
शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खान की शहादत पर केन्द्रित तीसरा अयोध्या फिल्म उत्सव 19 से 21 दिसंबर 2009 के बीच फैजाबाद में शुरू होने जा रहा है. नब्बे के दशक में साम्प्रदायिकता की प्रयोगशाला के रूप में उभरा राम मंदिर आन्दोलन अयोध्या की शहादत की परम्परा को पीछे धकेल दिया. राममंदिर आन्दोलन के बाद इस क्षेत्र में
एक बार फिर से वही प्रयास हो रहे हैं. इस बार का नारा 'जय श्री राम' नहीं 'हर-हर महादेव' है और इसकी प्रयोगशाला पूरा पूर्वांचल(उत्तर प्रदेश का पूर्वी हिस्सा)है. इस सांप्रदायिक आन्दोलन का नेतृत्व गोरखपुर के संसद 'योगी' आदित्यनाथ के हाथों में है और जिनका नारा है 'पूर्वांचल गुजरात बनेगा'. ऐसे समय में अयोध्या फिल्म सोसाईटी ने इस अंचल के दो शहीद प्रतीकों की साझी शहादत को केंद्र बनाकर अयोध्या में आयोजित हो रहे उत्सव में फिल्मों के प्रदर्शन के साथ फिल्मकारों से बातचीत भी शामिल होगी.
आप भी इस उत्सव में सादर आमंत्रित हैं.
'भगवा युद्ध' : एक युद्ध राष्ट्र के विरुद्ध
तीन वर्षों से लगातार आयोजित हो रहे इस फिल्म समारोह में डॉक्यूमेंट्री फिल्म "भगवा युद्ध" ख़ास आकर्षण का केंद्र होगी. यह फिल्म अयोध्या सहित पूरे पूर्वांचल में चल रहे सांप्रदायिक प्रयोगों को उजागर करती है. कुछ युवा पत्रकारों ने इस क्षेत्र में इन प्रयोगों को पहचाना है और वह काम किया है जो दुसरे अन्य फिल्मकार किसी बड़े दंगे के बाद करते हैं. जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाईटी (जेयूसीएस) के बैनर तले बनी इस फिल्म का राजीव यादव, शाहनवाज़ आलम और लक्ष्मण प्रसाद ने संयुक्त रूप से निर्देशन किया है. इन लोगों ने उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक पिछड़े क्षेत्र में साम्प्रदायिकता के इस प्रसार को बखूबी पहचाना है और विभिन्न इलाकों में प्रयोग स्वरूप हुए कई छोटे-छोटे दंगों को फिल्म के केंद्र में रखा है. इसमें गोरखपुर के गोरक्षपीठ को नेपाल की पूर्व राजशाही से मिल रहे सहयोग और कई शहरों में दंगों के लिए तैयार किए जा रहे माहौल के कुछ दृश्य चौकाने वाले हैं. इन सबको दिखाते हुए फिल्म एक सन्देश दे जाती है कि अभी नहीं संभले तो पूर्वांचल गुजरात से भी बड़ी सांप्रदायिक प्रयोगशाळा बनाने जा रहा है.
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