विजय प्रताप

प्रतिबंध के बाद भी सभा करने पर अडिग ग्रामीणों पर रविवार शाम पुलिस ने बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज किया जिसमें करीब 30 लोग घायल हुए। पुलिस का यह हमला भी लोगों को दलित वीरांगना को याद करने से नहीं रोक सका और सोमवार को कौशाम्बी के अलावा, मउ, चित्रकूट, इलाहाबाद के दूर-दराज के गांवों से ट्ैक्टर-ट्ाॅलियों में भर कर हजारों मजदूर-दलित व कामगार जनसभा में पहुंचे। कौशाम्बी प्रशासन ने जनसभा स्थल को छावनी में तब्दील कर दिया था। पुलिस ने तिल्हापुर मोड़, पुरखास, गढ़वा, सराय अकील, प्रतापपुर, तथा लालापुर में करीब 1000 मजदूरों को लाठीचार्ज कर बिखेरने का प्रयास किया और सभा में शामिल होने से रोके रखा। इसके बावजूद जनसभा में पांच हजार से ज्यादा लोग एकत्रित हुए। सभा स्थल पर मेले जैसा माहौल नजर आया। लोगों के उत्साह को देखकर पुलिस भी कुछ करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।
जनसभा को संबोधित करते हुए समिति के संयोजक व मजदूर नेता सुरेशचंद्र ने कहा कि मायावती सरकार अंग्रेजों के नक़्शेकदम पर चलते हुए राज्य में खेती की जमीने बहुराश्ट्ीय कम्पनियों को सौंप रही है। गंगा एक्सप्रेस वे, जिसे जे0पी0 ग्रुप बनवा रहा है, उसमंे 30 फीसदी शेयर विदेशी कम्पनियों का है। बीज, खाद के धंधों, खनन ऊर्जा की कम्पनियों से लेकर उपभोग के सामानों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का वर्चस्व है और स्थानीय रोजगार व कारीगर बरबाद हो रहे हैं। उदा देवी ने इसी विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ संघर्श करते हुए शहीद हुईं। उनकी विरासत के लोग ऐसी और भी शहादत के लिए तैयार हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले न्यू डेमोक्रेसी के राज्य सचिव डाॅ आषीश मित्तल ने कहा कि ऊदादेवी पहले स्वतंत्राता संग्राम दलित महिला नायिका थीं। उन्होंने लुटेरे अंग्रेजों को भारत से बाहर भगाने के लिए अपनी जान दी। उस समय अंग्रेज जीत गए क्योंकि दलाल जमींदारों ने उनका साथ दिया। जनसभा की अध्यक्षता कर रहे रामलाल भारतीया ने कहा कि देश में शासन कर रहे काले अंग्रेज नहीं चाहते की दलित-मजदूर आजादी के नायकों से प्रेरणा लें। वह केवल उनकी मूर्तियां सजाकर उन पर माफियाओं, जमींदारों व दलालों से माल्यार्पण कराना चाहते हैं। सभा में परिवर्तन सांस्कृतिक मंच के कामता, सुदामा, बोधा, गेंदालाल तथा दीपक नें क्रांतिकारी गीत गाए।

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badiya jaankaari di aapne
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