- साथियों की रिहाई की मांग कर रहे मजदूरों की जनसभा के बाद पुलिस ने बरसाई लाठियां, मजदूर सभा के कार्यालय में आग लगाई !
विजय प्रताप
इलाहाबाद, 24 जनवरी। कौशाम्बी में खनन मजदूरों पर रविवार शाम पुलिस का कहर एक बार फिर टूट पड़ा। शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार अपने 35 साथियों की रिहाई की मांग को लेकर कौशाम्बी के नंदा का पूरा गांव में जनसभा कर रहे मजदूरों पर पुलिस व पीएसी के जवानों ने उस समय हमला कर दिया जब मजदूर सभा के बाद अपने घर जा रहे थे। हमले में कई मजदूर घायल हुए हैं जिन्हें निकट के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। हमले के दौरान पुलिस ने अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के स्थानीय कार्यालय में आग लगा दिया. 300 पुलिस वालों ने गावं के कई घरों में तोड़फोड़ की है और 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.
अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के नेतृत्व में नन्दा का पूरा गांव में 4000 मजदूर व जारी बाजार में करीब 2000 कार्यकर्ताओं ने कौशाम्बी के अध्यक्ष रामलाल भारतीया व 34 अन्य कार्यकर्ताओं की गैरकानूनी गिरतारी के विरूद्ध दर्ज कराने इकट्ठे हुए थे। यहां मजदूरों ने मुख्यमंत्राी मायावती का पुतला फंूकते हुए गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग की। इससे पहले गिरफ्तारी को अवैधानिक करार देते हुए इलाहाबाद और कौशाम्बी जिलों के करीब 1 लाख बालू श्रमिक हड़ताल पर रहे। विरोध का नेतृत्व कर रहे कामरेड सुरेश चन्द्र ने बताया कि इलाहाबाद व कौशाम्बी का जिला प्रशासन राज्य सरकार के इशारे पर गंगा व यमुना के कछार में मशीनों से गैरकानूनी खनन करा रहा है। इसके खिलाफ मजदूर लम्बे समय से संघर्शरत हैं जिन्हें प्रशासन ‘नक्सलवाद’ व ‘लाल सलाम’ के नाम पर बदनाम कर रहा है। उन्होंने बताया कि उनके कार्यकर्ताओं को डी0एम0 कौशाम्बी लोकेश कुमार के आदेश पर तब गिरतार किया गया जब वे नेवादा ब्लाक पर अपनी कुछ समस्याओं को रखने तथा बढ़ती महंगाई व दमन के विरूद्ध जन अभियान चलाने गए हुए थे।
पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टिज (पीयूसीएल) ने मजदूरों पर लाठीचार्ज व उनके घरों को जलाने की घटना की निदंा करते हुए मानवाधिकार आयोग से इसके पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पीयूसीएल के प्रदेश संगठन मंत्री शाहनवाज आलम, राजीव यादव व नेता विजय प्रताप ने बताया कि इलाहाबाद व कौशाम्बी के कछारी इलाकों में पुलिस बालू खनन मजदूरों का लगातार उत्पीड़न कर रही है। उन्होंने बताया कि गंगा व यमुना के कछार में उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी जिला प्रशासन यहां स्ािानीय बसपा नेताओं को अवैध बालू खनन की मौन स्वीकृति दे रखी है। कई घाटों पर खनन माफिया की अवैध वसूली का विरोध करने वाले नेताओं को पुलिस लगातार निशाना बनाए हुए है। यहां नेताओं व पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत ने इन मजदूरों को नक्सली करार देते हुए इन्हें लगातार डराया-धमकाया जा रहा है। इससे पहले भी पुलिस व पीएसी ने सराय अकील में जनसभा कर रहे मजदूरों पर लाठियां-गोलियां चला चुकी है।
भाकपा माले न्यू डेमोक्रेसी के राज्य सचिव आषीश मित्तल ने कहा कि बसपा नेताओं द्वारा महिला व महेबा घाटों पर गैरकानूनी मशीनों को चलाने, गंगा व जमुना के कछार में गरीबों को पट्टा देने, माफियाओं की जगह बालू खनन रवन्ना नविकों को देने के लिए संधर्ष और तेज किया जाएगा।
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