16 मई 2008

जयपुर धमाकों के बाद सुरक्षा के नाम पर -- फासीवादी समाज के लिए सब हैं एकजुट

जयपुर धमाकों के बाद सुरक्षा के नाम पर राज्य अब आम नागरिकों के हर तरह के मूल अधिकारों को अपने कब्जे में करने को आतुर दिख रही है। समय समय पर होने वाले ऐसे विस्फोट सत्ता के लिए अनुकूल माहौल बनते हैं। इस विस्फोट के बाद भी वही सब देखने को मिला मीडिया के उकसावे पर पुलिस ने अवैध बंग्लादेशिओं की धरपकड़ तेज हो गई है. छोटे मोटे धंधे करके अपना गुजरा कराने वाले इन लोगों की ऐसी छवि मीडिया पेश कर रहा है जैसे असली अपराधी यही हों, पुलिस लिए भी यह सबसे आसन शिकार होतें है. अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए पुलिस जब चाहें इन्हे पकड़ लेती है. आतंकवाद के मुद्दे पर यह संघिओं के निशाने पर रहते हैं राजस्थान के सभी मुख्य अखाबरोने बंग्लादेशिओं के खिलाफ कैम्पेन छेड़ रख है. इसमे कौन सबसे जयादा आक्रामक तरीके से उनके खिलाफ खबर ला सकता है की होड़ मची है. अपनी साल साल भर पुरानी कटिंग्स निकल कर दावे कर रहे हैं की हमने बहुत पहले ही चेता दिया था लेकिन पुलिस सोई रही. "वे घुसते रहे हम देखते रहे " जैसी खबरे लाने की होड़ मची है. इलेक्ट्रानिक मीडिया की भांति एक्सक्लूसिव की तलाश जरी है. अब तक जितने भी बम विस्फोट हुए हैं और उसमे जो लोग गिरफ्तार हुए हैं उनका अकडा देखा जाए तो बंगालादेशिओं की सच्चाई खुल कर सामने आजाएगी. उत्तर प्रदेश में हुए विस्फोटों के मामले में अब तक एस टी ऍफ़ ने जितने भी लोगों को गिरफ्तार किया है उसमे कोई भी बंगलादेश का नागरिक नही है. चूंकि मैं इन विस्फोटों की हर ख़बर और गिरफ्तारिओं के बारे में वक्तिगत रूप से छानबीन भी की है लेकिन मुछे कहीं भी कोई बंगलादेशी आतंकवादी की गिरफ्तारी की ख़बर नही मिली . हाँ ऐसा जरुर है की अभी तक जीतनी भी गिरफ्तारिया हुई हैं सब फर्जी हैं. इस सम्बन्ध में पी यू एच आर की रिपोर्ट भी देखि जा सकती है. युवा पत्रकार साथी शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव के साथ हम लोगों ने हर गिरफ्तार कथित आतंकी के घर जाकर उसकी पूरी पड़ताल की और पाया की सारी गिरफ्तारियां फर्जी तरीके से की गयीं है. आतंकवाद के नाम पर ही अब हर राज्यों में जायदा खूंखार कानून बनाये जा रहे हैं. इन विस्फोटों की बाद ही उत्तर प्रदेश में यू पी कोका जैसा कानून बनाया गया और अब वही मांग राजस्थान में भी उठाई जाने लगी है. यहाँ भी मीडिया कड़े कानून के नाम पर 'राकोका' की वकालत शुरू हो गई है. यह कानून अभी केन्द्र सरकार के पास अटका हुआ है. पोटा से परहेज कराने वाली संप्रग सरकार के गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल सभी राज्यों को कड़े कानून बनने की नसीहत देते देखे गए. लेकिन अभी तक जिस भी राज्य में ऐसे कानून बनाये गए हैं वहां की जनता के सभी मानवाधिकार छीन जा चुके हैं. छतीसगढ़ विशेष सुरक्षा कानून, मणिपुर में लागु 'आफ्सपा' कानून, महाराष्टर का मकोका, यू पी का यूपी कोका, उतराखंड का विशेष सुरक्षा कानून ये सभी आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद से निपटे की आड़ में सत्ता के खिलाफ उभरते आंदोलनों को दबाने का एक हथियार है. और इसीलिए ऐसे कानूनों के लिए सभी सत्ताधरी पार्टियाँ एकमत हैं.जयपुर विस्फोटों के बाद कुल मिलकर मीडिया, कथित बुद्धिजीवीवर्ग और सरकारी मशिन्रियाँ सब मिलकर ऐसे कानून बनाये जाने और एक फासीवादी समाज के निर्माण के लिए एकजुट हैं. इन विस्फोटों के बाद होने वाली गिरफ्तारियां और भी हास्यास्पद और दिलचस्प होंगी. कैसे कैसे निर्दोष लोगों को फसाया जाएगा देखते जाइये.

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