लोक स्वातन्त्र्य संगठन (पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टिज) की ग्राम- नन्दा का पूरा, ब्लाक नेवादा, थाना- सराय आकिल में 24 जनवरी व उसके बाद की गयी पुलिस कार्यवाही/दमन/उत्पीड़न/लूट की रपट
पृष्ठ भूमि:
25 जनवरी, 2010 के अखबारों में गांव नन्दा का पूरा में पुलिस द्वारा लाठी चार्ज, गिरतारी, मारपीट की खबरें छपी थी। इस घटना के तथ्य संकलित करने व जाँच करने के लिये संगठन के संरक्षक न्यायमूर्ति श्री रामभूषण मेहरोत्रा व श्री रवि किरन जैन के निर्देश पर एक जांच समिति गठित की गयी जिनमे निम्न सदस्य थे -
डा0 रंजना कक्कड़ (प्रोफेसर आधुनिक व मध्यकालीन इतिहास विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं पूर्व अध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय अध्यापक संघ
डा0 निशा श्रीवास्तव प्रोफेसर अर्थशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय
डा0 पद्मा सिंह संयोजक, स्त्री अधिकारी संगठन, प्रवक्ता, हमीदिया कालेज, इलाहाबाद
के0के0 राय अधिवक्ता
साहब लाल अधिवक्ता
रमेश कुमार अधिवक्ता, (जिला उपसंयोजक-पी0यू0एच0आर0)
तय कार्यक्रम के अनुसार जांच कमेटी 26 जनवरी 2010 को 12 बजे नन्दा का पूरा पहुंँची और चार बजे तक गांव में रही तथा निम्न कार्यवाही संचालित की।
(1) पीड़ितों का बयान,
(2) घटनास्थल का मुआयना,
(3) तोड़े गये व लूटे गये सामानों की सूची,
(4) प्रेस रिपोर्ट, प्राथमिकी (एफआईआर) का अध्ययन
(5) प्रतिवेदन
घटना की पृष्ठभूमि:
इलाहाबाद और कौशाम्बी जनपद में, खास तौर पर, यमुना नदी के किनारे के गांवों में, ‘अखिल भारतीय किसान मजदूरी सभा’ (एआईकेएमएस) नामक संगठन गरीबों में सक्रिय है। इसे मीडिया में और आम जन में ‘लाल सलाम’ पार्टी के रूप में भी जाना जाता है।
यह संगठन यमुना नदी में मशीनों से बालू निकाले जाने का विरोध करती है। इसका कहना है कि नदी के किनारे के गांवों की गरीब जनता के रोजी-रोजगार का यही एक जरिया है, नदी से बालू निकालने की मजदूरी करना। मशीनों के इस्तेमाल से इनकी रोजी खतम हो जायेगी और हजारो परिवार भुखमरी के कगार पर पहुँच जायेंगे। इनका यह भी कहना है कि मशीनों के प्रयोग से नदी के परिस्थिति की और पर्यावरण का नुकसान हो रहा है। घाटों पर गहरे गढ़ढे बन रहे है। इससे नदी रास्ता बदल सकती है और गांव बह सकते हैं।
शासनादेश दिनांक 30.12.2000 और उपखनन कानून भी मशीनों के प्रयोग को बालू खनन में रोकता है और बालू खनन में निषाद, केवट आदि बिरादरियो को प्राथमिकता देता है। इस संगठन का कहना है कि बालू खनन में मशीनों के प्रयोग में शक्तिशाली नेता, विधायक, सत्ता समर्थक दबंगो का वर्चस्व है जिसके सामने सरकार, प्रशासन व पुलिस लाचार है और उनका साथ देती है।
