24 नवंबर 2009

पूंजीपतियों के इशारे पर नाचता लोकतंत्र

दिनकर कपूर

* 06 अक्टूबर को चुनार में जे0पी0 समूह की सीमेन्ट फैक्ट्री द्वारा गैरकानूनी जलादोहन व फैलाए जा रहे प्रदूषण से अपनी फसल को बचाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने जा रहे जन कल्याण समिति के लोगों पर फैक्ट्री गेट से तीन किलोमीटर दूर बकियाबाद गांव में पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया और समिति के अध्यक्ष रामा सिंह एडवोकेट समेत 23 लोगों को जेल भेजा गया। जिन पर गैंगस्टर समेत 16 धाराओं और 7 क्रिमीनल ला एमेण्ड़मेट एक्ट में मुकदमा कायम किया गया।
* 21 सितम्बर को डाला में जे0पी0 समूह के ट्रक से कुचलकर स्थानीय निवासी की मृत्यु होने पर डाला बाजार के लोगों ने चक्का जाम किया। जाम के दौरान जे0पी0 समूह के गार्डो नें आंदोलनकारियों पर लाठी भांजी। जाम के बाद 21 लोगों पर नामजद और 400 अज्ञात पर 7 क्रिमीनल ला एमेण्ड़मेट एक्ट समेत कई आपराधिक धाराओं में मुकदमा, जिसमें फिरौती का भी मुकदमा है।
* मिर्जापुर के चिल्ह में जे0पी0 समूह द्वारा बनवाएं जा रहे गंगा एक्सपे्रस वे के लिए जमीन न देने वाले किसानों पर स्थानीय पुलिस द्वारा लाठी चार्ज बाद में मुकदमा कायम कर जेल भेजा।
* आगरा में जे0पी0 समूह द्वारा बनवाएं जा रहे यमुना एक्सपे्रस वे के इर्द-गिर्द सरकार द्वारा विशेष औद्योगिक प्राधिकरण के लिए जमींनें अधिग्रहित करने का प्रयास करने व इस नाते जमींन देने से इंकार करने वाले आलू किसानों पर गुण्डा एक्ट का मुकदमा कायम किया गया। इतना ही नहीं वहाॅ तैनात शिक्षा मित्रों को सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी खंदौली ने अपने दतर में बुलाकर धमकी दी कि वह जमींने दे दें नहीं तो नौकरी से भी उन्हें हाथ धोना पड़ेगा।


