इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जन संचार विभाग होने के बावजुद, विश्वविद्याल प्रशासन ने आँख मुदकर यू.जी.सी. के नियमों को ताक पर रखते हुये एक निजी मिडिया अध्ययन केंद्र के रूप मे ’सेंण्टर फ़ार फ़ोटो जर्नलिज्म एण्ड विजुवल कम्युनिकेशन’ को लिज पर डिग्री बाटने का धंधा शुरु कर दी है, जिससे साम्राज्यवादी मिडिया को प्रसारित करने के लिये, वर्करो को पैदा किया जायेगा. इस संस्थान के शुल्क के ढाँचें ( जो एक लाख बीस हजार है) को देखकर लगता है कि आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछ्डे़ छात्रों को मिडिया शिक्षा से दूर करने की साजिश रची जा रही है, एक ही विश्वविद्यालय में दो समानांतर विभाग चलाने की मंशा क्या है? इस तरह के निजी संस्थानों को खोलने में विश्वविद्यालय प्रशासन रूचि क्यो ले रहा है.
निजी पत्रकारिता दुकान के बिरोध में एवम छात्रसंघो की बहाली के लिये लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे आदोंलन पर पुलिस द्वारा बर्बर लाठीचार्ज किया गया और विश्वविद्यालय द्वारा सरकार की मदद से आदोंलन को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, छात्रों, शिक्षकों एवम शहर के बुद्धिजिवियों के द्वारा चल रहे लोकतात्रिक आदोंलन के समर्थन में महात्मा गाँधी अंर्तराष्ट्रिय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की तरफ़ से समस्त छात्रों और शिक्षकों ने सरकार के द्वारा प्रायोजित निजी शिक्षाकरण पर विश्वअविद्यालय प्रशासन के खिलाफ़ रोष प्रकट किया गया. इसके लिए हुई
बैठक में जनसंचार विभाग के चंद्रिका, संदीप दुबे, अनुज शुक्ला, दिलीप, अनिस, देवाशिष प्रशून, धनेश जोशी, लक्ष्मण प्रसाद उपस्थित रहे.
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