यह संगठन नदी के कछार व टापू की जमीनो को स्थानीय गरीबों को आसामी पट्टो पर उठाये जाने की मांग करती है जो जमींदारी उन्मूलन कानून, 1950 की धारा 132 के तहत इसी काम के लिये आरक्षित है लेकिन इन जमीनों पर दबंगों का कब्जा है। यह मछली, खेती व घाट-उतरवायी में गुण्डा टैक्स वसूली का विरोध करती है। उच्च न्यायालय ने भी रिट संख्या 13317/2008 मंे निर्णय दे दिया है कि बालू खनन में मशीनों पर रोक लगे।
घटना का दिन, 24 जनवरी, रविवार, 2010:
जांच दल में गांव मे करीब 150 लोगों से बात की और पाया कि 24 जनवरी को नन्दा का पूरा में हजारों लोगों की एक सभा हुई, मशीनों के इस्तेमाल, गुण्डा गर्दी, माफिया राज के विरोध मे जो करीब 4 बजे तक चली। सभा शास्ति पूर्ण थी। सभा के बाद लोग अपने घर चले गये। इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से कौशाम्बी जिले की करीब 500 पुलिस बल 5.30 बजे के करीब नन्दा का पूरा गांव मे घुसी। पहले संगठन (एआईकेएमएस) के कार्यालय गयी। दरवाजा तोड़ा, भीतर सारा सामान तोड़ा, आलमारी, से 6000/- रुपया निकाल लिये। साईकिल, कुर्सी, मेज, तख्त सब तोड़ डाला। उसके बाद गांव के करीब 55 घरों में तोड़फोड़ की, सामान, नकदी लूटा और साईकिल (37) व एक मोटर साईकिल उठा ले गये। जमुना नदी के किनारे गये और कई नावों, डोगियों को तोड़ डाला। संगठन के उपाध्यक्ष छेदी लाल के घर का दरवाजा तोड़कर करीब 1 लाख का नुकसान किया। इस पूरे अभियान में उपजिलाधिकारी, चायल, श्री अनिल कुमार मिश्र, क्षेत्राधिकारी चायल के साथ, पिपरी, चरवा, सराय आकिल, कौशाम्बी, पश्चिम शरीरा, मुरामुती, कोखराज व महेवा घाट की पुलिस फोर्स व 6 ट्रक (मोटर) पी0ए0सी0 शामिल थी।
जिनका सामान लूटा गया, उसका विवरण इस प्रकार है -
क्र0 सं0 - व्यक्ति - सामान/वस्तुएँ
1. अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा कार्यालय (जो गांव में स्थित है) - कमरे का दरवाजा तोड़ दिया, आठ-दस फाइवर की कुर्सियां, लोहे की आलमारी, मेज, बक्सा तोड़कर उसमे रखे हुये चन्दे का फण्ड रुपये 9000/-, एक दर्जन गिलास, बाल्टी व जग एवं बैनर व पोस्टर।
2. राकेश पुत्र चन्दा - फूल का बटुआ (पतीला) वजन 9 किलो, दरवाजा तोड़ दिया।
3. प्रकाश - दरवाजा तोड़कर 5 किलो का बटुआ, एक चांदी की करधन (वजन 500 ग्राम), 2 थाली, साइकिल।
4. रामभवन - दो साइकिल, कुर्सी, टार्च
5. विद्यासागर - एक साइकिल एवं 200 रुपया
6. छेदी लाल - एक साइकिल, 2 खुरपा व तीन हंसियाँ तथा खपड़े तोड़ दिये।
7. रामजियावन - दरवाजे तोड़कर, घर से एक साइकिल तथा हंसिया व खुरपी
8. सुरेश - खपरैल मकान के सारे खपड़े चूर-चूर, साइकिल
9. शिवलाल - परचून की दुकान लूट लिया, दो हजार रुपये, साइकिल
10. इन्द्रपाल - दरवाजा तोड़ दिया, दो साइकिल
11. चन्द्रपाल - दरवाजा क्षतिग्रस्त, सभी बर्तन एवं चूल्हा, बाॅक्स तोड़कर 500 ग्राम वजन की एक करधन एवं 5000/- रुपये
12. होरी लाल - दरवाजा तोड़कर, दो साइकिल उठा ले गये
13. रामबाबू - दरवाजा तोड़ा, एक मोटर साइकिल (हीरोपुक), हेलमेट, तराजू व बाट
14. रामराज - दरवाजा तोड़ा, साइकिल
15. रामानन्द - एक साइकिल तथा झोपड़ी क्षतिग्रस्त साथ ही 5 किग्रा0 देशी घी एवं पौड़ी उठा ले गये।
