19 मार्च 2010

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आलोक में बटला हाउस एनकाउंटर की न्यायिक जांच जरूरी

आजमगढ़ 19 मार्च, 2010 !
मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज का मानना है कि कथित बटला हाउस इनकाउन्टर में दिल्ली पुलिस द्वारा मारे गये आतिफ अमीन और मुहम्मद साजिद की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में उनके मारे जाने से पहले शारीरिक यातना के स्पष्ट प्रमाण पाये जाने के बाद इसकी न्यायिक जॉंच की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है । पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि आतिक अमीन के शरीर के पिछले भाग में आठ गोलियां लगी हैं जबकि सत्रह वर्षीय साजिद के सर पर षून्य रनेज से गोली मारे जाने के अतिरिक्त गर्दन के पिछले हिस्से में दो और सिर के पीछे के भाग में एक गोली लगने के निशान हैं । आमने सामने की मुठभेड़ में इस प्रकार से शरीर के पिछले भाग में गोलियों का लगना पुलिस की कहानी पर गम्भीर सवालिया निशान है । पूर्व में न्यायिक जॉंच की मॉंग को सरकार द्वारा ठुकराये जाने को पीयूसीएल नेता शाहनवाज आलम, राजीव यादव, तारिक शकील, मसीउद्दीन, संजरी ने कहा कि सरकार की मानवाधिकार मुद्दों के प्रति संवेदनहीनता और दोषी मंत्रियों और राजनेताओं को बचाने की राजनैतिक चाल के रूप में देखते हैं । केन्द्र सरकार ने अपने तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल जो कथित रूप से इस विवादास्पद इनकाउन्टर को निगरानी कर रहे थे तथा दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित के बचाव के लिये पुलिस के मनोबल गिरने की दुहाई ही नहीं दी बल्कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की गरिमा को भी दागदार किया । आयोग ने अपनी जॉंच रिपोर्ट में आतिक और साजिद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इन महत्वपूर्ण विन्दुओं का गम्भीरता पूर्वक संज्ञान नहीं लिया । आयोग ने दूसरे पक्ष को सुनने, घटनास्थल की जॉंच तथा कथित इनकाउन्टर में जीवित पकड़े गये मु। सैफ का बयान न दर्ज करके जॉंच के तटस्थ मापदण्डों की अनदेखी की जिससे आयोग की विश्वसनीयता को गहरा आघात लगा है । कांग्रेस महासचिव दिग्विविजय सिंह का आजमगढ़ और सन्जरपुर का दौरा भी इसी राजनीतिक दुष्चक्र का हिस्सा है । अपने दौरे में दिग्विजय सिंह ने एक ओर आरोपियों के परिजनों से अपनी सहानुभूति दिखायी और साजिद के सर में गोली लगने को संदिग्ध बताया तो दूसरी ओर न्यायिक जॉंच की मांग को छोड़ देने का भी दबाव बनाया । श्री सिंह ने न्यायिक जॉंच की मांग न करने की स्थिति में विभिन्न राज्यों में चल रहे मुकदमों को इकट्ठा कर एक जगह चलाने का आश्वासन भी पीड़ित परिवारों को दिया। पीयूसीएल का स्पष्ट मत है कि कथित बटला हाउस इनकाउन्टर पूरी तरह संदिग्ध है और हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली की विश्वसनीयता को बनाये रखने के लिये इसकी समयबद्ध न्यायिक जॉंच करवाना ही एक मात्र विकल्प है । पीयूसीएल यह मांग भी करती है कि शिवराज पाटिल और शीला दीक्षित पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाय और पीड़ित परिवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध करायी जाय ।
द्वारा जारीश्राजीव यादवमसीउद्दीन संजरी, सहनवाज आलम, तारीक शकीकविनोद यादव प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य मो0नं0 9935492703

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