22 अप्रैल 2010

आजमगढ़ में सरायमीर के थानेदार कमलेश्वर सिंह दौरा आसिफ के घर में छत के रस्ते घुस कर चोरी और मरने पीटने के संधर्भ में

प्रति,
अध्यक्ष
राष्ट्ीय मानवाधिकार आयोग

महोदय,

मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की तरफ से हम आपको आजमगढ़ जिले के सरायमीर थाने के थानाध्यक्ष कमलेश्वर सिंह के द्वारा ग्राम छित्तेपुर निवासी आसिफ को उनके घर में 18-19 अपै्रल की रात डेढ़ बजे छत पर चढ़कर गैर कानूनी तरीके से उठाने और फिर बेरहमी से की गयी पिटाई की रिपोर्ट आपको तत्काल ध्यानाकर्षित और उचित कार्यवायी के लिए भेज रहे हैं।
20 अप्रैल की शाम को पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज का जांचदल छित्तेपुर गांव के आसिफ पुत्र जुबैर के घर गया। आसिफ ने जांच दल को बताया कि 18-19 अप्रैल की रात लगभग डेढ़ बजे चार पुलिस वाले बाहर से घर की छत पर चढ़कर अंदर दाखिल हुए और घर का दोनों दरवजा खोल दिया। बाहर खडे़ थानाध्यक्ष कमलेश्वर सहित चार अन्य पुलिस कर्मी घर में घुस गए। घर में घुसे लोगों को डकैत समझ कर आसिफ दुगक गया। वह अभी कुछ और समझ पाता कि पुलिस वालों ने उस पर राइफल तान दी। इसके बाद कमरों की तलाशी ली। कमरों की तलाशी लेते समय तेरह हजार रुपया, काले रंग की एक विदेशी टार्च, सोने की दो चूड़िया और एक हार के साथ एक तिरपन दस नोकिया मो0 जिसका नम्बर 9453713785 है लेकर जाने लगे। असिफ के विरोध करने पर थाना अध्यक्ष ने आसिफ का बाल पकड़ कर उसे पीटना शुरु कर दिया और गाली देते हुए कहा कि अब तू भी चलेगा। आसिफ की मां सैयदा जुबैर ने बताया कि जब आसिफ को घसीट कर ले जाने पर हमने आपत्ती की तो हमारे साथ भी अभद्र व्यवहार किया गया। इसी दौरान मेरी पोती पांच वर्षीय इकरा रोते हुए आसिफ के सामने आ गयी तो एक पुलिस वाले ने राइफल के कंुदे से उसको ठोकर मारी जिससे उससे सिर में चोट आयी और वह वहीं गिर पड़ी। फिर वो लोग आसिफ को लेकर चले गए। आसिफ ने बताया कि गाड़ी में गांव के ही मतीउद्दीन पुत्र अब्दुल समद भी थे, पर पुलिस वालों ने उन्हें उनके घर के पास छोड़ दिया। जब पचहत्तर वर्षीय मतीउद्दीन से इस संदर्भ में बात की गयी तो उन्होंने बताया कि आसिफ के घर आने से पहले पुलिस कर्मी अपनी गाड़ी मेरी दीवार से लगाकर मेरे घर में छत के रास्ते घुस आए थे। जब उन्होंने घर की औरतों पर टार्च जलाना शुरु किया तो घर में भगदड़ मच गयी। वे लोग जल्दी से मुझे खींचते हुए बाहर ले आए और गाड़ी में बिठा दिया। दिल का मरीज होने के कारण उन्होंने मुझे गाड़ी में पड़े रहने दिया और अंत में मुझे मेरे घर के पास छोड़ कर आसिफ को साथ लेकर चले गए। आसिफ ने बताया कि थाने पर पहुंचते की थानाध्यक्ष कमलेश्वर सिंह ने बाल पकड़ कर पेट में घूसों से मारने लगे। और थोड़ी देर बाद पुलिस वालों को लाकअप में डाल देने का निर्देश देकर सोने चले गए। उसी समय से आसिफ के पेट में दर्द शुरु हो गया। अगली सुबह जब सैयदा बानो गांव के अजीज, इसरार, और सुहेेल के साथ थाना सरायमीर पहुंची और अपने बेटे को छोड़ने का आग्रह किया तो थानाध्यक्ष कमलेश्वर सिंह ने एक बार फिर उन्हें अपशब्द कहे और थाने से बाहर निकलते हुए दरोगा संजय सिंह को निर्देशित किया कि आसिफ के हस्ताक्ष्र लकेर छोड़ दे। परंतु आसिफ ने हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया। कुछ देर बाद सैयदा बानो को अपने बेटे से लाकअप में मिलने का अवसर मिला तो उसे वह जमीन पर तड़पता देख रोने-चिल्लाने लगी। स्थिति की गंभाीता को देखते हुए। थानाध्यक्ष को सूचित कर पुलिस वाले उसे प्राथमिक स्वास्थ केंद्र सरायमीर ले गए। थानाध्यक्ष भी वहां पहुंच गए। प्राथमिक उपचार के बाद जब कोई आराम नहीं हुआ तो डाक्टर ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। थानाध्यक्ष उसे जिला अस्पताल आजमगढ़ ले गए। कुछ समय वहां रहने बाद आसिफ को छोड़ कर चले गए। थोड़ा राहत होने पर पर उनकी मां तथा गांव के लोग उसे घर ले गए।
