दिनकर कपूर
गन्ना किसानों के बाद आलू के किसान भी अब बर्बादी के कगार पर पहुॅच रहे है। पूरे देश में 25 प्रतिशत आलू का उत्पादन करने वाले पश्चिमी उ0प्र0 के आलू किसान को आज अपनी फसल की लागत तक नहीं मिल पा रही है। यह तब हो रहा है जब आम जनता अभी कुछ दिन पहले तक मंहगे दर पर आलू खरीदने को मजबूर रही है। जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने अपने आगरा दौरे से लौटने के बाद प्रेस को जारी बयान में बताया कि पश्चिमी उ0प्र0 देश में 25 प्रतिशत आलू की आपूर्ति करता है। वहां के किसान अबकी बार बेहतर फसल के बाद भी घाटा उठा रहे है। शमसाबाद ब्लाक के गड़ी रद्दू गांव के किसान वीरेन्द्र सिंह, राकेश सिंह व इनायतपुर के राजपाल ने जसमों टीम को जानकारी देते हुए बताया कि एक बीद्या खेत में दस कुटंल आलू का बीज पड़ता है, जिसकी कीमत 16000, उर्वरकों की कीमत करीब 1400, खेत की जुताई 400, मशीन द्वारा आलू बुवाई400, कीटनाशक 500, पानी का 400, आलू खुदाई, बिनाई 1900, वारदाना 1600 व कोल्डस्टोरेज का 6000 और पट्टे पर खेत का 5000 रूपये लगता है। इसी प्रकार आगरा के शमसाबाद, ख्ंादौली, संईया ब्लाक के आलू उत्पादक किसानों ने जसमों टीम को बताया कि किसानों को 400 रूपए कुंतल के हिसाब से आलू बेचना पड़ रहा है। एक बीघे में 60 से 62 कुंतल आलू का ही उत्पादन होता है, जिसकी कीमत मात्र 25 हजार रूपए ही मिल रही है। यह स्थिति तब है जब अभी कुछ ही दिनों पहले आम जनता मंहगे दरों पर आलू खरीदने को मजबूर थी। आज जब किसानों के पास आलू आ गया तो एकाएक उसकी कीमत कम हो गयी है। वहां के किसानों ने यह भी बताया कि घाटे में चल रही खेती के बावजूद किसानों से जबरन बिजली बिल की वसूली की जा रही है। बिजली बिल न देने वाले किसानों पर एफ।आई।आर। तक दर्ज की जा रही है। यहां तक की सरकार की एकमुश्त समाधान योजना भी किसानों के साथ भद्दा मजाक ही बनकर रह गयी है। जिन किसानों ने जनवरी माह में एफ।आई.आर. के दबाव में अपने बकाये का अंश जमा भी किया उनका पैसा उनके मूल बकाएं में समायोजित करने की जगह उसे ब्याज में जोड़कर पुनः बकाए की आर.सी. नोटिस जारी की जा रही और एफ.आई.आर. दर्ज कराने की धमकी दी जा रही है। इतना ही नहीं जिन किसानों ने आलू उत्पादन के लिए 7 प्रतिशत ब्याज दर पर सहकारी बैकों से 15000 रूपया कर्जा लिया था, वह आज इस घाटे के बाद उसे भी चुका पाने की स्थितियों में नहीं है। गौरतलब है कि आलू उत्पादक किसानों के इस क्षेत्र में ही यमुना एक्सप्रेस वे और औद्योगिक विकास प्राधिकरण के नाम पर मायावती सरकार किसानों का बेदखली अभियान चला रही है। यहां तक की इस क्षेत्र में त्रिस्तरीय पंचायत समितियों के चुनाव तक पर रोक लगा दी गयी है।कुल मिलाकर गन्ना किसानों के बाद आलू के किसान भी अब बर्बादी के कगार पर पहुॅच रहे है। एैसी स्थिति में जन संघर्ष मोर्चा ने आज मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर आलू किसानों के संरक्षण की मांग उठाई है। जसमों ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से मांग की है कि आलू के संरक्षण के लिए कोल्ड़ स्टोरेज में आलू संरक्षण का खर्च सरकार उठाएं, आलू किसानों के बकाया बिजली बिल माफ किए जाएं, किसानों की श्रमशक्ति का मूल्य जोड़कर आलू का बाजार मूल्य तय किया जाएं व सरकार आलू खरीद की गारंटी करे और आलू किसानों को सस्ते दर पर बीज, खाद, कीटनाशक सरकारी केन्द्रों से देने की गारण्टी की जाएं। जन संघर्ष मोर्चा की टीम में आगरा संयोजक जी. एल. प्रेमी, प्रवक्ता मुसदीलाल नीलम, नरेन्द्र सिंह व गौरव सिंह शामिल थे।अगामी 20 फरवरी को लखनऊ में आयोजित जन संघर्ष मोर्चा की बैठक में इस मुद्दे पर आंदोलन की रणनीति भी बनाई जायेगी।
