25 अप्रैल 2011

कृषि ऋण के नाम पर किसानों को जलील करना अलोकतांत्रिक

प्रति,
अध्यक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) का जांच दल पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के समाचार पत्रों में आई खबर को संज्ञान में लेते हुए जहांगंज के बबुरा गांव निवासी यसवंत यादव पुत्र विश्वनाथ यादव के घर गया। घर पर यशवंत की पत्नी नर्मी ने बताया कि यशवंत ने ट्रैक्टर के लिए लोन लिया था। यशवंत 29 मार्च 2011 को जब दो पहिया वाहन से जा रहे थे तो सेमा और रोशनपुर गांव के बीच में राह चलते तहसीलदार ने यशवंत को उठवा लिया। इस बात की जानकारी दूसरे दिन समाचार पत्रों में छपी खबरों से मालूम चला कि यशवंत को तहसील वाले उठा ले गए। नर्मी ने बताया कि यशवंत ने उससे बताया कि जब उसे तहसील के हवालात में बंद कर दिया गया तो उसकी तबीयत काफी बिगड़ गई। जिसके बाद उसे जिला अस्पताल आजमगढ़ लाया गया जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
आयोग का हम ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं कि जिस तरह से आपराधिक तरीके से यशवंत को तहसील के लोगों ने उठाया और परिवार को कोई सूचना नहीं दी इस पर सख्त कार्यवाई की जाय। हम आयोग से मांग करते हैं कि जिस तरह से किसान देश में आत्म हत्या कर रहें हैं वैसी स्थिति में इस तरह से किसानों को जलील करने पर अगर कोई अनहोनी होती है तो प्रशासन पर सख्त कार्यवाई की जाय और इस घटना की जांच करवाई जाय।
दिनांक- 15 अप्रैल 2011
द्वारा-
राजीव यादव, मसीहुद्दीन संजरी
प्रदेश संगठन मंत्री पीयूसीएल
द्वारा- गुलाब सोनकर
81डी/1ए छोटा बघाड़ा (विधायक लाज के बगल में)
पो0आ0- कचहरी, इलाहाबाद उत्तर प्रदेश
मो0- 09452800752

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