16. रामबली - पांच किलो जाल जला दिया, नाव तोड़ दिया।
17. राममूरत - पांच किलो जाज जला दिया, नाव क्षतिग्रस्त
18. गोलकू - नाव क्षतिग्रस्त, 10 किलो रस्सा उठा ले गये
19. मद्दा पासी - एक साइकिल
20. कल्लू - (नि0 तारापुर) 2000/- रुपये
21. बुधराम - 2 साइकिल
22. नन्दलाल - एक साइकिल
23. किशन - (नि0 सैतेपुर) एक साइकिल, 5000/- रुपये
24. बुद्धु - नाव क्षतिग्रस्त, उस पर से 5 किलो रस्सा
25. टिन्चुक - नाव से 10 किग्रा0 रस्सा, 500 ग्राम की डोरी तथा नाव तोड़ दिये
26. दुब्बर - नाव से पांच फावड़ा, 7 तसला एवं 2 किग्रा नाव खींचने की डोरी, बर्तन व बाल्टी
27. मुरली - नाव से 5 किग्रा जाल, 2 रजाई, एक कम्बल आदि
28. अल्ली छोटी - नाव क्षतिग्रस्त, 10 किलो जाल, 1 रजाई, एक कम्बल, 2 भगोना, 4 थाली आदि
29. मिश्री लाल - नाव तोड़ दिया और यमुना मे डुबो दिया
30. सेमलाल - दरवाजा तोड़कर सारे बर्तन व अन्य सामान
पुलिस द्वारा मारपीट के कारण बड़ी संख्या में महिलाएं एवं बच्चे बुरी तरह घायल हुए, कुछ के नाम इस प्रकार है:-
1- फूलकली पत्नी शिवलाल - दायें हाथ में चोट
2- विमला देवी (अंधी लड़की) - चेहरे पर चोटे एवं खरोज के निशान
3- रूकमणि (70 वर्ष की वृद्धा विधवा)- पांव में सूजन चेहरे पर खरोंच
4- तारा देवी - बुरी तरह घायल
5- शकुन्तला देवी - चेहरे पर चोट के निशान
6- भँवरी देवी - शरीर पर चोट के निशान
सत्तर साल की रूकमणि ने रोते हुये बताया कि पुलिस ने उसके पैरो पर लाठियों से मारा है। उसकी बहू कलावती को भी गाली दिया।
एक अंधी लड़की विमला देवी (30 वर्ष) को भी पुलिस ने नहीं बख्शा और उसे लाठियों से मारा। उसकी माँ गुलाब कली को लाठी से मारा गया। 30 वर्षीय तारा देवी, उसके 2 लड़के, 2 लड़कियाँ पुलिस के डण्डो से मारी गयी।
फूलकली को पुलिस की लाठी पड़ी। उसने बताया कि उसका पति शिव लाल किसी मींिटंग मे नहीं जाता। उसे पुलिस घर से उठा ले गयी। जब वह उन्हें खाना-कपड़ा देने थाने गयी तो उसे गालियाँ दी गयी और सामान-खाना देने नहीं दिया।
शकुन्तला देवी ने जांच टीम को बताया कि उसके घर के दरवाजे पर पुलिस ने लाठियाँ बरसायी। वह जान बचाने हेतु भागकर कटीली झाड़ी में कूद गयी जिससे उसके पैर व शरीर के अन्य भागों पर चोटें आई। रोते हुये कहतीं है कि उसके घर में खाने को कुछ नहीं है। गांव में पुलिस आतंक से पुरूष भाग गये है। कोई कमाने वाला नहीं है। घरों में भुखमरी की स्थिति है।
गिरफ़्तारी -
22 जनवरी को नेवादा ब्लाक में प्रतिरोध मार्च निकलाते हुये 35 मजदूरो को गिरफ़्तारी किया। 24 जनवरी को नन्दा का पुरा से 11 लोगों को गिरफ़्तारी किया और 26 जनवरी को 20 लोग गिरतार हुए। इन पर अपराध संख्या 19/2010 में धारा 147, 148, 149, 332, 353, 186, 153क भा0द0सं0 व 7 क्रिमिनल लाॅ अमेन्डमेन्ट एक्ट के अलाव 1932 का प्रिवेन्शन आॅफ अनलाॅफुल एक्टीविटी की धारा 6 लगाया। इसके अलावा कुछ पुराने केस भी इन पर लाद दिये गये जिसमे थाना सराय आकिल व थाना पूरामुती में पूराने एफ0आई0आर0 मे अज्ञात लोगों को दिखाया गया था जैसे अपराध संख्या 367/09, 336/09, 399/09, 400/09, 441/09 थाना सरायं आकिल व अपराध संख्या 10/2010, 40/2010 थाना पुरामुती) सभी लोग जेल में हैं।
