13 मार्च 2011

बरेली जेल मे मारपीट की उच्चस्तरीय जांच कराई जाये- PUCL

मारपीट की घटना आरोपियों का मनोबल तोड़ने की कोषिष
मारपीट की घटना के आरोपित अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।

PUCL ने बरेली जेल में बंद आतंकवाद के आरोपियों के परिजनों की पुलिस द्वारा की गई पिटाई की कड़ी निन्दा की है। संगठन ने पुरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषी जेल और पुलिस अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने की भी मांग की है।

PUCL  के प्रदेष संगठन सचिव राजीव यादव और षहनवाज आलम ने जारी विज्ञप्ति मे घटना के पीछे गहरी साजिष का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि चुंकि पुलिस रामपुर सी0आर0पी0एफ0 कैम्प पर हुए कथित आतंकी हमले में गिरतार लोंगों के खिलाफ कोइ सुबूत कोर्ट में पेष नही कर पाई है इसलिए उसने कुंठावष आरोपियों के परिजनों की, जो उनसे जेल में मिलनें आये थे, आधे घंटे तक बर्बर पिटाई की। जेल में हुई इस आपराधिक घटना के दौरान बच्चों सहित कई महिलाएं बुरी तरह से घायल हुईं हैं।

मानवाधिकार नेताओं का आरोप है कि पुलिस आरोपियो के परिजनों को मारपीट कर उनके मनोबल को तोड़ना चाहती है ताकि वे ठीक से पैरवी ना कर सकें।
वहीं, साम्प्रदायिकता के खिलाफ काम करने वाले संगठन डिबेट सोसायटी ने भी इस पुलिसिया कार्यवाही की आलोचना की है। संगठन के नेता रवि षेखर और एकता सिहं नें सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि रामपुर सी0आर0पी0एफ0 कैम्प की घटना की सत्यता पर षुरू से ही सवाल उठते रहें हैं। यहाँ तक कि प्रदेष की कचहरियों में हुए धमाकों पर जब तत्कालीन केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाष जायसवाल नें सी0बी0आई0 जांच की मांग की थी तब प्रदेष की मुख्यमंत्री ने उन्हें पहले रामपुर की घटना की सी0बी0आई0 जांच कराने की चुनौती दी थी। इसके बाद जांच का मामला ठंडे बस्ते में चला गया। मानवाधिकार नेताओं ने इस घटना को एक गहरी राजनीतिक साजिष का हिस्सा बताते हुए जांच की मांग की है।

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