय को पीस जोन के नाम पर जिस तरह छावनी में तब्दील कर दिया गया है उस पीस जोन को विश्वविद्यालय के किस एक्ट के तहत बनाया गया है? नेताओं ने विश्वविद्यालय के आस पास की चाय और पुस्तकों की दुकानों को पुलिस द्वारा तहस-नहस करने की आलोचना करते हुए कहा कि इसके दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही करने की मांग की।

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