16 जून 2009

ठगी... लक्ष्य एक पर नुस्खें अनेक !

नवीन कुमार 'रणवीर'

अशोक जाडेजा, सुभाष अग्रवाल और नवीन शर्मा ये नाम आपनें पिछले कुछ दिनों
में बहुत सुनें होंगे। हर टीवी चैनल हर अखबार में आपको ठगों की इस
त्रिमूर्ति की करतूतों का पता चल रहा होगा। इस लेख के जरिए हम ठगों के
अनेक रूपों से भी अवगत करवाएंगे।कोई खुद को माता का अवतार बता कर लोगों
से रु ठगता, कोई फर्जी व्यापार के नाम पर। लक्ष्य एक पर नुस्खें अनेक
क्योंकि इन सभी का उद्देश्य तो ठगी ही था, किस प्रकार ये बड़ी दिलचस्प
बात है। जिसकी जितनी पहुंच थी उसनें उस हिसाब से जनता को बेवकूफ बनाया।
अशोक जाडेजा ने देशभर में फैले अपने समाज(सांसी समाज)के लोगों को बेवकूफ
बनाया और 2000करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया।
सांसी समाज जो कि अनुसूचित जाति वर्ग में सबसे निचले पायदान पर आनें वाली
जातियों में से एक है, या यूं कहें कि ये वो जाति है जो कि आज तक अपना
पुश्तैनी काम नहीं छोड़ पाई है। शिक्षा के कम स्तर के चलते औऱ गैरकानूनी
कृत्य में ज्यादा लिप्त होनें के कारण सान्सीन्यों को सभ्य समाज में
हमेशा घृणा की नजरों से देखा। आज के समय में भी सांसी समाज के लोगो का
मुख्य काम गैरकानूनी शराब बेचना, स्मैक, गांजा बेचना इत्यादि रहा है। जो
सांसी शिक्षित हो गए वो इस पेशे दूर हो गए और छोटे-मोटे कल-कारखानों या
कहीं चपरासी का काम करके ईमानदारी से अपनी गुजर-बसर करते हैं। खैर इसमें
कोई दो राय नहीं की सांसी समाज के लोग शैक्षिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा
होते हुए भी, लेकिन आर्थिक रूप से अन्य दलित जातियों की अपेक्षा इनकी
स्थिति थोड़ी बेहतर होती है। लेकिन अशिक्षा और अंधविश्वास की इस कमजोरी
को ही इन्हीं के सामाज के पेशे से बीएएमएस डॉक्टर अशोक जाड़ेजा नें
स्वार्थ सिद्धि का साधन बनाया। अशोक जाडे़जा ने खुद को सांसियों की
आराध्य देवी सिकोत्तरी देवी का अवतार बताया और कहा कि समाज की गरीबी दूर
करनें आया हूं। जाड़ेजा ने लोगों से 200रु लिए और दुगुनें करके दिखाए फिर
खुद की सीडी़ बनवाई, माता का अवतार बताया। गुजरात, राजस्थान, दिल्ली,
हरियाणा, मध्यप्रदेश और कई राज्यों के अपनें समाज के लोगों को बेवकूफ
बनाया और 2000करोड़ के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। पकड़े जानें पर नाम
दिया "एमएलएम" का।
आगे बात बात करते है दिल्ली के ठग सुभाष अग्रवाल की, खैर इन्होनें किसी
समाज विशेष को नहीं ठगा बल्कि सभ्य समाज के व्हाइट कॉलर लोगों को लगाया
है करोड़ो का चूना। इन साहब ने तीन फर्जी चिट फंड की कंपनी खोली और लोगों
को लाखों के बदल करोड़ों का ख्वाब दिखाया। पढ़े-लिखे समझदार लोगों को
कैसे बेवकूफ बनाएं ये इन महाशय से सीखें। फर्जी स्कीमों में लोगों का
रुपया लगवा कर उन्हें लगा गया चपत।औऱ फिर वो पैसा सट्टा बाजार और ऑनलाइन
ट्रेडिंग में लगा दिया ऐसा कहना है अग्रवाल साहब का। पर अपनें पर लगे इस
काम को वो भी एमएलएम का नाम देते हैं।
आगे बात करते हैं नवीन शर्मा की ये शख्स भी इनका ठग्गू भाई है , अशोक
जा़डेजा ने अशिक्षितों को धर्म के नाम पर लोगों को ठगा, सुभाष अग्रवाल
नें शहरी लोगों को चिट-फंड के नाम धोखाधड़ी की,
नवीन शर्मा नें भी चिट फंड के नाम पर ही लोगों को ठगा और इनके शिकारों
में प्रमुख नाम मुंबई हमलों में शहीद हुए मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के
घरवालें भी हैं। नवीन शर्मा नें मनीमंत्र नाम की चिट-फंड और एमएलएम की दो
कंपनियां खोली और लगा दिया लोगों को करोड़ो का चूना। मेजर उन्नीकृष्णन के
घरवालों ने भी नवीन शर्मा की फर्जी कंपनी में लगाए थे 25हजार रु। ये साहब
भी पैसा डबल कर चूना लगानें का धंधा करते थे, इनके शिकार भी सुभाष
अग्रवाल की तरह व्हाइट कॉलर औऱ समाज में उच्च वर्ग (सामाजिक रूप से) लोग
अधिक हुए। पकड़े जानें पर धंधा एमएमएम का बताया इन साहब नें भी। दिल्ली
के मशहूर बीके ज्वैलर्स ने भी लोगों को ठगनें का काम आपनी साख के चलते
आसानी से किया। इन्होनें लोगों को साढ़े 13हजार रु, दो साल में 26लाख,
30लगानें पर 1करोड़ मिलनें की स्कीम का झांसा देकर लोगों के 500 करोड़ रु
की चपत लगा गए। 1975 से दिल्ली के पंजाबी बाहुल पॉश इलाके तिलक नगर में
इनका बड़ा शो-रूम है। शो-रूम के मालिक बीके मलिक और चेतन मलिक साहब फरार
है। इन्होनें अपनें शिकार बनाया दिल्ली के ही पंजाबी और सिख समुदाय के
लोगों को, अब वो लोग पढ़े-लिेखे न हो यह कहना तो मुश्किल सा लगता है।
इनके द्वारा की इस ठगी का एक नाम दिया गया एमएलएम (मल्टी लेवल
मार्किटिंग) इस काम में जो लोग लिप्त होतें हैं वो या तो बीमा ऐजेंट होते
हैं, या किसी सत्संग या डेरे के अनुयायी मुख्यत:, टीचर(टयूशन पढ़ानें
वाला) छोटे मोटे डॉक्टर, मुह्ल्ले या कोई मशहूर आदमी। या साफ शब्दों में
हम ये कहे कि वो व्यक्ति जिसका सरोकार रोज-मर्रा में लोगों के एक समूह से
हो, जिसका काम पब्लिक डीलिंग का हो। सत्संग में भी लोगों को पब्लिक
डीलिंग का खूब मौका मिलता है, और टीचरों, डॉक्टरों पर लोग जल्दी विश्वास
कर लेते हैं।

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