08 मार्च 2010

उजिहिनी की गिरफ्तार बच्चियों व महिलाओं को रिहा करो

शबनम/धनपत्ति देवी
इलाहाबाद व कौशाम्बी जिलों के गांवों में आज प्रगतिशील महिला संगठन के नेतृत्व में सैकड़ों महिलाओं ने रैलियां निकालकर व जनसभाएं करके नारे लगाए ‘‘भीख नहीं अधिकार चाहिये, मायावती से जवाब चाहिये’’, खेत मजदूरी 100 रूपये नहीं मिलती, मायावती जवाब दो’’, ‘‘उजैहिनी व नन्दा का पूरा में हमलावर पुलिसवालों को गिरफ्तार करो’’,‘‘उजिहिनी की गिरफ्तार बच्चियों व महिलाओं को रिहा करो’’, ‘‘महिलाओं व बच्चियों पर अपराध करने वाली कानून व्यवस्था मुर्दाबाद’’ और ‘‘महिला ताकत जोड़ो, गुलामी की जंजीर तोड़ो’’।
यह विरोध प्रदर्शन कौशाम्बी में उजिहिनी (50), व इलाहाबाद के घूरपुर (200), कंजासा जगदीशपुर (400), करमा (100), गन्ने (50), मिश्राबांध (200), बसवार (50), प्रतापपुर (150), सिमरी (50), उढगी और अमिलिया (50), कोटरा (50), कुल 12 स्थानों पर 1300 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया।
विरोध करके यह बात उजागर की गयी कि पुरुषों के साथ बराबरी के लिए आवाज बुलन्द करते हुए दुनिया की महिलाओं को 100 वर्ष बीत गए है. पर भारत की महिलाएं आज भी सामंती उत्पीड़न के बोझ के तले कराह रही है, और इस दमन का जो अंश सामंत पूरा नहीं कर सकते उसे पूरा करने की जिम्मेदारी खुद पुलिस और प्रशासन ने ले ली है। यह बात पिछले दिनों से कौशाम्बी प्रशासन और पुलिस द्वारा गांव उजिहिनी व नन्दा का पूरा में तब पूरी तरह साबित कर दी जब उसने उच्च अधिकारियों के सामने घर व दुकानें लूटीं, बेरहमी से महिलाओं, बच्चों व वृद्धों को पीटा, घरों को तोड़ा व जलाया, तरह-तरह के झूठे केस दर्ज करके जिनमें धारा 307 भी है, महिलाओं व लड़कियों को गिरफ्तार किया। और यह सब इसलिए किया है कि इन बहादुर महिलाओं ने मायावती सरकार व पार्टी को सजा रहे आभूषणों, ताकतवर माफियाओं के सामने लड़ने की हिम्मत की है। उत्तर प्रदेश की महिला मुख्यमंत्राी ने अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर महिलाओं को जो तोहफा दिया है वो है जेल दीवारें, टूटे हुए घर, घायल बच्चे, भूखे जानवर, बोई हुई जमीन पर उजाड़ी गयी फसल, टूटे बर्तन व चूल्हे, लूटे गए खाली कनस्तर और एक हथियार बन्द पी0ए0सी0 कैम्प जो सुबह खेत तक में जाने से रोकती है।
प्र0म0स0 ने इस सब का विरोध करते हुए महिलाओं को संकल्प दिलाया कि वो अपने जीवन व जीविका की ताकतवर जमींदारों व माफिया से, संसदीय दलों से व एक भ्रष्ट, संवेदनहीन व फासीवादी पुलिस-प्रशासन से रक्षा के लिए संघर्ष तेज करें।
सभाओं को सम्बोधित करने वालों में थीं - धनपति देवी, सुमन, सुनीता, सीमा, रेखा देवी, सायराबानो, पार्वती, प्रभावती, कान्ती देवी, चमकी देवी, चिन्ता देवी, अनारकली, गेंद कली, शबनम, शान्ती देवी, श्यामकली, संगीता, अनीता, बेला देवी, जयकली, फूलकली, लक्ष्मी निषाद, गीता निषाद, रामकली, जग्गी भारतीया, फूलमती निषाद, वर्षा, उषा, बिल्लन, रीता देवी, रईसा बेगम, रुकसाना बेगम, सरोज देवी, चम्पा देवी, रीता देवी, मेहरुन्निसा, डा0 निशा श्रीवास्तव, रूची मित्तल व अन्य।
प्रमस ने महिला आराक्षण विधेयक के मामले में कांग्रेस, भाजपा व सी0पी0एम0 की निन्दा करते हुए कहा है कि महिला आरक्षण को जातीय आरक्षण के विरूद्ध नहीं खड़ा किया जाना चाहिये। अगर पंचायत राज में अलग जातीय श्रेणियों में महिला आरक्षण हो सकता है तो संसदीय चुनावों में भी किया जाना चाहिये।

प्रगतिशील महिला संगठन, इलाहाबाद

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