भारतीय मीडिया में महिलाओं के प्रतिनिधित्व महिलाओं
के प्रतिनिधित्व की स्थिति जानने के लिए मीडिया स्टडीज ग्रुप द्वारा किया गया एक
देशव्यापी सर्वे चौंकाने वाले आंकड़े पेश करता है। मीडिया में लैंगिक असमानता को
दिखाने वाला सर्वे बताता है कि मीडिया में महिलाओं का देशव्यापी औसत प्रतिनिधित्व
मात्र 2.7 प्रतिशत है। इसमें 6 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां
जिला स्तर पर महिला पत्रकारों का औसत शून्य है। जबकि आंध्र प्रदेश में जिला स्तर
पर कार्यरत महिला पत्रकार और संपादकों की संख्या सबसे अधिक (107) है और यह सूची
में सबसे उपर है। इस सर्वे को शोध जर्नल ‘जन मीडिया’ ( हिन्दी) और ‘मास मीडिया’( अंग्रेजी) ने अपने मई
अंक में प्रकाशित किया है। लोकतंत्र के विभिन्न स्तंभों में महिलाओं के
प्रतिनिधित्व की जब भी बात होती है मीडिया, महिलाओं के सशक्तिकरण और
प्रतिनिधित्व के सवाल को बहुत जोरदार तरीके से उठाता है। लेकिन आंकड़े बताते हैं
कि खुद मीडिया में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति बेहद खराब है।
मीडिया स्टडीज ग्रुप के अध्यक्ष अनिल चमड़िया के
अनुसार मीडिया के जरिये देश और समाज के दी जाने वाली सामग्री मीडिया की सामाजिक
बुनावट से प्रभावित होती है। मीडिया में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए
मीडिया संस्थानों को सक्रिय पहल करनी चाहिए। भारतीय मीडिया का तेजी से विस्तार हुआ
है। इसी परिप्रेक्ष्य में सर्वे का उद्देश्य जिला स्तर पर मान्यता प्राप्त महिला
पत्रकार, संवाददाता और संपादक की हिस्सेदारी का आकलन करना है।
सर्वे पद्धति - सर्वे के लिए सूचना का स्रोत सूचना
का अधिकार अधिनियम -2005 को बनाया गया। मीडिया स्टडीज ग्रुप ने पूरे भारत के 600
से अधिक जिलों से सूचना के अधिकार के तहत जिला स्तर पर कार्यरत पत्रकारों के बारे
में जानकारी हासिल की। जिन जिलों से केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी से जानकारी नहीं
मिली वहां अपील दायर करने और सूचनाएं जुटाने में एक साल से ज्यादा का समय लगा।
इस सर्वे में 28 प्रदेशों और केंद्र शासित राज्यों के
255 जिलों से मिली सूचनाएं शामिल की गई है। सर्वे में शामिल जिले पूरे भारत के
करीब 40 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं। मीडिया स्टडीज ग्रुप को भारत के 255
जिलों से 14,278 मान्यता प्राप्त पत्रकारों की सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में
सूचनाएं मिली हैं। यह जिले स्तर पर संवाददाताओं की सामाजिक पृष्ठभूमि पर आधारित
सर्वे की पहली कड़ी है। सर्वे को मीडिया स्टडीज ग्रुप के लिए पत्रकार और शोधकर्ता
अवनीश, ऋषि कुमार सिंह, पूर्णिमा उरांव, विजय प्रताप, अरुण उरांव, वरुण गोंड और आजाद अंसारी
ने तैयार किया है।
मीडिया का विस्तार - भारतीय मीडिया के विस्तार के
बारे में यह तथ्य है कि उसका तेजी के साथ जिले स्तर पर विस्तार हुआ है। कई
लोकप्रिय समाचार पत्रों का दावा हैं कि उनके अखबारों के तीन-तीन सौ संस्करण निकल
रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारतीय मीडिया और मनोरंजन व्यवसाय साल 2011 में 11
प्रतिशत की दर से बढ़ा और इसका कुल व्यवसाय 72800 करोड़ रूपये का हो गया। साल 2012
के लिए भी ये अनुमान है कि मीडिया की वृद्धि दर 13 प्रतिशत रहेगी औऱ ये पूरा
