18 मार्च 2010

एस. टी .एफ़ को तत्काल भंग करो

हरियाणा की स्पेशल टास्क फोर्स को भंग कर दिया गया है। एसटीएफ पर न केवल वसूली का आरोप है,बल्कि इस आरोप के पुख्ता सबूत भी मौजूद हैं। जिनके आधार पर सातों जवान समेत एसटीएफ के मुखिया अशोक श्योराण को हिरासत में लेकर कोर्ट में पेश किया गया है। इन सभी लोगों पर पानीपत में दो अलग-अलग सर्राफा व्यापारियों से 6 लाख और 10 लाख रूपये की वसूली करने का आरोप है। एसटीएफ जवानों को वसूली करते हुए सीसीटीवी कैमरे में पकड़ा गया है। हरियाणा में एसटीएफ के इस तरीके से गैर कानूनी कामों में पकड़े जाने के साथ ही विभिन्न मानवाधिकार संगठनो द्वारा लगाया जाने वाला यह आरोप एक बार फिर पुख्ता हो गया है कि विशेषाधिकार सम्पन्न सुरक्षा बलों का अपराध और अपराधियों से गहरा सम्बन्ध है | दरअसल एस टी एफ़ का यह अपराधिक चेहरा कोई पहली बार उजागर नहीं हुआ है
कश्मीर,देल्ही, से लेकर पंजाब, छत्तीसगढ़ , पूर्वोत्तर व् उत्तर प्रदेश ,महाराष्ट्र सरीखे कई राज्यों में जंहा सरकारे कथित नक्सलवाद और आतंकवाद जैसी समस्याओं से निपटने या क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर पुलिसिया तंत्र को खुली छूट दे चुकी है वंहा एस टी एफ़ जैसे विशेषाधिकार प्राप्त एजेंसिओं पर आपराधिक और अधिकतर मामलों में तो साम्प्रादायिक रुझान से निर्दोशो का मानवाधिकार उत्पीडन करने का आरोप लगता रहा है\
कश्मीर में जहा आलम यह है की पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को छोड़कर सभी दलों ने अपने घोषणा पत्र में सत्ता में आने पर एस टी एफ़ को भंग कर देने का वादा किया था तो वंही उत्तर प्रदेश विधानसभा के सामने भी एस टी एफ़ जिसे अब "स्टेट टेरर फाॅर्स" भी कहा जाने लगा है को भंग करने के लिए कई धरना प्रदर्शन किये जा चुके है|
ऐसे में सवाल उठता है की जब इस "बल"( एस टी एफ़) के ऊपर चौतरफा सवाल उठ रहे हो तब भी सरकारे इसे भंग करने को तैयार क्यों नहीं है ? जबकी कानूनन देखे तो उत्तर प्रदेश विधानसभा में इस बल के गठन को लेकर न तो कोई विधयेक लाया गया था और न ही इस पर किसी भी तरह की बहस हुई थी इस तरह संवैधानिक दृष्टी से भी यह "बल" वैध नहीं है|
इन तर्कों के आलोक में देखे तो स्पष्ट है की STF राज्य दमन का औजार बन गया है. जिसका उद्देश्य सत्ता विरोधी आन्दोलनों का दमन करना,उनके नेताओं को फर्जी मामलों में फ़साना, फर्जी मुठभेड़ कर के आउट ऑफ़ टर्न प्रमोशन पाना और अवैध धन उगाही करना बन गया है,
अतः हम पुरजोर मांग करते है की इस आपराधिक विशेषाधिकार प्राप्त बल को तत्काल भंग कर उसके चलते आम जनता में व्याप्त डर और दहशत को तत्काल ख़तम किया जाए ताकि आम जनता का क़ानून और व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार एजेंसिओं में विशवास बहाल हो सके |
उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों की स्पेशल टास्ट फोर्स के कामकाज पर भी सवाल उठते रहे हैं। कई राज्यों में एसटीएफ के अलावा भी कई नाम दिये गये हैं,लेकिन इनके अपराधों,खासकर मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले में नार्को टेस्ट की मांग तक की जा चुकी है। उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो पिछले कई सालों से एसटीएफ बेगुनाह लड़कों को गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में लेने का काम कर रही है। चूंकि अवैध वसूली के आरोप में हरियाणा एसटीएफ को भंग किया जा चुका है,इसलिए उन आरोपों पर गौर करने की जरूरत है जो अन्य विशेषाधिकार बलों और उनको समर्थन देने वाले कानून पर लगते रह हैं।

जर्नलिस्ट यूनीयन फॉर सिविल सोसाइटी द्वारा जनहित में जारी...

 अवनीश राय, लक्ष्मण प्रसाद,विजय प्रताप,विनय जायसवाल,ऋषि कुमार सिंह,रवि राव,शिवदास,विवेक मिश्र , चंद्रिका, अरूण उरांव, प्रबुद्ध गौतम,अनिल, शाहनवाज आलम, राजीव यादव,नवीन कुमार, पंकज उपाध्याय,दिलीप, संदीप दुबे, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, देवाशीष प्रसून, राकेश कुमार, शालिनी वाजपेयी,सौम्या झा, पूर्णिमा उरांव, अर्चना मेहतो,अभिषेक रंजन सिंह, अरुण वर्मा,तारिक शफीक, मसीहुद्दीन संजरी, पीयूष तिवारी,अभिमन्यु सिंह,प्रकाश पाण्डेय,ओम नागर,प्रवीण माल्वीइ व अन्य साथी |

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