08 फ़रवरी 2010

पीयूसीएल के लोगों पर पुलिसिया दमन जारी

- आजमगढ़ सवाल उठाने पर संगठन मंत्री मसिहुद्दीन पर गुंडा एक्ट लगाया

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प्रति,
अध्यक्ष,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली,



महोदय,

मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टिज (पीयूसीएल) ने पिछले दिनों आजमगढ़ के दौरे पर गए कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह से आजमगढ़ के मुस्लिम युवाओं को आंतकवादी बताकर मुठभेड़ में मारने की घटनाओं पर स्पष्टीकरण मांगा था। जैसा की आप को ज्ञात होगा आजमगढ़ से मुस्लिम समुदाय के युवकों की बेतहाशा गिरफ्तारियां हुईं हैं, जिन पर कई मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाए हैं। 19 सितम्बर 2008 को बाटला हाउस मुठभेड़ कांड में ठंडे दिमाग से मुठभेड़ का रूप देकर आजमगढ़ के युवकों को मारा गया। संगठन इसे आतंकवाद से निपटने का फासीवादी तरीका मानता है। पीयूसीएल ने समय-समय पर इन सवालों को मुद्दा बनाया है और आयोग को भी इस संबंध में अवगत कराया है।
महोदय, पीयूसीएल के आजमगढ़ संयोजक तारिक शफिक ने भी कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दिग्विजय सिंह इस संबंध में जानकारी चाही थी। जिसके जवाब में दिग्विजय सिंह अपने पूर्व के बयान व पार्टी लाइन के उलट जाते हुए यह स्वीकार किया था कि बाटला हाउस मुठभेड़ कांड में युवकों के सिर में गोली मारी गई थी। दूसरे दिन पीयूसीएल ने इस पूरे मामले में कांग्रेस व उनके नेताओं को भी दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। जैसे की बाटला हाउस मुठभेड़ के वक्त तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज सिंह पाटील और दिल्ली की मुख्यमंत्री शिला दीक्षित पुलिस मुख्यालय में बैठकर इस पूरे मामले की निगरानी कर रहे थे। ऐसे में पीयूसीएल का कांग्रेस को दोषी मानना बिल्कुल वाजिब है।
लेकिन कांग्रेस ने पीयूसीएल के इन सवालों से खार खाकर इसके नेताओं को परेशान करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। कांग्रेस के इशारों पर 6 फरवरी को आजमगढ़ के सरायमीर थाना में कांग्रेस पर सवाल उठाने वाले पीयूसीएल के प्रदेश संयुक्त मंत्री मसीहुद्दीन संजरी पर गुण्डा एक्ट का फर्जी मामला दर्ज कर लिया। यहां पहले भी पीयूसीएल के कार्यकर्ताओं को राजनीतिक इशारों पर फर्जी मुकदमों में फंसाया जाता रहा है। ये कार्यकर्ता आजमगढ़ के आम मुस्लिमों की आवाज उठाने के दोशी हो सकते हैं लेकिन उन्हें गुण्डा एक्ट में मामला दर्ज करना सीधे-सीधे मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
हम आयोग से अपील करते हैं कि वह इस मामले को संज्ञान में लेते हुए आजमगढ़ व प्रदेश में अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को परेशान करने की इस तरह की कार्रवाइयों पर रोक लगाए। हम आयोग से यह भी मांग करते हैं कि वह मसीहुद्दीन संजरी के मामले में पुलिस को फर्जी मामला हटाने का आदेश दे और आजमगढ़ में मानवाधिकार की रक्षा को सुनिश्चित करे।

- भवदीय,

वंदना मिश्रा, महासचिव, पीयूसीएल, उत्तर प्रदेश
चितरंजन सिंह, राष्ट्रीय सचिव, पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टिज (पीयूसीएल)
के के राय, अधिवक्ता, राज्य कार्यकारिणी सदस्य, पीयूसीएल
रामभूषण मेहरोत्रा, रिटायर्ड न्यायाधीश
सतेन्द्र सिंह, संयोजक, पीयूएचआर
रवि किरण जैन, राज्य कार्यकारिणी सदस्य, पीयूसीएल
संदीप पाण्डेय, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता व राज्य कार्यकारिणी सदस्य, पीयूसीएल
एस. आर. दारापुरी, पूर्व पुलिस महानिदेशक, राज्य कार्यकारिणी सदस्य, पीयूसीएल
शाहनवाज आलम, संगठन मंत्री, पीयूसीएल
राजीव यादव, संगठन मंत्री, पीयूसीएल
विजय प्रताप, स्वतंत्र पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्त्ता
अवनीश राय, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्त्ता

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