व्यवसाय 2016 तक अच्छी गति से विकास करता रहेगा। तब तक मीडिया और मनोरंजन का
व्यवसाय 145700 करोड़ रूपये का हो जाएगा। इस तरह से इन पांच सालों में मीडिया की
कुल विकास दर 15 प्रतिशत की होगी। मीडिया और मनोरंजन जगत की विकास दर में टेलीविजन
की वृद्धि दर सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर प्रिंट मीडिया है। रेडियो के बारे में
अनुमान है कि इसकी विकास दर 21 प्रतिशत प्रतिवर्ष रहेगी। प्रोफेसर रॉबिन जैफ्री के
अनुसार भारत में मीडिया के विस्तार की बहुत संभावनाएं हैं और विशेष रूप से प्रिंट
मीडिया की अगले 15 सालों तक विकास की गति अच्छी हो सकती है। इस सर्वे से इस
विस्तार में जिला स्तर पर महिला पत्रकारों की हिस्सेदारी की जानकारी मिलती है।
लैंगिक असमानता - भारतीय समाज की संरचना और मीडिया
की लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में परिभाषा के नजरिये से सर्वे के निष्कर्ष का
महत्व हैं। भारतीय मीडिया में जिला स्तर पर औसतन केवल 2.70 प्रतिशत महिलाएं ही काम
कर रही हैं।
सर्वे के आंकड़ों के अनुसार 6 राज्यों और 2 केंद्र
शासित प्रदेशों में जिला स्तर पर कार्यरत महिला पत्रकारों, संवाददाताओं और संपादकों
का प्रतिशत शून्य है। इन राज्यों में आसाम, झारखंड, नागालैंड, अरुणांचल प्रदेश, ओडीसा और मणिपुर शामिल है।
केंद्र शासित प्रदेशों में पुडुचेरी और दमन एवं दीव शामिल हैं। इन प्रदेशों से
प्राप्त सूचना के अनुसार जिला स्तर पर यहां कोई मान्यता प्राप्त महिला पत्रकार
नहीं है। संवाददाताओँ और संपादकों के बारे में ये सूचना मणिपुर के चार, अरुणांचल प्रदेश के छह, ओडीसा के दो, आसाम के दस, नागालैंड के तीन, झांरखंड के 6 तथा दमन एंव
दीव और पुडुचेरी के एक-एक जिलों से मिली जानकारी पर आधारित है।
सर्वाधिक महिला मान्यता प्राप्त संवाददाताओं व
संपादकों वाले राज्य में उत्तर पूर्व के सिक्किम और मेघालय राज्य है। लेकिन यह
पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की औसतन हिस्सेदारी प्रतिशत के आधार पर है। इन राज्यों
में जिला स्तर पर कार्यरत मान्यता प्राप्त महिलाओं का प्रतिशत 16.66 है। इनमें
सिक्किम के दो जिलों और मेघालय के तीन जिलों से जानकारी प्राप्त हुई है जिनमें
दोनो ही राज्यों में कुल 6-6 पत्रकारों में एक-एक पत्रकार महिला है। जिला स्तर पर
कार्यरत महिला संवाददाताओं व संपादकों की हिस्सेदारी बिहार में 9.56 प्रतिशत और
छत्तीसगढ़ में 9.38 प्रतिशत हैं। इनमें बिहार के बाइस और छत्तीसगढ़ के आठ जिलों से
मिली जानकारी को शामिल किया गया है। बिहार में कुल 251 संवाददाताओं और संपादकों
में 24 महिलाएं है और छत्तीसगढ़ में कुल 32 पत्रकारों में 3 महिलाएं हैं। इस सर्वे
में 16 जिलों से प्राप्त जानकारी को शामिल नहीं किया गया क्योंकि इन जिलों से मिली
सूचना में मान्यता प्राप्त महिला और पुरूष संवाददाताओं के बारे में अलग अलग
जानकारी नहीं थी। इस तरह से इन 16 जिलों के 2099 पत्रकारों, संवाददाताओँ और संपादकों
को अलग कर दिया गया है। इस सर्वे में राज्य स्तर से राज्यों के मुख्यालयों में
मान्यता प्राप्त संवाददाताओं व संपादकों की संख्या भी शामिल नहीं है। राष्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र दिल्ली में कार्यरत और देश की राजधानी में केन्द्र सरकार द्वारा
मान्यता प्राप्त पत्रकारों की सूचनाएं शामिल नहीं है। हमारा उद्देश्य जिला स्तर पर
