05 फ़रवरी 2010

पत्रकारिता का पाठ्यक्रम व शिक्षण का तरीका बदले : जेयूसीएस

- जेयूसीएस ने प्रो अनिल चमड़िया के निष्कासन की निंदा की

- यूजीसी से नकलची प्रोफेसरों को बाहर करने की मांग


______________________________________

प्रति,
अध्यक्ष
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,
नई दिल्ली

महोदय,
जर्नलिस्ट यूनियन फाॅर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) की ओर से हम सभी युवा पत्रकार, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) में पत्रकारिता के प्रोफेसर व वरिष्ट पत्रकार, अनिल चमड़िया को बिना कोई कारण बताए निकाले जानी की कड़ी निंदा करते हैं। जैसा कि आपको ज्ञात होगा विश्वविद्यालय के कुलपति वी एन राय ने प्रो अनिल चमड़िया को व्यक्तिगत नापसंदगी के चलते कार्यपरिषद् की नामंजूरी का बहाना बनाकर विश्वविद्यालय से निकाल दिया दिया। साथ ही आपको यह भी ज्ञात होगा कि वहां इन्हीं कुलपति महोदय ने छात्रों के विरोध के बावजूद एक नकलची प्रोफेसर को पत्रकारिता विभाग का विभागाध्यक्ष बना रखा है।
अध्यक्ष महोदय से हम मांग करते हैं कि वह इस मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रो चमड़िया की निष्कासन को तुरंत निरस्त करें व विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष की योग्यता की जांच हो। संगठन का यह मानना है कि पत्रकारिता की पढ़ाई आम विषयों की पढ़ाई से बिल्कुल अलग है, और इसे पढ़ाने का तरीका भी सामान्य विषयों से अलग होना चाहिए। आयोग को हम मीडिया के छात्रों, पत्रकारों व अनुभवी शिक्षकों से बातचीत के आधार पर पत्रकारिता की पढ़ाई के संबंध में कुछ सुझाव भी पेश कर रहे हैं।
संगठन को उम्मीद है कि आयोग इन सुझावों पर गंभीरता से विचार करेगा, और पत्रकारिता शिक्षण को समाज, देश व आम लोगों के हितों के अनुरूप व्यावहारिक बनाने पर जोर देगा।


जर्नलिस्ट यूनियन फाॅर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) मांग करती है कि -

* देशभर में पढाए जा रहे पत्रकारिता के पाठ्यक्रम की समीक्षा हो. पत्रकारिता "ईश्वरीय कार्य है" (राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी, इलाहबाद के पाठ्यक्रम के अनुसार) की बजाय इसे विशुद्ध रूप से मानवीय कार्य ही रहने दिया जाए. पाठ्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा व्यावहारिक पक्ष को शामिल किया जाए.


* पत्रकारिता के पाठ्यक्रम के साथ ही इसे पढ़ने वाले शिक्षकों, प्रोफेसरों और पत्रकारों की भी समीक्षा हो, और यह सुनिश्चित किया जाए की पत्रकारिता को व्यावहारिक रूप से जानने समझाने वाला व्यक्ति ही इस क्षेत्र में आये. हम यूजीसी से मांग करते हैं की कमस कम पत्रकारिता जैसे पाठ्यक्रमों में नेट/पीएचडी धारियों की बाध्यता समाप्त की जाए और इसे पढ़ने की जिम्मेदारी पत्रकारों को ही सौंपी जाए. ताकि इसके विद्यार्थियों को भी ज्यादा से ज्यादा व्यावहारिक जानकारी मिल सके.


* पत्रकारिता की पाठ्य-पुस्तकों की भी जाँच हो. नकलची लेखकों की पुस्तकों की जाँच कर उनके खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई हो. जैसे की आप सभी को पता ही होगा अन्य क्षेत्रों की तरह इस क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में नकलची लेखकों की भरमार है. हम यूजीसी से मांग करते हैं की वो कम से कम मान्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों में इस तरह की पुस्तकों के अनुमोदन पर रोक लगाए.


* पत्रकारिता के विद्यार्थियों को व्यावहारिक, सामाजिक और राजनैतिक ज्ञान देने की कोशिश हो न की केवल सैद्धांतिक. जैसा की अधिकांश विश्वविद्यालयों और संस्थानों में विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा अव्यावहारिक और कुंद बनाये जाने की कोशिश की जा रही है. हम मांग करते हैं की पत्रकारिता के पाठ्यक्रम को कम से कम आईइएस जैसे परीक्षाओं की तरह शुद्ध रूप प्रशासनिक और सरकारी न बनाते हुए इसे ज्यादा से ज्यादा सामाजिक बनाया जाए.


* पत्रकार समाज का सबसे जागरूक तबका होता है. इस क्षेत्र और इसकी शिक्षा में भी समाज के सभी तबकों की भागीदारी सुनिश्चित कराई जाए. हालाँकि अभी तक के सर्वेक्षण ( देखें मीडिया स्टडी ग्रुप की ओर से किया गया सर्वेक्षण 'चौथा पन्ना') में यह साफ़ हो गया है की मीडिया संस्थानों में सवर्ण जातिओं का वर्चश्व है; मीडिया पाठ्यक्रम में इस वर्चश्व को ख़त्म कर समाज के निचले तबके, महिलावों और अल्पसंख्यकों की भागीदारी बढाई जाए. यूजीसी इस वर्ग से आने वाले विद्यार्थियों को विशेष प्रोत्साहन भी दे.


* निजी मीडिया शिक्षण संस्थानों में पत्रकारिता की पढ़ाई और प्लेसमेंट के नाम पर बड़े पैमाने पर ठगी का कारोबार चल रहा है। इस पर तत्काल रोक लगाई जाए। विभिन्न अखबारों व चैनलों ने खुद के मीडिया संस्थान भी खोल रखे हैं, यहां छात्रों को नौकरी देने के नाम पर प्रवेश देकर उनसे फीस के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। यूजीसी इन सभी संस्थानों का सर्वे कराकर ऐसे गोरखधंधे पर रोक लगाए और इन संस्थानों में वाजिब फीस ढांचा लागू किया जाए।


- भवदीय
ऋषि कुमार सिंह, अवनीश राय, अरूण उरांव, सौम्या झा, विनय जायसवाल, नवीन कुमार सिंह, शालिनी बाजपेई, प्रबुद्ध गौतम, पीयूष तिवारी, पूर्णिमा उरांव, लक्ष्मण प्रसाद, अर्चना महतो, पंकज उपाध्याय, अभिषेक कुमार सिंह, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, राकेश कुमार, शाहनवाज आलम, राजीव यादव, विजय प्रताप व जर्नलिस्ट यूनियन फाॅर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) के अन्य सदस्य।


- प्रति प्रेषित,

1. प्रतिभा देवी सिंह पाटिल
राष्ट्रपति, भारत सरकार
2. कपिल सिब्बल,
केन्द्रीय मंत्री, मानव संसाधन विकास विभाग
3. नामवर सिंह
चांसलर, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र

कोई टिप्पणी नहीं:

अपना समय