04 फ़रवरी 2008

कविता पाठ से पहले एक लम्हे का मौन

अपनी मातृभूमि की मुक्ति के लिए जीवन भर अमेरिकी साम्राज्यवाद और उसके एजेंटों से मोर्चा लेने वाले महान फिलिस्तीन नेता जॉर्ज हब्बाश अब नहीं रहे.उनकी याद में हम अमेरिकन इंडियन मूल के साम्राज्यवाद विरोधी कवि एमानुएल ओर्तीज़ यह कविता प्रस्तुत कर रहे हैं।
इससे पहले कि मैं यह कविता पढ़ना शुरू करूं
मेरी गुजारिश है कि हम सब एक मिनट का मौन रखें

ग्यारह सितम्बर को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन में मरे लोगों कि याद में
और फिर एक मिनट का मौन उन सब aaaलिए जिन्हें प्रतिशोध में
सताया गया,कैद किया गया
जो लापता हो गए जिन्हें यातनाएं दी गईं

जिनके साथ बलात्कार हुए,एक मिनट का मौन
अफगानिस्तान के मज़लुमों और अमरीकी मज़लूमों के लिए
और अगर आप इजाज़त दें तो
एक पूरे दिन का मौन
हज़ारों फिलस्तीनियों के लिए जिन्हें उनके वतन पर दशकों से काबिज़
इस्राइली फौजों ने अमरीकी सरपरस्ती में मार डाला
छः महीने का मौन उन पंद्रह लाख इराकियों के लिए,उन इराकी बच्चों के लिए,जिन्हें मार डाला
ग्यारह साल लंबी घेराबंदी,भूख औरअमरीकी बमबारी ने
इससे पहले कि मैं यह कविता शुरू


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