परिजनों का थानाध्यक्ष सरायमीर कमलेश्वर सिंह पर आरोप है कि प्राथमिक स्वास्थ केंद्र सरायमीर जहां पांच वर्षीय इकरा की प्राथमिक जांच हुयी थी तथा आसिफ को थाने से ले जाया गया था की चिकित्सा रिपोर्ट को प्रभावित करने के लिए अपने पद का दुरपयोग कर रहे हैं। पीड़ित पक्ष का यह भी कहना हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरायमीर और जिला अस्पताल आजमगढ़ ने यह कह कर मेडिकल रिपोर्ट देने से इन्कार कर दिया कि आसिफ को उनके पास पुलिस लेकर आयी थी। इसलिए वो रिपोर्ट नहीं को देंगे। जबकि सरायमीर थाने पर संपर्क करने के बाद कहा गया कि आप मेडिकल रिपोर्ट न्यायालय जाकर लीजिए।
हमारी प्राथमिक जांच रिपोर्ट में हमें कुछ बिंदुओं पर आपका ध्यानाकर्षित करवाना है। जैसे समाचार पत्रों में आयी खबरों में थानाध्यक्ष कमलेश्वर सिंह ने कहा कि थाने के बाहर कोई बीमार होता है तो इसकी जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी। जबकि प्राथमिक स्वाथ्य केंद्र सरायमीर के उपचार पत्र में इस बात का प्रमाण है कि कमलेश्वर सिंह ही आसिफ को अस्पताल लेकर गए थे। दूसरा कि आसिफ की तबीयत ज्यादा बिगड़ने की वजह से ही स्थानीय थाना क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरायमीर ने आसिफ को जिला अस्पताल के लिए रेफर किया था। हम आपका ध्यान कुछ और बिंदुओं पर भी आकृष्ट कराना चाहेंगे। जैसे कमलेश्वर सिंह लंबे समय से थाना सरायमीर पर नियुक्त हैं। जबकि इनके कार्यपद्धति पर हमने कई बार सवाल उठाए हैं। इस थाना क्षेत्र में अनाधिकृत रुप से एसटीएफ इनके संरक्षण में बिना नंबर की प्लेटों वाली गाड़ियों से गैरकानूनी कार्यवाई करती है। जिसको जनता ने कई बार पकड़ा भी है। इस थाना क्षेत्र में पुलिस संगठित अपराध गिरोह के रुप में काम कर रही है जिसकी तस्दीक आसिफ के घर में छत से घुस कर डकैती और सवाल उठाने पर बुरी तरह से पीटने के रुप में हुयी। ऐसे में हम तत्काल थाना अध्यक्ष और दोषी पुलिस कर्मियों को निलंबित करने की मांग करते हैं क्योंकि उनके पद पर बने रहते कोई निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। पुलिस द्वारा चोरी किए गए सामानों की तत्काल वापसी की जाय और पीड़ित पक्ष को मानहानि दी जाय। इस घटना को संज्ञान में लेते हुए आजमगढ़ के सभी थानों पर हुयी नियुक्तियों की भी जांच की जाय जहां लंबे समय से एक ही व्यक्ति सालों से काबिज है। इस पूरे मसले की उच्चस्तरीय जांच करवायी जाय।

द्वारा जारी-
मसीहुद्दीन संजरी, विनोद यादव, तारिक शफीक, राजीव यादव
सदस्य पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ;पीयूसीएलद्ध
09455571488, 09450476417, 09935492703, 09452800752

प्रति-
1- अध्यक्ष राष्ट्ीय मानवाधिकार आयोग
2- अध्यक्ष राज्य मानवाधिकार आयोग
3- प्रधानमंत्री
4- मुख्यमंत्री
5- डीजीपी उत्तर प्रदेश

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