अंबरीश कुमार
लखनऊ, फरवरी। कांग्रेस के युवा चेहरे राहुल गांधी के एजंडा पर दलित के बाद मुसलमान आ गए हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का संकट बढ़ने के बाद कांग्रेस ने मुसलिम समुदाय को जोड़ने की मुहिम तेज कर दी है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दिग्विजय सिंह तीन फरवरी को आजमगढ़ ज रहे हैं। वे तीन और चार फरवरी को आजमगढ़ रहेंगे। तीन फरवरी का पूरा दिन संजरपुर में गुजर कर बाटला हाउस कांड से आहत मुसलमानों के घाव पर मरहम लगाने का प्रयास करेंगे।
यह कवायद राहुल गांधी के दौरे से पहले कांग्रेस की राजनैतिक जमीन तैयार करने की है। जिसके लिए एआईसीसी का बनाया सांप्रदायिकता विरोधी मोर्चा पहल कर रहा है। इस मोर्चा के संयोजक अमरेश मिश्र हैं जो भाकपा माले से लेकर यूडीएफ होते हुए उलेमा काउंसिल तक पहुंचे थे। उलेमा काउंसिल ने उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव में लखनऊ से उम्मीदवार बनाया था। यह बात अलग है कि इस चुनाव में उनकी जमानत तक नहीं बची। जिसके बाद अमरेश मिश्र कांग्रेस से जुड़े और अब वे कांग्रेस को मुसलमानों से जोड़ने की जुगत भिड़ा रहे हैं। मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल और नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी यानी नेलोपा अमरेश मिश्र की इस योजना का विरोध कर रही है। पीयूसीएल का आरोप है कि अमरेश मिश्र अवसरवादी हैं और कांग्रेस के एजंट के रूप में आजमगढ़ के मुसलिम समुदाय को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं। पीयूसीएल तो मंगलवार को एक पत्र जरी कर रही है। इस पत्र का शीर्षक है-आजमगढ़ में आतंकवाद के नाम पर उत्पीड़न और कांग्रेस की भूमिका। नेलोपा भी दिग्विजय सिंह के आजमगढ़ दौरे का विरोध करने ज रही है। पार्टी के अध्यक्ष अरशद खान ने कहा-यह सब नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किया ज रहा है। बाटला हाउस के नाम पर संजरपुर के नौजवानों का जब उत्पीड़न हुआ तो कांग्रेस कहां थी? राहुल गांधी दलितों के घर जते रहे हैं पर उत्तर प्रदेश में किसी मुसलिम परिवार के घर उन्होंने कभी रात नहीं बिताई। पार्टी कांग्रेस के इस नाटक का विरोध करेगी।
दूसरी तरफ आजमगढ़ पहुंच चुके अमरेश मिश्र ने कहा, ‘लोगों की नाराजगी जयज है। उनके सभी सवालों को दिग्विजय सिंह के सामने रखा जएगा।’ अमरेश मिश्र ने राहुल गांधी के आजमगढ़ दौरे की पुष्टि करते हुए कहा-यह पहला चरण है जिसमें दिग्विजय सिंह आ रहे हैं। अगले चरण में राहुल गांधी आएंगे। यहां के २९ लड़के बाटला हाउस कांड से प्रभावित हुए। दो मारे गए, ग्यारह लापता हैं और १६ जेल में हैं। पीड़ित पक्ष को किस तरह न्याय मिल पाए, यह कांग्रेस के नेता देखेंगे।
गौरतलब है कि सांप्रदायिकता विरोधी मोर्चा आजमगढ़ में कांग्रेस की जमीन तैयार करने की कवायद में जुटा है। मोर्चा ने सिमी के नेता शाहिद बद्र फलाही से लेकर कई मुसलिम नौजवानों को अपने साथ जोड़ लिया है। दूसरी तरफ उलेमा काउंसिल में भी दो फाड़ हो जने की वजह से कांग्रेस का रास्ता आसान हो गया है। मिश्र ने आगे कहा कि सिमी के नाम पर जिन नौजवानों का उत्पीड़न किया गया, वे अब हमारे साथ हैं। जहिर है २0१२ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बदली भूमिका का लाभ पार्टी को मिलेगा।
पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदेश के एक चौथाई सीटों पर मुसलिम समुदाय के बदले रूख का फायदा कांग्रेस को मिला था। अब रणनीति यह है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में मुसलिम समुदाय का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पक्ष में खड़ा हो जए। दरअसल कल्याण सिंह के चलते समाजवादी पार्टी से मुसलिम समुदाय दूर होता ज रहा है। यह बात अलग है कि सपा ने अब कल्याण सिंह का भी साथ छोड़ दिया है। पर समाजवादी पार्टी अमर सिंह के किनारा करने के बाद जिस तरह के संकट में फंसी है, उससे उसका जनाधार हर हाल में प्रभावित होगा। समाजवादी पार्टी का मुसलिम वोट बैंक कांग्रेस से ही छिटक कर आया था और अब उसे वापस ले जने की रणनीति पर काम शुरू हो चुका है। राहुल गांधी के मुसलिम बहुल इलाकों में जने के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का अल्पसंख्यक वोट बैंक और बढ़ सकता है।
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