09 फ़रवरी 2010

पुलिस बताए क्या है 'नक्सली साहित्य' ?

- जेयूसीएस ने संपादक सीमा आजाद की रिहा करने की मांग की

नई दिल्ली, 9 फ़रवरी

जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) की ओर से हम सभी युवा पत्रकार, दस्तक पत्रिका की संपादक और मानवाधिकार कार्यकर्ता सीमा आजाद के गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हैं। इसके साथ ही पूर्व छात्र नेता,लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ता और सीमा आजाद के पति विश्वविजय की गिरफ्तारी की भी जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी कड़ी निंदा करता है। उल्लेखनीय है की शनिवार को जब ये लोग दिल्ली के पुस्तक मेले से इलाहाबाद लौट रहे थे तभी स्टेशन पर ही उन्हें गिरफ्तार किया गया ।पुलिस का कहना था कि इन लोगों के पास से 'नक्सली साहित्य' बरामद हुआ है और इस आधार पर पुलिस इन्हें गिरफ्तार करती है।पुलिस ने सीमा आजाद की गिरफ्तारी बिना किसी महिला पुलिस की मौजूदगी में किया।

सीमा आजाद ने सोनभद्र में कमलेश चौधरी के पुलिस के फर्जी मुठभेड़ और बसपा के दबंग नेताओं के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके अलावा कौशांबी और इलाहाबाद में खनन माफिया के खिलाफ भी सीमा ने अपनी आवाज मुखर की थी। हमें घोर आश्चर्य है कि मानवाधिकारों और लोगों के सवैंधानिक अधिकारों की आवाज को उठाने वाली एक पत्रकार को पुलिस नक्सली बताकर हिरासत में ले लेती है। प्रदेश पुलिस की यह कार्रवाई असवैंधानिक, सेवा शर्तों के विपरीत तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है।
जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी मांग करता है कि पत्रकार और संपादक सीमा आजाद को तुरंत रिहा किया जाए। इसके अलावा पुलिस यह भी साफ करे कि 'नक्सली साहित्य' क्या है। वे कौन से आधार हैं जिन पर पुलिस किसी भी किताब को तुरंत देखकर ही उसे नक्सली साहित्य बता सकती है, और किसी साहित्य को पढ़ने या उसे अपने पास रखने के आधार पर किसी की गिरफ्तारी कैसे की जा सकती है ?

जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) की ओर से
अवनीश राय, विजय प्रताप, ऋषि कुमार सिंह, शाहनवाज आलम, राजीव यादव, अरूण उरांव, चन्द्रिका, लक्ष्मण प्रसाद, विवेक, अनिल, देवाशीष प्रसून, सौम्या झा, विनय जायसवाल, नवीन कुमार सिंह, शालिनी बाजपेई, प्रबुद्ध गौतम, पीयूष तिवारी, पूर्णिमा उरांव, लक्ष्मण प्रसाद, अर्चना महतो, पंकज उपाध्याय, अभिषेक कुमार सिंह, राघवेन्द्र प्रताप सिंह,राकेश कुमार द्वारा जारी .

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