कार्यरत मान्यता प्राप्त महिला पत्रकारों की जानकारी जुटाना था। राज्य मुख्य़ालयों में भी
जिले स्तर पर मान्यता प्राप्त संवाददाताओं व संपादकों के बारे में जो सूचनाएं मिली
है उन्हें सर्वे में शामिल किया गया है। आंध्र प्रदेश में कुल मान्यता प्राप्त संवाददाताओं
व संपादकों की संख्या 9392 है। इनमें 7761 मान्यता प्राप्त संवाददाताओं और संपादकों
के बारे में सूचनाएं हैं। इनमें 107 महिलाएं है। आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में
कुल मान्यता प्राप्त संवाददाताओं की संख्या 967 है । उनमें केवल एक महिला है।
चित्तूर में कुल मान्यता प्राप्त संवादादाताओं की संख्या 1146 है और उनमें 29
महिलाएं है। कडप्पा में कुल मान्यता प्राप्त 1041 संवाददाताओं में 4 महिलाएं है।
करीम नगर में 1035 कुल मान्यता प्राप्त संवाददाताओं में मात्र आठ महिलाएं है।
आंध्र प्रदेश से संबंधित ये आंकड़े इसीलिए यहां दिए जा रहे हैं क्योंकि आंध्र
प्रदेश में देश के सर्वाधिक मान्यता प्राप्त संवाददाता व संपादक है।
सर्वे के आंकड़ों के अनुसार लोकप्रिय मीडिया में
जिला स्तर पर काम करने वाली महिला संवाददाताओं की संख्या मुख्यधारा से बाहर के
मीडिया के मान्यता प्राप्त प्रतिनिधियों की तुलना में बेहद कम है। सर्वे में शामिल
जिलों से मिली सूचनाओं के अनुसार अधिकतर लोकप्रिय व मुख्यधारा का दर्जा प्राप्त
मीडिया संस्थानों में भी जिला स्तर पर कार्यरत महिला पत्रकारों की संख्या नहीं के
बराबर है। (देखें तालिका) इस संदर्भ में सार्वजनिक क्षेत्र के मीडिया संस्थान
प्रसार भारती के आल इंडिया रेडियो की स्थिति सबमें बेहतर है। प्राप्त सूचनाओं में
जिला स्तर पर उसके मान्यता प्राप्त महिला संवाददाताओं की संख्या छह पाई गई हैं।
प्रथम दस राष्ट्रीय और भाषाई दैनिक अखबारों में
मान्यता प्राप्त महिला पत्रकारों की संख्या आंकड़ों पर नजर डालें तो अधिकतम
मान्यता प्राप्त महिला पत्रकार स्थानीय या क्षेत्रीय स्तर के अखबारों या मीडिया
संस्थानों से जुड़ी हैं। आंकड़ों के अनुसार देशभर में दो महिला पत्रकारों को
स्वतंत्र पत्रकार (Freelancer) के तौर पर मान्यता है। इसमें से एक स्वतंत्र फोटोग्राफर हैं।
2006 का
अध्ययन – वर्ष 2006 में मीडिया स्टडीज ग्रुप ने मीडियाकर्मियों
की सामाजिक पृष्ठभूमि पर एक अध्ययन किया था। यह बताता है कि निर्णय लेने वाले पदों
पर महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 17 प्रतिशत है। (देखें तालिका) अंग्रेजी की
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया यहां बेहतर स्थिति में थी, जहां निर्णय लेने वाले पदों पर 32
प्रतिशत महिलाएं कार्यरत थीं। मीडिया स्टडीज ग्रुप ने ये सर्वे दिल्ली स्थित 37
राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों में निर्णय लेने वाले 315 महत्वपूर्ण पदों को दायरे
में रखते हुए किया था। इसमें हर संस्थान में उपर से 10 पदों के बारे में अध्ययन
किया गया था।
गांवों के मुकाबले शहरों में
महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर ज्यादा हैं। इस आधार पर अगर 2006 के सर्वे से वर्तमान सर्वे की तुलना की जाए तो मीडिया में महिलाओं का
प्रतिनिधित्व निराष करता है। राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों में भी महिलाओं के
प्रतिनिधित्व के आंकड़े परेशान करने वाले हैं। हमारा मानना है कि मीडिया संस्थानों
