04 सितंबर 2011

मानवाधिकार हनन और लोकतंत्र का भविष्य


वक्ता- डा0 विनायक सेन, प्रशान्त राही, कविता श्रीवास्तव, रवि किरन जैन
स्थान- बालमीकि रंगशाला, संगीत नाटक अकादमी, गोमती नगर
(भारतीय रिजर्व बैंक के समीप)
समय- 2 बजे से 5 बजे, 
दिनांक- 11 सितंबर 2011, दिन- रविवार
मि़त्रों,
     राज्य द्वारा नागरिकों का मानवाधिकार हनन इस दौर के शासन व्यवस्था का पहचान बनता जा रहा है। आज कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर जैसे सीमावर्ती राज्यों और छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश और बिहार जैसे मध्य भारतीय राज्यों के नस्लीय और भौगोलिक अंतर के बीच राज्य द्वारा अपने नागरिकों का मानवाधिकार हनन भी एक मात्र ऐसा सूत्र बन गया है, जो उन्हें एक अखिल भारतीय स्तर पर एक समान एहसास से जोड़ता है। इसीलिए आज इलाहाबाद की जेल में बंद किसी सीमा आजाद में मणिपुर में पिछले दस सालों से आफ्सपा के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही इरोम शर्मिला का अक्स दिखने लगता है तो कभी कश्मीर में सेना द्वारा मारे जाने वाले लोगों की कहानियां हमारे आस-पास घटित होते दिखने लगती है।
      जाहिर है, आज लोकतंत्र का सबसे बुनियादी आधार ‘जिंदा रहने और अपनी आवाज उठाने’ का अधिकार भी दांव पर लगा हुआ है। जिसे बचाना इस दौर की सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे ही चुनौतीपूर्ण समय में इस बहस का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें डा0 विनायक सेन जिन्हें लम्बे समय तक छत्तीसगढ़ की सरकार ने माओवादी होने के आरोप में जेल में रखा और जाने-माने पत्रकार प्रशांत राही जो पिछले दिनों ही माओवाद के आरोप में लंबे समय तक उत्तराख्ंाड की जेल में रहने के बाद जमानत पर रिहा हुए हैं, इस कार्यक्रम में मुख्यवक्ता होंगे। इनके अलावां पीयूसीएल की राष्ट्रीय सचिव कविता श्रीवास्तव और माओवाद के आरोप में इलाहाबाद की जेल में बंद पत्रकार और पीयूसीएल की संगठन सचिव सीमा आजाद का मुकदमा लड़ रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रविकिरन जैन भी अपने विचार व्यक्त करेंगे।

निवेदक- संदीप पांडे, अरुन्धती धुरु (9415022772), एसआर दारापुरी (9415164845), मो0 शुएब (9415012666), बाबी रमाकांत (9839073355), रणधीर सिंह सुमन (9450195427), रवि शेखर (9369444528), एकता सिंह (9807380472), शारिक (9450512973), जिशान, शाहनवाज आलम (9415254919), राजीव यादव (9452800752)।
आयोजक- जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम)

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