19 नवंबर 2008

'आंध्र पुलिस के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो'

मानवाधिकार संगठन 'ह्यूमन राइट्स वाच' के अनुसार हैदराबाद में पिछले वर्ष हुए बम धमाकों के बाद मुसलमानों की धर-पकड़ कर उन्हें जो यातनाएँ दी गईं, उसके लिए आंध्र प्रदेश पुलिस के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए.
मानवाधिकार संगठन ने इस तरह से 'एक पूरे समुदाय' के अलग-थलग पड़ जाने और उसकी छवि धूमिल होने पर चिंता जताई है.
पिछले हफ़्ते राज्य सरकार ने माना था कि गिरफ़्तार किए गए 21 लोगों को पुलिस ने यातनाएँ दीं. उन्हें मुआवाज़ा देने की घोषणा भी की गई.
ग़ौरतलब है कि पिछले वर्ष मई और अगस्त के महीने में हैदराबाद में हुए सीरियल बम धमाकों में क़रीब 60 लोगों की मौत हुई थी.
हैदराबाद में बम धमाकों के तुरंत बाद प्रशासन ने तक़रीबन 100 लोगों को गिरफ़्तार किया था.
'ह्यूमन राइट्स वाच' की दक्षिण एशिया शोधकर्ता मीनाक्षी गांगुली ने कहा, "यह मानना कि यातना दी गई और मुआवज़े की पेशकश करना, एक अच्छा प्रारंभिक क़दम है. लेकिन सरकार को उन लोगों को सज़ा देनी चाहिए जो इसमें लिप्त थे ताकि यातना देने वाले बच कर निकल ना जाएँ."
मुआवज़े की पेशकश
'ह्यूमन राइट्स वाच' का कहना है कि गिरफ़्तार किए गए लोगों को नग्न अवस्था में उलटा लटका दिया गया, उन्हें बुरी तरह पीटा गया और उन्हें बिजली के झटके दिए गए.
मीनाक्षी गांगुली का कहना है कि धमाकों के बाद पुलिस ने लोगों की धर-पकड़ शुरु कर दी और उन्हें सिर्फ़ इस वजह से यातना दी कि वे मुसलमान थे.
अपनी प्रेस विज्ञप्ति में 'ह्यूमन राइट्स वाच' ने कहा है कि इस तरह से चरमपंथ से मुक़ाबला करने में और दिक्कतें आएँगी।
साभार बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम

कोई टिप्पणी नहीं:

अपना समय