गन्ना किसानों के बाद आलू के किसान भी अब बर्बादी के कगार पर पहुॅच रहे है। पूरे देश में 25 प्रतिशत आलू का उत्पादन करने वाले पश्चिमी उ0प्र0 के आलू किसान को आज अपनी फसल की लागत तक नहीं मिल पा रही है। यह तब हो रहा है जब आम जनता अभी कुछ दिन पहले तक मंहगे दर पर आलू खरीदने को मजबूर रही है। जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने अपने आगरा दौरे से लौटने के बाद प्रेस को जारी बयान में बताया कि पश्चिमी उ0प्र0 देश में 25 प्रतिशत आलू की आपूर्ति करता है। वहां के किसान अबकी बार बेहतर फसल के बाद भी घाटा उठा रहे है। शमसाबाद ब्लाक के गड़ी रद्दू गांव के किसान वीरेन्द्र सिंह, राकेश सिंह व इनायतपुर के राजपाल ने जसमों टीम को जानकारी देते हुए बताया कि एक बीद्या खेत में दस कुटंल आलू का बीज पड़ता है, जिसकी कीमत 16000, उर्वरकों की कीमत करीब 1400, खेत की जुताई 400, मशीन द्वारा आलू बुवाई400, कीटनाशक 500, पानी का 400, आलू खुदाई, बिनाई 1900, वारदाना 1600 व कोल्डस्टोरेज का 6000 और पट्टे पर खेत का 5000 रूपये लगता है। इसी प्रकार आगरा के शमसाबाद, ख्ंादौली, संईया ब्लाक के आलू उत्पादक किसानों ने जसमों टीम को बताया कि किसानों को 400 रूपए कुंतल के हिसाब से आलू बेचना पड़ रहा है। एक बीघे में 60 से 62 कुंतल आलू का ही उत्पादन होता है, जिसकी कीमत मात्र 25 हजार रूपए ही मिल रही है। यह स्थिति तब है जब अभी कुछ ही दिनों पहले आम जनता मंहगे दरों पर आलू खरीदने को मजबूर थी। आज जब किसानों के पास आलू आ गया तो एकाएक उसकी कीमत कम हो गयी है। वहां के किसानों ने यह भी बताया कि घाटे में चल रही खेती के बावजूद किसानों से जबरन बिजली बिल की वसूली की जा रही है। बिजली बिल न देने वाले किसानों पर एफ।आई।आर। तक दर्ज की जा रही है। यहां तक की सरकार की एकमुश्त समाधान योजना भी किसानों के साथ भद्दा मजाक ही बनकर रह गयी है। जिन किसानों ने जनवरी माह में एफ।आई.आर. के दबाव में अपने बकाये का अंश जमा भी किया उनका पैसा उनके मूल बकाएं में समायोजित करने की जगह उसे ब्याज में जोड़कर पुनः बकाए की आर.सी. नोटिस जारी की जा रही और एफ.आई.आर. दर्ज कराने की धमकी दी जा रही है। इतना ही नहीं जिन किसानों ने आलू उत्पादन के लिए 7 प्रतिशत ब्याज दर पर सहकारी बैकों से 15000 रूपया कर्जा लिया था, वह आज इस घाटे के बाद उसे भी चुका पाने की स्थितियों में नहीं है। गौरतलब है कि आलू उत्पादक किसानों के इस क्षेत्र में ही यमुना एक्सप्रेस वे और औद्योगिक विकास प्राधिकरण के नाम पर मायावती सरकार किसानों का बेदखली अभियान चला रही है। यहां तक की इस क्षेत्र में त्रिस्तरीय पंचायत समितियों के चुनाव तक पर रोक लगा दी गयी है।कुल मिलाकर गन्ना किसानों के बाद आलू के किसान भी अब बर्बादी के कगार पर पहुॅच रहे है। एैसी स्थिति में जन संघर्ष मोर्चा ने आज मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर आलू किसानों के संरक्षण की मांग उठाई है। जसमों ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री से मांग की है कि आलू के संरक्षण के लिए कोल्ड़ स्टोरेज में आलू संरक्षण का खर्च सरकार उठाएं, आलू किसानों के बकाया बिजली बिल माफ किए जाएं, किसानों की श्रमशक्ति का मूल्य जोड़कर आलू का बाजार मूल्य तय किया जाएं व सरकार आलू खरीद की गारंटी करे और आलू किसानों को सस्ते दर पर बीज, खाद, कीटनाशक सरकारी केन्द्रों से देने की गारण्टी की जाएं। जन संघर्ष मोर्चा की टीम में आगरा संयोजक जी. एल. प्रेमी, प्रवक्ता मुसदीलाल नीलम, नरेन्द्र सिंह व गौरव सिंह शामिल थे।अगामी 20 फरवरी को लखनऊ में आयोजित जन संघर्ष मोर्चा की बैठक में इस मुद्दे पर आंदोलन की रणनीति भी बनाई जायेगी।
दिनकर कपूर जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं.
2 टिप्पणियां:
vaah !! to Dinkar ab communist na hokar KAPOOR ho gaye !! bahut badhaai bhai !!
vaise KAPOOR saab nai baat bilkul sayii kai dayii hai
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