09 फ़रवरी 2010

पत्रकार सीमा को रिहा करने की मांग

- सपा ने किया पीयूसीएल का समर्थन

लखनऊ,(जनसत्ता)। कई राजनैतिक दलों और संगठनो ने पीयूसीएल की संगठन सचिव सीमा आजाद की गिरफ्तारी की निंदा की है। पीयूसीएल ने इसके विरोध में १३ फरवरी को विधान सभा के सामने धरना देने का एलान किया है । इस बीच कई जन संगठनों ने सीमा की गिरफ़्तारी की निंदा की ।साथ ही शहर के कलाकारों और साहित्यकारों न्र भी इसका विरोध किया । समाजवादी पार्टी ने कहा है कि इस गिरफ्तारी से सरकार का फासिस्ट चेहरा सामने आ गया है। पार्टी ने फौरन ही सीमा आजाद को रिहा करने की मांग की है।
पार्टी के बयान में कहा गया कि मानाधिकार संगठन के पदाधिकारियों को नक्सली बताकर गिरफ्तार करना प्रदेश में लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। संजरपुर (आजमगढ़) में कांग्रेस महासचिव के सामने बाटला कांड पर साल पूछने पर पीयूसीएल के प्रदेश संयुक्त सचिव पर गुंडा एक्ट लगा दिया गया। अब मीडिया से संबंधित सीमा आजाद तथा उनके पति को भी माओवादी बताते हुए गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें हथकड़ी लगाकर अदालत में पेश किया गया जो अमानवियता की हद है।
सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि कांग्रेस और बसपा दोनों की मानसिकता सत्ता के विरोध का दमन करने की है। संविधान में संगठन बनाने और अभिव्यक्ति की आजादी की गारंटी की इनको परवाह नहीं है। कांग्रेस तो आपातकाल लगाकर अपना चरित्र उजगर कर चुकी हैं। बसपा की मुख्यमंत्री मायावती भी लोकतंत्र पर प्रहार करने का कोई मौका नहीं चूकती हैं। उन्होने लोकतंत्र की सभी संस्थाओं का अवमूल्यन किया है। न्यायपालिका की अवहेलना की है, विधायिका के प्रति उनका रुख कभी सम्मानजनक नहीं रहा और कार्यपालिका का मनोबल गिराकर उन्होंने उसे पार्टी की वालंटियर फोर्स की तरह काम करने को मजबूर कर दिया है।
उन्होंने कहा कि यह बात तो जगजहिर है कि मानवाधिकार हनन के मामले में उत्तर प्रदेश ने देश भर में अपना रिकार्ड बनाया है। निर्दोष नौजवानों के मुठभेड़ की कितनी ही खूनी कहानियां यहां के पुलिसतंत्र के नाम लिखी है। फर्जी मुकदमें बनाने में प्रदेश सरकार उसके अफसरों को महारत हासिल है। समाजवादी पार्टी माओवाद के नाम पर दमन की इन कार्यवाई की घोर निन्दा करती है और इस तरह के फर्जी केस तुरंत बंद करने की मांग करती है।

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