लोकतांत्रिक देश के उ0प्र0 में मायावती राज की कानून व्यवस्था की एक छोटी सी तस्वीर है। जहाॅ एक बड़े पूंजीघराने को फायदा पहुॅचाने के लिए पुरी भी पूरी राज्य मशीनरी जिसमें पुलिस-प्रशासन से लेकर सरकार तक शामिल है, लगी हुई है। इसके लिए आजाद मुल्क की अपनी जनता पर अंग्रेजों की तरह चाहे कितना भी जुल्म ढाना पड़े, सरकार तैयार बैठी है।
गौरतलब है कि जे0पी0 समूह सत्ता प्रतिष्ठान का इस्तेमाल कर ‘फर्श से अर्श’ तक पहॅुचने के एक अदने से कर्मचारी की जीवन दांस्ता है। इस समूह से कांग्रेस-भाजपा के रिश्ते तो जगजाहिर हैं। मध्य प्रदेश में इन दलों की सरकार के रहते दोनों हाथों से सार्वजनिक सम्पदा की लूट इस समूह द्वारा की जाती रही है। यहाॅ तक की रीवां के एक मामलें में इसके निदेशक मनोज गोड़ पर हुए हत्या के मुकदमें के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुयी। उ0प्र0 में पैर फैलाने के लिए सत्ता का अपने व्यापारिक हितों के लिए इस्तेमाल में पारगंत जे0पी0 समूह ने प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों सपा व बसपा को साधने का काम किया। मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट ताज कोेरीडोर की निर्माता कम्पनी जे0पी0 समूह ही थी और आश्चर्य की राजनीति में उनके कट्टर विरोधी मुलायम सिंह ने सत्ता में रहते डाला, चुर्क, चुनार की सीमेन्ट फैक्ट्री कौड़ी के मोल इस समूह को दी। यहाॅ तक कि संविदा में तय शर्तों का उलघंल करते हुए इन फैक्ट्रीयों के साथ लाइम स्टोन की 500 करोड़ की खदानें मुत में दे दी। जिसपर माननीय उच्च न्यायालय ने रोषपूर्ण टिप्पणी करते हुए ‘‘एक खरीदों एक मुत पाओं’’ की संज्ञा दी थी। मुलायम की जगह सत्ता में आयी मायावती की सरकार ने तो इस समूह को चैतरफा लूट की छूट दे रखी है। सोनभद्र जनपद में सरकारी मशीनरी को अपने साथ ले जे0पी0 समूह के लोग जमीन कब्जा अभियान में लगे हुए हैं। ग्राम कोटा, ओबरा, पनारी व पड़रच की 2500 बीघा जमीन मे से 1000 बीघा जमींन जे0पी0 समूह को दे दी गयी। इस जमींन पर जब काश्तकार थे तो वन विभाग ने आपत्ति लगायी थी, पर अब वन विभाग को कोई आपत्ति नहीं है।
सत्ता संरक्षण में पूंजी की अंधाधुंध कमाई में लगे इस घरानें को आम जनता के जीवन रक्षा की बात को छोड़ ही दें, पर्यावरण की सुरक्षा की भी चिन्ता नहीं है। जे0पी0 समूह की चुनार स्थित फैक्ट्री में 38 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगाया गया है। इस पावर प्लांट के लिए जमीन के नीचे से पानी का दोहन किया जा रहा है। एक तरफ अंतराष्ट्रीय स्तर पर जमीन के नीचे मौजूद पानी को पेयजल हेतु संरक्षित रखने के लिए मुहिम चलायी जा रही है। यहाॅ तक कि प्रदेश में भी इसके लिए बकायदा बोर्ड का गठन कर उसकी निगरानी की बात हो रही है। वहीं जे0पी0 समूह को इस गैरकानूनी काम की छूट मिली हुयी है। परिणामतः जमुहार जैसे गांव में तो हैण्डपम्प, कुएं तक सूख गए हैं। इतना ही नहीं इस फैक्ट्री से निकल रहे अवशिष्ट को रोकने के लिए ‘‘एअर प्रिवेंशन एक्ट कंटोल आफ पाल्यूशन 1981’’ का उल्लघंन करते हुए, कहीं भी फब्बारें, टीन शेड का निर्माण नहीं कराया गया। बावजूद इसके केन्द्र सरकार द्वारा संचालित केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा इस फैक्ट्री को प्रदूषण सम्बंधी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी हो गया। इस सम्बंध में जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा है, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है।