को अपने वास्तविक चरित्र को बरकरार रखने के लिए आधी आबादी के समुचित प्रतिनिधित्व
के लिए ज्यादा सचेत होकर काम करने की जरूरत है।
तालिका -
राज्य
|
सर्वे में शामिल जिले
|
महिला पत्रकार
|
प्रतिशत
|
राजस्थान
|
11
|
28
|
6.64
|
पंजाब
|
12
|
3
|
3.95
|
छत्तीसगढ़
|
8
|
3
|
9.36
|
केरला
|
6
|
12
|
3.53
|
तमिलनाडु
|
6
|
1
|
0.99
|
प. बंगाल
|
14
|
18
|
6.25
|
महाराष्ट्र
|
12
|
35
|
5.69
|
सिक्किम
|
2
|
1
|
16.67
|
दमण एवं दीव
|
1
|
0
|
0
|
कर्नाटक
|
13
|
24
|
8.25
|
मेघालय
|
3
|
1
|
16.67
|
पुडुचेरी
|
1
|
0
|
0
|
मणिपुर
|
4
|
0
|
0
|
अरुणाचल प्रदेश
|
6
|
0
|
0
|
मध्य प्रदेश
|
20
|
13
|
3.24
|
मिजोरम
|
1
|
1
|
3.23
|
ओडीसा
|
2
|
0
|
0
|
आसाम
|
10
|
0
|
0
|
नागालैंड
|
3
|
0
|
0
|
आंध्र प्रदेश
|
8
|
107
|
1.38
|
गुजरात
|
13
|
21
|
5.4
|
त्रिपुरा
|
2
|
4
|
3.64
|
उत्तर प्रदेश
|
23
|
17
|
3.55
|
बिहार
|
22
|
24
|
9.56
|
उत्तराखंड
|
9
|
4
|
3.2
|
हरियाणा
|
10
|
9
|
4.59
|
झारखंड
|
6
|
0
|
0
|
हिमाचल प्रदेश
|
11
|
3
|
1.64
|
कुल
|
239
|
329
|
2.7
|
तालिका -शीर्ष 10
राष्ट्रीय अखबारों में मान्यता प्राप्त महिला पत्रकारों की भागीदारी
दैनिक जागरण
|
हिंदी
|
1
|
दैनिक भास्कर
|
हिंदी
|
1
|
हिंदी
|
हिंदी
|
1
|
मलयालम मनोरमा
|
मलयाली
|
1
|
अमर उजाला
|
हिंदी
|
0
|
द टाइम्स ऑफ इंडिया
|
अंग्रेजी
|
1
|
थांती
|
तमिल
|
0
|
लोकमत
|
मराठी
|
3
|
राजस्थान पत्रिका
|
हिंदी
|
1
|
मातभूमि
|
मलयाली
|
1
|
स्रोतः आईआरएस सर्वे क्यू
3, 2011
तालिका -शीर्ष 10
राष्ट्रीय भाषाई अखबारों में मान्यता प्राप्त महिला पत्रकारों की भागीदारी
मलयालम मनोरमा
|
Mal
|
1
|
थांती
|
Tam
|
0
|
लोकमत
|
मराठी
|
3
|
मातभूमि
|
मलयाली
|
1
|
इनाडू
|
तेलगू
|
0
|
आनंद बाजार पत्रिका
|
बंगाली
|
0
|
दिनाकरण
|
तमिल
|
0
|
साक्षी
|
तेलगू
|
3
|
गुजरात समाचार
|
गुजराती
|
1
|
सकाल
|
मराठी
|
0
|
स्रोतः आईआरएस सर्वे क्यू
3, 2011
तालिका - शीर्ष 10
राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अखबारों में मान्यता प्राप्त महिला पत्रकारों की भागीदारी
Dainik jagran
|
1
|
Dainik bhaskar
|
1
|
Hindustan
|
1
|
Amar ujala
|
0
|
Rajsthan patrika
|
1
|
Punjab kesari
|
3
|
Navbharat times
|
0
|
Prabhat khabar
|
0
|
Nai dunia
|
0
|
Patrika
|
0
|
स्रोतः आईआरएस सर्वे क्यू
3, 2011
तालिका - शीर्ष 10
राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक अखबारों में मान्यता प्राप्त महिला पत्रकारों की भागीदारी
The Times of India
|
1
|
Hindustan Times
|
1
|
The Hindu
|
2
|
The Telegraph
|
1
|
Deccan Chronicle
|
0
|
DNA
|
1
|
The Economic Times
|
0
|
Mumbai mirror
|
0
|
The tribune
|
3
|
The new Indian express
|
0
|
स्रोतः आईआरएस सर्वे क्यू
3, 2011
तालिका -
Gender Profile
|
Male
|
Female
|
Print media Hindi
|
86 %
|
14 %
|
Print media English
|
84 %
|
16 %
|
Electronic media Hindi
|
89 %
|
11 %
|
Electronic media English
|
68 %
|
32 %
|
Total
|
83 %
|
17 %
|
Source – Survey in 2006 by Media
Studies Group and Yogendra yadav (CSDS)
द्वारा जारी
मीडिया स्टडीज ग्रुप
ए 4/5, सेक्टर-18 रोहिणी, दिल्ली-110085
संपर्क- 8010319761, 9015201209
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