गांव की स्थिति व माहौल -
नन्दा का पूरा करीब 150 घरों का गांव है जिसमें बेहद गरीब लोग रहते हैं। ज्यादातर मकान कच्चे व फूस मिट्टी के हैं। कुछ आधा पक्के मकान हैं। 95 फीसदी लोगों के पास खेती लायक जमीन का एक टुकड़ा भी नही है। ये बाल मजदूरी व मछली पर निर्भर हैं। गांव में किसी सरकारी योजना का अमल नहीं दिखायी गयी। नरेगा के अन्तर्गत भी रोजगार नहीं मिला। शिक्षा व्यवस्था के नाम पर एक प्राइमरी स्कूल है जिसमें 1 अध्यापक व एक शिक्षा मित्र है। मिड-डे मिल अक्सर नहीं मिलता है। दलितों के वजीफे मे भी भ्रष्टाचार व्याप्त है।
गांव के मजदूर बाल खनन मे भोर 3-4 बजे नदी में उतरते है और उन्हें पूरी मजदूरी भी नहीं मिलती है।
गांव की ज्यादातर आबादी अनुसूचित जाति (निषादों व पासियों)ं की है।
जांच दल को गांव के बाहर मोड पर भारी संख्या में हथियारबन्द पुलिस की मौजूदगी मिली। पूरे गांव में जबर्दस्त डर भय का माहौल था। ज्यादातर बच्चे, बूढ़े व महिलायें ही गांव मे बचे थे। जांच के दौरान एक बार पुलिस के आने की खबर आयी तो भगदड़ मच गयी। एक पुलिस दस्ता हमारी गाड़ी के पास आया और गांव के लोगों से कहा कि ये लोग चले जाये फिर तुम (गाली देकर) लोगों का हाथ पैर तोड़ा जायेगा।
निष्कर्ष
जांँच समिति की आम राय थी कि पुलिस की कार्यवाही एक तरफा और बर्बर थी। उन्होंने अहिंसक, शान्तिपूर्ण, ग्रामीणो को, महिलाओ, बूढ़ों, बच्चों को भी अपने जुल्म का निशाना बनाया। लूट-पाट और तोड़-फोड़ की और जन-धन को हानि पहंुचाया।
कानूनो के रक्षकों का यह कृत्य निन्दनीय और दण्डनीय है। उन्होंने अपनी सेवा शर्तो का उल्लंघन किया और पेशे की मर्यादा का अतिक्रमण किया, साथ ही भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त मूल अधिकार का उल्लंघन किया।
पुलिस कर्मियों द्वारा किया गया कृत्य पुलिस रेगुलेशन व भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं के अन्तर्गत अपराध गठित करता है।
संस्तुति
(1) पूरे घटना की न्यायिक निष्पक्ष जांच किसी उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायमूर्ति या पूर्व न्यायमूर्ति से करायी जाये।
(2) नन्दा का पूरा में उत्पीड़न दमन-लूट-पाट का नेतृत्व करने वाले उपजिलाधिकारी, चायल, क्षेत्राधिकारी, चायल, शामिल थानो के थानाध्यक्ष व पुलिस पी0ए0सी0 कर्मियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज किया जाये।
(3) घायलों का इलाज कराया जाये व उन्हें क्षतिपूर्ति दिया जाये।
(4) लूटे गये सामानों, तोड़-फोड़ का आंकलन कर उसकी क्षतिपूर्ति दिया जाये।
डॉ रंजना कक्कड़, डॉ निशा श्रीवास्तव, डॉ पद्मा सिंह,
के0के0 राय, साहब लाल, रमेश कुमार
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