18 जून 2009

आजमगढ में फिर एसटीएफ

आजमगढ़ 18 जून, 09
पीपुल्स यूनियन फाॅर ह्यूमन राइट्स(पीयूएचआर) ने एसटीएफ-एटीएस द्वारा आजमगढ़ के एक युवक का आपराधिक तरीके से पीछा करने के मुद्दे पर कड़ी आपत्ती की है। गौरतलब है कि 17 जून 09 की दोपहर तकरीबन 11 बजे एटीएस-एसटीएफ के लोगों ने बीनापारा के रहने वाले अबू ज़र पुत्र अबू बकर उम्र 20 साल का नीली मारुती वैैन और एक दो पहिया वाहन से उस समय पीछा करना शुरु किया जब वह सरायमीर स्थित मदरसतुल इस्लाह मदरसे जहां वह कंप्यूटर की पढ़ाई करता है से साइकिल से वापस अपने घर जा रहा था। अबू ज़र के अनुसार जब उसे लगा कि वे उसका पीछा कर रहे हैं तो वह रास्ते में ही मूरतगंज बाजार में रुक गया। उसे यह संदेह इस लिए भी हुआ कि इसी गाड़ी से उसके भाई अबू बशर का उसके घर से 14 अगस्त 2008 को एसटीएफ ने अपहरण कर 16 अगस्त 2008 को लखनऊ से आतंकी बताकर गिरफ्तार दिखा दिया था। जिस पर विभिन्न मानवाधिकार और सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाये थे।
अबू ज़र का शक उस समय और पुख्ता हो गया जब गांव पहुंचने पर ग्राम प्रधान शाहिद ने उन्हें बताया कि कुछ एसटीएफ के लोग उसके बारे में पूछ-ताछ कर रहे हैं। इस पूरे प्रकरण पर एसटीएफ की भूमिका को आपत्तीजनक बताते हुए पीयूएचआर ने प्रदेश सरकार से मांग की कि आपराधिक कार्यशैली वाली एसटीएफ पर तत्काल लगाम लगाई जाय। संगठन ने कहा कि बिना नंबर प्लेट की गाड़ियों से घूमने वाले असलहाधारी एसटीएफ के लोग पूरे जनपद में आतंक का पर्याय बन गए हैं। पिछले दिनों अहमदाबाद जेल में जेल प्रशासन ने अबू बशर समेत दर्जनों कैदियों को बुरी तरह मारा पीटा जिस पर उसके परिजनों ने कायवाई की मांग की थी। उसके भाई जो इसके विरोध में मानवाधिकार संगठनों के साथ लड़ाई लड़ रहे थे को वहां गुजरात पुलिस ने पूछ-ताछ के नाम उत्पीड़ित किया।
पीयूएचआर का मानना है कि ऐसा करके पुलिस न्याय प्रक्रिया को बाधित कर रही है वो यह नहीं चाहती है कि उसके परिजन मजबूती से मुकदमा लड़े। संगठन ने इसे मानवाधिकार हनन का गंभीर मसला बताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अल्पसंख्यक आयोग से इस पर तत्काल कायवाई करने की मांग की है।

पीपुल्स यूनियन फाॅर ह्यूमन राइट्स (पीयूएचआर) द्वारा जारी
राज्य कार्यालय- 631/13, शंकरपुरी कालोनी, कमता चिनहट, लखनऊ, उत्तर प्रदेश

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