12 फ़रवरी 2008

उड़ीसा :कंधामाल साम्प्रदायिक हिंसा की जांच रिपोर्ट

कर्फ्यू हटाये जाने के फौरन बाद १४-१५जनवरी को भाकपा (माले)लिबरेशन और भाकपा (माले)के एक संयुक्त १७ सदस्यीय जांच दल ने कंधामाल का दौरा किया.इस जांच दल ने सर्वाधिक प्रभावित बामुनीगन,गदापुर,दासिंगाबादी,दरिन्गाबादी,बालीगुडा और बाराखामा सहित तमाम प्रमुख प्रभावित शहरों व गावों का दौरा किया.जांच कार्य के दौरान वे घर-घर गए और उनहोंने सर्वाधिक पीड़ित परिवार वालों से सीधे सम्पर्क करके सूचनाएं एकत्रित कि.उनहोंने पाया कि विश्व हिन्दू परिषद,आर एस एस और बजरंग दल के दंगाईयों ने गरीब ईसाइयों के सैकड़ों घरों और चर्चों को ढाहा गया है और उनकी सम्पत्ती को लूटा गया है अथवा उन्हें नुकसान पहुंचाया गया है.४ व्यक्तियों की बर्बरता पूर्वक हत्या कर दी गयी.जबकि बाराखामा के गोविन्द नायक को इन गुंडों ने जिंदा ही जलाकर राख कर दिया गया.सभी गुंडे आर एस एस और बजरंग दल के और अधिकांश इस इलाक़े से बाहर से आए थे।
२४-२७ दिसम्बर तक कंधामाल में कानून-व्यवस्था का नामोनिशान न था.पुलिस ने इन गुन्डों को खुलकर खेलने की पूरी छूट दे रखी थी.इस साम्प्रदायिक हिंसा का मुख्य दोषी विश्व हिन्दू परिषद का मार्ग दर्शक स्वामी लाखानानंद गुजरात की जीत से बेहद रोमांचित था.क्रिसमस के अवसर पर २४ से २६ दिसम्बर तक बंद के कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे ईसाइयों को अपने घर न सजाने दें.तब अफवाह फैलाया गया कि ईसाइयों ने लाखानानंद पर हमला कर दिया है.इससे हालात बिगड़ गए और तब संघी गुंडों ने नारा लगाना शुरू कर दिया'हम उड़ीसा को दूसरा गुजरात बनायेंगे'इस नारे के साथ उनहोंने समूचे इलाक़े में रोड़े बाजी शुरू कर दी.४ दिनों तक यातनाएं झेलने के बाद ईसाई समुदाय के लोगों ने भी अपने को संगठित किया और बामुनीगन के पाइक साही और गदापुर में भी उनहोंने पलटा हमला किया।
ताज्जुब की बात है कि जब कंधामाल जल रह था उस समय उड़ीसा के मुख्य मंत्री परिस्थिति को संभालने के लिए कड़ी कार्रवाई करने और असहाय ईसाई समुदाय की रक्षा करने की जगह भुवनेश्वर में अपनी पार्टी का स्थापना दिवस मनाने में व्यस्त थे और इस पर करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा रहे थे(जो पोस्को,टाटा,वेदांत आदि ने उपहारस्वरूप दिए थे)उनहोंने मुख्य अपराधी लाखानान्नद को गिरफ्तार करने की कोई पहल नहीं की,क्योंकि उनकी सरकार में भाजपा भी साझेदार है.इतना ही नहीं,उनहोंने भाजपा के दबाव में १३ जनवरी तक अन्य राजनीतिक दलों को भी उस जगह जाने की इजाजत नहीं दी.

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