कांग्रेस पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह अब भी दो साल पहले दिल्ली के बटला हाउस में हुई मुठभेड़ की न्यायिक जांच के हक़ में है.दिग्विजय सिंह ने कहा कि इसकी न्यायिक जांच में क्या हर्ज है.
अयोध्या मामले में अदालत के फ़ैसले पर उन्होंने कहा कि भारत में अब वैसा माहौल नहीं है जो वर्ष 1992 में था. उन्होंने कहा, ''कांग्रेस ने अपने सभी नेताओं को उनके इलाक़ो में रहने और मुल्क में सदभाव बनाए रखने में हर संभव योगदान के लिए कहा है.'''न्यायिक जांच का आधार नहीं'
राजस्थान की यात्रा पर आए दिग्विजय सिंह ने कहा कि वो बटला हाउस मुठभेड़ का मुद्दा उठाते रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार और माननीय प्रधानमंत्री का मानना था कि इस घटना की न्यायिक जांच का कोई आधार नहीं है और ऐसी जांच भारत के मानव अधिकार आयोग द्वारा की जानी चाहिए.ये क़ानूनी बाध्यता भी है और आयोग ऐसी हर घटना की जांच करता है.उन्होंने कहा की राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने इस बात को ख़ारिज कर दिया कि ये मुठभेड़ नकली थी, मगर यूपी और अन्य भागों में अल्पसंख्यक युवा वर्ग के लिए ये एक भावनात्मक मुद्दा था कि इस घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए.
इस घटना में जो दो लोग मारे गए थे, उनमें से एक के सर पर पांच गोलियां लगी थी.किसी भी इन्काउंटर में पांच गोलियां सर में नहीं लग सकती. इससे ऐसा लगता है कि ये मुठभेड़ सही नहीं थी.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री सिंह ने कहा कि '' इस घटना में जो दो लोग मारे गए थे, उनमें से एक के सर पर पांच गोलियां लगी थी.किसी भी इन्काउंटर में पांच गोलियां सर में नहीं लग सकती. इससे ऐसा लगता है कि ये मुठभेड़ सही नहीं थी.''
सिंह ने कहा कि इसीलिए हमने फिर से जांच की मांग की थी. ''जो लोग इस घटना में पकड़े गए हैं ,हम ये नहीं कहते कि उनको छोड़ देना चाहिए,मगर हम ये कह रहे हैं कि इस मामले में शीघ्र न्याय के लिए कार्रवाही होनी चाहिए.''
दिग्विजय को काला झंडा
इससे पहले मंगलवार को दिल्ली में भी दिग्विजय सिंह ने बटला हाउस मुठभेड़ की बात उठाई थी.बटला हाउस मुठभेड़ के दो साल हो जाने पर जामिया टीचर्स सालीडैरिटी एसोशिएसन की तरफ़ से 'आतंकवाद' और संदेह की राजनीति पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए दिग्विजय सिंह नें कहा कि वो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने ये मुद्दा दोबारा उठाएंगे. उन्होंने कहा कि वो न्यायिक जांच की मांग करते रहें हैं लेकिन उनकी अपनी सीमाएं हैं और वो उनसे बाहर जाकर कोई काम नहीं कर सकते.
इस मौक़े पर जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी ने दिग्विजय सिंह को काले झंडे दिखाए.
जेयूसीएस के पचासों नेताओं और दर्जनों कार्यकर्ताओं ने साजिद-आतिफ के हत्यारे दिग्विजय वापस जाओ, आजमगढ़ को आतंक की नर्सरी के नाम से तब्दील करने वाले कांग्रेसी दिग्विजय वापस जाओ, साजिद और आतिफ की हत्या पर विजय मनाने वाले काग्रेंसी दलाल वापस जाओ, बाटला हाउस आंदोलन को तोड़ने वाले दिग्विजय वापस जाओ के नारे लगाए और पर्चे फेंके.
बाद में इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि राजनीतिक जीवन में ऐसी चिज़े होती रहती हैं और इससे वो नहीं घबराते.
बीबीसी हिंदी से साभार
1 टिप्पणी:
माँ का ढूध पिया है तो बॉम्ब ब्लास्ट में मारे जाने वाले निर्दोष लोगों के लिए भी इन्साफ माँगकर दिखाओ ..
वरना अपना मूहँ काला कर आतंकवादियों के समर्थक बन जाओ .
बाटला हाउस में मारे गए आतंकवादियों के चमचों इतनी बेशर्मी मत दिखाओ .
इस्लाम के नाम पर मरने वालों, दुसरे धर्मों का भी सम्मान करके दिखाओ
जेयूसीएस के पत्रकारों , पत्रकारिता के नाम पर कलंक हों .
एक बाप की औलाद हो तो इस कलंक को हटाकर दिखाओ .
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