04 अक्तूबर 2009

दारू,मुर्गा और दलित

पूरा शहर लेकर गांव पहुँची आधी कांग्रेस

अंबरीश कुमार
राहुल गांधी ने बिना तामङाम के गांव के दलित परिवार के बीच जाकर जो माहौल बनाया था,प्रदेश के कांग्रेसियों ने गांधी जयंती पर उसकी भौंड़ी नकल उतार कर मजाक बना दिया। कुछ कांग्रेसी पूरा शहर लेकर गांव पहुंचे तो कुछ ने दारू-मुर्गा की दावत उड़ाने के बाद आधी रात को गांव वालों को जगाकर विकास का जायजा लिया।
प्रदेश कांग्रेस राहुल गांधी के अचानक श्रावस्ती जिले के एक दलित परिवार में रात गुजरने की घटना से अभिभूत हैं। कांग्रेस ने चलो गांव की ओर का नारा देते हुए गांधी जयंती के मौके पर दलितों के साथ सहभोज, चौपाल और रात प्रवास का कार्यक्रम रख दिया। उत्तर प्रदेश में सालों बाद कांग्रेस के २१ सांसद जीते हैं। लिहाज सबकी नजर सांसदों पर ज्यादा थी। कई सांसद तो गांव तो गए पर जनरेटर, गद्दे, कालीन, टेंट और रेडीमेड भोजन-पानी या फिर हलवाई के साथ पहुंचे। पानी भी ब्रांडेड था। चूंकि प्रदेश कांग्रेस ने यह कार्यक्रम तय किया था। इसलिए सभी सांसदों से अपेक्षा था कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में मौजूद रहेंगे। हालांकि रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी, अमेठी के राहुल गांधी, सुल्तानपुर के डाक्टर संजय सिंह, गोण्डा के बेनी प्रसाद वर्मा, कुशीनगर के आरपीएन सिंह जसे कई सांसद किस गांव में गए यह पता नहीं चला। पर जो गए उनकी बानगी भी देखने वाली हैं। बहराइच के सांसद कमल किशोर कमांडो जसे ही गांधी जयंती के कार्यक्रम में कांग्रेस भवन पहुंचे वहां विवाद हो गया। सांसद की मौजूदगी में गांधी जी को याद करने आए कांग्रेसियों ने मां-बहन के संबोधनों के साथ मारपीट की। सांसद महोदय से यहां से निकले तो हबीब हुंमायू चौधरी के नरौली फार्म पहुंचे। करीब डेढ़ सौ बीघे के इस फार्म हाउस में उम्दा किस्म सामिष भोजन की व्यवस्था। हालांकि गांधी जयंती को सब बंद रहता है लेकिन यहां सब खुला था। सांसद महोदय देररात तक यहां रहे। फिर दलित गांव की याद आई तो हटवा (हरदासपुर) गांव पहुंचे। जहां वे आलोक आर्या के घर गए। इससे पहले सांसद महोदय के सत्संग का लाभ लेने के लिए देररात तक जमे रहे गांव वाले धीरे-धीरे अपने घर चले गए थे। सांसद के पहुंचने के बाद उन्हें फिर से जगाकर बुलाकर लाने की कोशिश हुई। आंख मिचते कुछ पहुंचे तो उनसे विकास का जायजा लिया गया। बगल के श्रावस्ती जिले के सांसद विनय पांडेय का इंतजाम सुहेलवा वन क्षेत्र से लगे गांव कोंडरी डीगर में राप्ती नदी के किनारे किया गया था। चांदनी रात में टेंट लगा और नदी के किनारे मजमा जुटा। भोजन व्यवस्था पहले की गई थी। सांसद विनय पांडेय ने गांव के विकास का जायजा लिया और देररात तक गांव वालों के साथ रहे। गोण्डा के सांसद खांटी समाजवादी बेनी प्रसाद वर्मा अपने क्षेत्र में नहीं गए। उनके सिपहसालार राघवराम मिश्र ने कहा ‘दलितों के गांव में रुकने का विचार किसी एक व्यक्ति का हो सकता है पर इससे कोई क्रांतिकारी बदलाव हो जएगा यह मुगालता है। गांव का विकास तभी होगा जब सांसद दिल्ली में रह कर उनके लिए सड़क, अस्पताल और पुल आदि की योजनाएं लाए।’ जहिर है कि बेनीप्रसाद वर्मा की नाराजगी को वे अपने शब्दों में बयां कर रहे थे। वरिष्ठ राजनेता होने के बावजूद बेनी प्रसाद वर्मा को मंत्री नहीं बनाया है।
इसी तरह मुरादाबाद में सांसद अजहरूद्दीन का भोजन पहले से हलवाई के यहां तैयार करा कर गांव के दलित परिवार के घर ले जया गया। अजहरूद्दीन कांठ के दलित परिवार के घर बैठे और रेडीमेड भोजन किया। सबसे रोचक उदाहरण कें्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल का है। कानपुर संवाददाता से मिली जनकारी के मुताबिक श्रीप्रकाश जायसवाल के दलितों के बीच जाने कार्यक्रम भव्य स्तर पर हुआ। उनके लिए टेंट, जनरेटर और बिजली के पंखों के साथ मोटे गद्दे भी मंगवाए गए थे। ताकि दलितों के बीच उन्हें किसी किस्म की तकलीफ न हो। उन्नाव में सांसद अन्नू टंडन का दलित बस्ती में भोजन आभिजत्य वर्गीय पिकनिक के अंदाज में हुआ। पानी से लेकर पर बर्तन तक साथ था। हालांकि हलवाई और बाकी इंतजामों को लेकर प्रदेश कांग्रेस को कोई परेशानी नहीं महसूस होती। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव से इस तरह पूरे शहर को लेकर गांव जाने के औचित्य के बारे में पूछने पर जवाब मिला, ‘श्रीप्रकाश जयसवाल से तो यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वे दलितों के गांव में जाकर पूड़ी तलेंगे। मंत्री हैं तो कुछ इंतजाम करके चलना ही होगा। उनके साथ और भी लोग होते हैं जिनका खाना गांव वाले बनाएंगे नहीं। हमें तो रीता बहुगुणा जोशी के बारे में पता कि वे सारा सामान लेकर दलितों के बीच गईं। पर खाना वहीं बनाया गया।’ लेकिन सभी सांसदों ने यही रास्ता नहीं अपनाया। लखीमपुर में जितिन प्रसाद ने खांटी अंदाज में दलित के घर की खिचड़ी खाई तो उसी के घर का पानी भी पिया। फैजाबाद में निर्मल खत्री ने देररात तक दलितों की चौपाल लगाकर उनकी समस्याओं को समङा और रात गुजरी। बाराबंकी में पूर्व आईएएस अफसर और सांसद पीएल पुनिया ने दलित व मुस्लिम बहुल गांव में जकर देररात तक गांव वालों से बातचीत की उन्हीं के साथ खाना खाया और सुबह वापस लौटे।
साभार विरोध
कार्टून शिरीष

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