आगरा में यमुना एक्सप्रेस वे विशेष औद्योगिक प्राधिकरण के नाम पर जिन किसानों की जमींनें सरकार अधिग्रहित करने की कोशिश कर रही है। उनमें से एक ब्लाक खंदौली पूरे देश में सर्वाधिक आलू का उत्पादन करता है। बावजूद इसके जे0पी0 समूह को अकूत मुनाफा दिलाने के लिए सरकार ने शासनादेश जारी कर 885 गांव की जमींनें अधिग्रहित करने का ऐलान कर दिया। करीब ग्यारह लाख की आबादी इससे बेदखल की जायेगी। खेती के लिए बेहद उपजाऊ इस जमींन का उपयोग रियल एस्टेट, शापिंग माल, रिर्सोट, फार्म हाउस व कालोनियों को बनाने में किया जायेगा। किसानों को 446 रू0 प्रति वर्ग मीटर की दर पर मुआवजा दिया जायेगा। लोग भूले नहीं है ऐसे ही मुलायम ने दादरी में और मायावती ने ग्रेटर नोएडा में जमीनंे किसानों से 500 रू0 प्रति वर्ग मीटर मुआवजा देकर छीन ली और इन्हीं जमींनों को बाद में जे0पी0 समूह, अंसल ग्रुप जैसे बिल्डर्स ने एक लाख रूपये प्रति वर्ग मीटर से भी ज्यादा दामों में बेचा है।
गंगा एक्सपे्रस वे के बारे में पर्यावरणवादी से लेकर अर्थशास्त्री तक ने इसकी उपयोगिता और आवश्यकता के बारे में प्रश्न उठाएं हैं। सर्वविदित है कि गंगा बेसिन का यह इलाका पूरे देश में सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र है, इसे बर्बाद करने में लगी सरकार दरअसल रिएल स्टेट बनाने के लिए आतुर कारपोरेट घरानों के हाथों की कठपुतली बनी हुयी है।
निश्चय ही शासक दलों की इन नीतियों के खिलाफ जमीन को अपना जीवन मानने वाले किसान आंदोलन में उतरेंगे ही। किसानों के इन आंदोलनों पर दमन ढाने के लिए सरकार ने सारे नियम कानूनों को दांव पर लगा दिया है। ऐसा लगता ही नहीं कि हम किसी लोकतांत्रिक देश का हिस्सा हैं। पूंजीपतियों के इशारे पर लोकतंत्र नाच रहा है। सरकार, शासन, प्रशासन, पुलिस यहाॅ तक की न्यायपालिका भी इन किसानों के साथ ऐसे पेश आ रही है, गोया वह शातिर अपराधी हो।
चुनार के ही मामले में किसानों पर 147, 148, 149, 333, 353, 332, 335, 307, 308, 504, 506, 427, 384, 188 प्च्ब् व 7 क्रिमीनल ला इमेण्ड़मेट एक्ट समेत गैंगेस्टर एक्ट लगाया गया। जिन लोगों पर गैंगस्टर लगाया गया उनके ऊपर इससे पहले कोई आपराधिक मुकदमा तक नहीं था। उनके नेता रामा सिंह जिन्हें गैंग का सरगना घोषित किया गया, उच्चशिक्षित अधिवक्ता व पत्रकार है। पुलिस ने अपनी तहरीर में लिखा है वह अपने गैंग के साथ फैक्ट्री पर हमला करने व लूटने आए थे। जबकि सच यह है कि उन्होंने एक माह पूर्व ही जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक समेत शासन-प्रशासन के सभी अधिकारियों को लिखित सूचना अपने 06 अक्टूबर के कार्यक्रम की दी थी। जनसंघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधिमण्डल से वार्ता में मण्डलायुक्त विन्ध्याचल मण्डल ने खुद किसानों के साथ हुए अन्याय को स्वीकार किया था। बावजूद इसके इन किसानों पर लगे गैंगस्टर सरीेखे मुकदमें वापस नहीं हुए। आगरा के किसान जिनपर गुण्डा एक्ट लगा उनके ऊपर पहले फर्जी मारपीट दिखाकर शांतिभंग का मुकदमा पंजीकृत किया गया। डाला में तो आंदोलनकारी आमतौर पर राजनीतिक कार्यकर्ता हैं।
बहरहाल प्रदेश में एक पंूजीघरानों के लाभ पहुँचाने के लिए की जा रही लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ किसानों की गोलबंदी भी बढ़ रही है। अभी 6-7 अक्टूबर को दिल्ली में जनसंघर्ष मोर्चा की तरफ से हजारों किसान प्रतिनिधियों ने भूमि अधिनियम के लिए अंग्रेजों द्वारा बने 1894 के कानून के खात्मे, जमींन हड़पा अभियान बंद करने, कृषि मूल्य आयोग की सिफारसें लागू करने जैसी मांगों पर ‘दाम बांधो-काम दो’ नारे पर दस्तक दी है। आने वाले समय में लखनऊ में एक बड़े किसानों के जमावड़े की तैयारी चल रही

दिनकर कपूर जनसंघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता है।

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