12 जनवरी 2010

एसपी ने पत्रकार को बताया सिमी समर्थक


अब आजमगढ़ में आतंकवाद की आड़ में नए तरह का प्रशासनिक आतंकवाद उभर कर सामने आ रहा है, जिसकी जद में साहित्यकारों के परिजन भी आने लगे हैं। ताजा मामला "भागो नहीं दुनिया बदलो" की सीख देने वाले राहुल सांकृतायन के परिजनों का है। पिछले आठ जनवरी को जब सांकृतायन के परिजन शहर के बुद्विजीवी और पत्रकारों के साथ एक जमीन के विवाद पर आजमगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रमित शर्मा से मिले तो उन्होंने सवाल को दरकिनार करते हुए सिमी समर्थक ठहराते हुए अपमानित किया। जर्नलिस्ट यूनियन फार सिविल सोसाइटी (पीयूसीएल) और पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज के शाहनवाज आलम, लक्ष्मण प्रसाद, राजीव यादव, मसीहुद्दीन संजरी और तारिक शफीक ने राष्ट्ीय मानवाधिकार आयोग को भेजे गए पत्र में इसे अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़ा मानवाधिकार हनन का गंभीर मामला बताते हुए तत्काल कार्यवायी की मांग की है।
तेरह किलोमीटर साइकिल चलाकर शहर आए अस्सी वर्षीय अवधेश पाठक ने बताया कि शारीरिक अस्वस्थता के बावजूद जब वे रमित शर्मा से मिले और उन्हें यह भी बताया की मैं राहुल साकृतायन का परिजन हूं तो उन्होंने बिना बात सुने हमें सिमी का समर्थक कहते हुए अपमानित करने लगे। कहा कि तुम शार्प रिपोर्टर पत्रिका वालों का सिमी से जुड़ाव है। कहा कि तुम लोग सिमी के समर्थक होने के चलते राज ठाकरे पर मुकदमा करते हो तुम्हारी कोई बात नहीं सुनी जाएगी। पत्रिका के संवावादता विजय प्रकाश सिंह और रंगकर्मी अभिषेक ने बताया कि इस आरोप को गलत बताते हुए जब उन्होंने रमित शर्मा से जांच कराने की मांग की तो उन्होंने कहा कि इन सब की ऐसी जांच कराओ कि यह सब लिखना-पढ़ना बंद कर दें।
वरिष्ठ मानवाधिकार नेता चितंरजन सिंह ने कहा कि आजमगढ़ में प्रशासन आतंकवाद के नाम पर जनता के मानवाधिकारों का हनन कर रहा है। पत्रिकाएं जो जनता की मुखर अभिव्यक्ति करतीं हैं उन पर हो रहा हमला इस बात की तस्दीक है। राज ठाकरे पर मुकदमा करने वालों को सिमी का समर्थक बताने वाले अधिकारी की मानसिक और वैचारिक दीवालिएपन का अंदजा लगया जा सकता है। मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे ने पुलिस अधिकारी की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आजमगढ़ जो सांप्रदायिक तौर पर पिछले दिनों से काफी संवेदनशील रहा है वहां इस मानसिकता के अधिकारियों की नियुक्ती के चलते शहर कभी भी आग के हवाले हो सकता है। ऐसे में इस पर तत्काल कार्यवायी की जाय।
सांप्रदायिक मसलों पर पैनी निगाह रखने वाले वरिष्ठ स्तंभकार सुभाष गताडे ने कहा कि यह वह मानसिकता है जिसे गुजरात में डीडी बंजारा के रुप में देखा जा सकता है और जिसे उन्होंने आजमगढ़ में भी देखा है। वे आगे बताते हैं कि कुछ समय पूर्व जब वे आजमगढ़ में पीयूसीएल की मानावाधिकारों पर आयोजित गोष्ठी में गए थे तो उस कार्यक्रम को इसी पुलिस अधिकारी ने आतंकवादियों का कार्यक्रम कहकर गिरफ्ेतारी करवायी थी और तब भी मांग हुयी थी कि इसे तत्काल हटाया जाय। ऐसे में लंबे समय तक इस मानसिकता के अधिकारी की नियुक्ति प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठाती है।

नोट - अवधेश पाठक, राहुल सांकृतायन के मामा रामाधीन पाठक के पोते हैं. राहुल सांकृतायन के लिखे अनुभवों से पता चलता है की उनकी पढाई-लिखाई रामाधीन पाठक के घर ही हुई थी.
साभार जनादेश

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